लांग डिस्टेंस रनर चंद्रशेखरन क्या लौटा पायेंगे टाटा संस की खोई साख?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्लीः इंदिरा नूई, अरुण सरीन, नोएल टाटा जैसों को पछाड़ते हुए टाटा संस के नए चेयरमैन का खिताब नटराजन चंद्रशेखरन ने हासिल कर लिया है। टाटा ग्रुप के 149 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक गैर पारसी शख्स ने ये मुकाम हासिल किया हो। चंद्रशेखरन इससे पहले टीसीएस (टाटा कन्सलटेंसी सर्विसेज़) के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर थे। टाटा संस के नए चेयरमैन बनने के साथ ही वो टाटा समूह के सबसे युवा चेयरमैन में से एक बन गए हैं। लेकिन इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या वो टाटा संस की खोई साख को वापिस लौटा पायेंगे, जिस पर साइरस मिस्त्री प्रकरण की वजह से बट्टा लगा है।
मैराथन दौड़ने वाले लांग डिस्टेंस रनर चंद्रशेखरन ने अपने करियर में भी काफी लंबा फासला तय किया है। जिस कम्पनी में उन्होंने इंटर्न के तौर पर 1987 में प्रवेश लिया था उसी के आज सबसे ऊंचे ओहदे के हकदार हो गए हैं। नटराजन 30 साल से टाटा समूह का हिस्सा हैं। 25 अक्टूबर, 2016 को उन्हें टीसीएस के बोर्ड में डायरेक्टर नियुक्त किया गया था। 2009 में चंद्रशेखरन ने बतौर सीईओ और एमडी टीसीएस की कमान संभाली थी। नटराजन चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टीसीएस ने वर्ष 2015-16 के दौरान रेवेन्यू को बढ़ाकर 16.5 अरब डॉलर तक पहुंचाया, यानी टारगेट में भी उछाल ही हासिल किया।
नटराजन चंद्रशेखरन क्यों हैं खास?
नटराजन को टेक्नो आंत्रप्रेन्योर के तौर पर जाना जाता रहा है. एन चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टीसीएस की आमदनी 2010 में जो 30,000 करोड़ रुपये थी वहीं वित्त वर्ष 2016 में तीन गुना बढ़कर 1.09 लाख करोड़ रुपये जा पहुंची थी। टीसीएस ने 2015 में दुनिया का सबसे शक्तिशाली आइटी कंपनी के स्थान पर काबिज हुई और वहीं इसने आईटी दिग्गज इंफोसिस को भी देश की नंबर 1 आईटी कंपनी के पहले स्थान से दूसरे स्थान पर धकेल दिया था। नटराजन के कार्यकाल में ही कंपनी का प्रॉफिट तीन गुना बढ़कर 7,093 करोड़ से 24,375 करोड़ रुपए का हो गया। देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी 350,000 लोगों को रोजगार दे रही है।
एन चंद्रशेखरन की मौजूदगी तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समय समय पर दर्ज होती रही है। चंद्रशेखरन को इंडस्ट्री का जाना-माना चेहरा माना जाता है। उन्होंने 1987 में सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर के तौर पर अपनी पारी शुरू करने के बाद उनका कद कंपनी में काफी तेजी से बढ़ा। टीसीएस में व्यस्ततम शेड्यूल के बावजूद नटराजन चंद्रशेखरन ने देश की आईटी इंडस्ट्री में अपनी छवि एक स्टेट्समैन के तौर पर बनाई। साल 2012 में इंडस्ट्री बॉडी नैस्कॉम के चैयरमैन पद पर रहते हुए उन्होंने इंडस्ट्री के 2020 विजन का खाका तैयार कर दिया था
ये है लांग डिस्टेंस तक जाने का राज!
नटराजन चंद्रशेखर का जन्म तमिलनाडु के नम्क्कल के पास मोहनूर में एक तमिल परिवार में हुआ था। फिलहाल वो मुंबई में अपनी पत्नी ललिता और पुत्र प्रणव के साथ रहते हैं। नटराजन चंद्रशेखर एक अच्छे फोटोग्राफर और लॉन्ग डिस्टेंस रनर भी हैं। इन्होंनें मुंबई, टोक्यो, न्यूयॉर्क, बर्लिन, शिकागो और बोस्टन समेत कई जगहों पर मैराथन में हिस्सा लिया है।
कम नहीं चुनौतियां
साख बचाने का जिम्मा काफी हद तक एन चंद्रशेखरन पर होगा। हाल फिलहाल के घटनाक्रम को देखें तो राह आसान नहीं होगी, वो भी तब जब निकाले गए चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा और टाटा बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाये हैं। हालांकि चंद्रशेखरन खुद को साबित कर चुके हैं लेकिन वर्तमान परिस्थिति को वो कैसे संभालेंगे ये अहम होगा।
उन्हें साइरस मिस्त्री द्वारा खुद के खिलाफ लिए गए फैसले को 'कॉरपोरेट इतिहास का अद्वितीय' फैसला कहे जाने वाले बयान को परखना होगा। उन्हें ये भी देखना होगा कि साइरस जिस प्रक्रिया को गैरकानूनी बता चुके हैं उससे वो (चंद्रशेखरन) कैसे निपटते हैं और सबसे अहम बात की वो स्वतंत्रता की हद कितनी तय कर पाते हैं, जिसे लेकर साइरस का कहना था कि उन्हें चार साल के कार्यकाल में काम करने की आजादी तक नसीब नहीं थी। इन सबसे पार पाने के बाद उन्हें टाटा टेलिकम्यूनिकेशन्स, टाटा मोटर्स और टाटा पावर की बेहद खराब हालत को भी सुधारना होगा।