क्या यह सच है कि BSNL के 65000 टॉवर Jio को सौंप देगी सरकार?
नई दिल्ली : भारत संचार निगम लिमिटेड लगातार निजीकरण की राह पर बढ़ रहा है। बीएसएनएल के कर्मचारी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि देशभर में इसके करीब 65000 मोबाइल टावरों को एक निजी कंपनी रिलायंस जियो को सौंपने की तैयारी में सरकार जुटी हुई है। अगर ऐसा हुआ तो मोदी सरकार और कॉरपोरेट के बीच साठगांठ की एक और नजीर पेश करेगा।
मीडिया रिपोर्टों और सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, केन्द्र सरकार संचार मंत्रालय के जरिये बीएसएनएल के 65000 टॉवर रिलायंस जियो को सौपने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सरकार सब्सिडियरी टॉवर कंपनी गठित करेगी और इसे रिलायंस जियो के हाथों में सौंप देगी। इस बाबत संचार मंत्रालय ने बीएसएनएल प्रबंधन को पत्र भी भेजा है जिसमें लिखा है कि बीएसएनएल के टॉवर व्यवसाय को अलग कर एक सब्सिडियरी टॉवर कंपनी बनाया जाए।
एक दैनिक अखबार मे प्रकाशित खबर के मुताबिक केंद्र सरकार के इशारे पर संचार मंत्रालय द्वारा बीएसएनएल प्रबंधन को थमाए गए नोटिस से बीएसएनएल के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों मे हड़कंप मच गया है। खबर तो यह भी है कि सरकार की इस पहल के बाद बीएसएनएल के 14 यूनियनों की गठित फोरम ऑफ बीएसएनएल यूनियन्स एसोसिएसन नई दिल्ली ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ बगावत का बिगूल बजाते हुए सभी यूनियन्स एसोसिएसन से आंदोलन करने का आह्वान किया है।
बीएसएनएल के तमाम यूनियनों के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार बीएसएनएल की स्वायत्तता बनाए रखने की बजाय दोफाड़ करने की तैयारी में है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार यह फैसला वापस नहीं लेती है तो सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जा सकते हैं।
आखिर ऐसा क्यों कर रही है सरकार?
दरअसल, संचार क्षेत्र के सरकारी उपक्रम में सरकार समय-समय पर बदलाव करती रही है। सबसे पहले पीएंडटी (पोस्टल एंड टेलीकॉम) विभाग बनाया गया था। तब डाक और दूरसंचार विभाग एक साथ था। बाद में डाक विभाग अलग हो गया। फिर डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डीओटी) और महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) का गठन हुआ। साल 2000 में डीओटी को खत्म करके भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और विदेश संचार निगम लिमिटेड (वीएसएनएल) का गठन किया गया। कुछ साल पहले वीएसएनएल को टाटा के हाथों बेच दिया गया। अब बीएसएनएल को फिर से खंड-खंड किया जा रहा है।
केंद्र में भाजपा सरकार बनने बाद गांव-गांव इंटरनेट सेवा मुहैया कराने के लिए नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) एजेंसी बना दी गई। एजेंसी ने काम शुरू कर दिया तो अब मोबाइल टावर सब्सिडियरी कंपनी बनाई जा रही है। मोबाइल टावरों का काम इस कंपनी को मिलने के बाद बीएसएनएल कर्मियों के पास सिर्फ लैंडलाइन ही बचेगा।
बीएसएनएल कर्मचारी एसोसिएशन का कहना है कि निगम को निजीकरण की ओर ले जाया जा रहा है। ऐसा बदलाव करके दूसरी संचार कंपनियों को फायदा पहुंचाने की भी साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल की मुख्य आय का जरिया मोबाइल है। अगर वही छिन जाएगा तो कर्मचारियों, अधिकारियों के वेतन पर भारी संकट आ जाएगा। लैंडलाइन और ब्राडबैंड से आय बहुत कम हैं।