मिस्त्री ने टाटा पर निकाला गुब्बार, कहा-समूह किसी की जागीर नहीं
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: टाटा समूह में जारी उथल पुथल के बीच साइरस मिस्त्री ने सरकार से समूह के ट्रस्ट संचालनों में दखल देने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने रतन टाटा को भी आंखें दिखाईं हैं। इशारों-इशारों में उन्होंने कहा है कि समूह किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं है। उन्होंने कंपनी के शेयरधारकों को फिर एक चिट्ठी लिखी है और अपना गुब्बार निकाला है।
टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाए गए सायरस मिस्त्री ने रतन टाटा का नाम लिए बिना इशारों में कहा कि टाटा समूह किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं है। साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह टाटा ट्रस्टों के संचालन में हस्तक्षेप करे।
मिस्त्री ने सोमवार को टाटा समूह की कंपनियों के शेयरधारकों के नाम भेजे गए खत में कहा, 'टाटा समूह किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं है। यह किसी एक व्यक्ति का नहीं है और न ही टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों का है। सारे निर्णय का अधिकार किसी एक व्यक्ति अथवा 'हाई कमांड' के अधीन होना अनैतिक, अनुचित और विश्वास का हनन है।'
मिस्त्री ने टाटा ट्रस्टों के संचालन में सरकार के हस्तक्षेप की मांग की और कहा, 'टाटा सन्स, खास तौर पर टाटा के ट्रस्टों की संचालन व्यवस्था में सुधार जरूरी है। सरकार का यह स्वाभाविक दायित्व बनता है कि वह बिगड़ी संचालन व्यवस्था को सुधारने और बेहतर बनाने के लिए हस्तक्षेप करे। अगर टाटा ट्रस्टों की संचालन व्यवस्था दुरुस्त नहीं की जाती है तो इसके संस्थापकों ने जो सपना देखा था, यह उसके लिए खतरा होगा।'
सायरस मिस्त्री ने इस लेटर में शेयरधारकों से कहा कि वे अपनी बात कहें और भविष्य को संवारने में योगदान दें। मिस्त्री ने शेयरधारकों को यह लेटर तब लिखा है जब चंद दिनों के भीतर टाटा ग्रुप के छह प्रमुख फर्मों की बैठक होने वाली है। इन फर्मों में टीसीएस और टाटा मोटर्स भी शामिल हैं। इस बैठक में मिस्त्री को डायरेक्टर पद से हटाए जाने संबंधी प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।