सहारा-बिड़ला समूह पर छापों के मामले में नया हलफनामा दाखिल
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में नये सिरे से हलफनामा दाखिल कर 2013-14 में दो कारोबारी घरानों पर छापों के मामले में अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) की तफ्तीश की मांग की है। इन मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कुछ नेताओं के खिलाफ रिश्वत लेने के आरोप लगे थे।
रिश्वत लेनदेन के आरोपों पर अदालत ने ‘कॉमन कॉज’ से बार-बार प्रामाणिक सामग्री लाने को कहा है। संगठन ने अपने नए हलफनामे के साथ कुछ ईमेल समेत कई दस्तावेज दाखिल किये। संगठन ने दावा किया कि ताजा सामग्री आदित्य बिड़ला समूह के दफ्तर पर सीबीआई के छापे और सहारा समूह के परिसरों पर आयकर छापे तथा उसके बाद की जांच से संबंधित हैं।
पिछले महीने एक पीठ ने एनजीओ और उसके वकील प्रशांत भूषण से पूछा था कि क्या पर्याप्त, ठोस और स्पष्ट सामग्री पेश किये बिना प्रधानमंत्री पर आक्षेप लगाये जा सकते हैं। पीठ ने यह भी कहा था कि जनहित याचिका का कोई आधार नहीं है और इसमें केवल आक्षेप लगाये जा रहे हैं। पीठ ने भूषण से अदालत के विचारार्थ प्रामाणिक सामग्री पेश करने को कहा था। एनजीओ के अतिरिक्त हलफनामे में कहा गया, निम्नलिखित तथ्य स्पष्ट रूप से मामला बनाते हैं।
1. सीबीआई द्वारा बिड़ला समूह पर और आयकर विभाग की ओर से सहारा समूह पर छापे मारे गये।
2. छापों में बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी जब्त की गयी।
3. छापों में डायरियां, नोटबुक, हाथ से लिखे कागज और कंप्यूटर दस्तावेज जब्त किये गये।
4. एकत्रित सूचना दिखाती है कि नेताओं और सरकारी अधिकारियों ने रिश्वत ली।
संगठन ने अपने ताजा हलफनामे में ललिता कुमार मामले में एक संविधान पीठ के फैसले का उल्लेख किया है और कहा, तय कानून है कि जब किसी सूचना में संज्ञेय अपराधों का खुलासा होता है तो प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य होता है और इस मामले में परिस्थितियां इसे विश्वसनीय और स्वतंत्र जांच का निर्देश देने का यथोचित मामला बनाती है।
जैन हवाला मामले में शीर्ष अदालत के निर्देश का जिक्र करते हुए एनजीओ ने कहा कि मौजूदा मामले का पुख्ता आधार है क्योंकि छापों में बड़ी मात्रा में धन जब्त किया गया। अदालत ने 14 दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह तब तक एनजीओ की याचिका पर विचार नहीं करेगी जब तक वह ठोस और प्रासंगिक सामग्री पेश नहीं करता।