पीएनबी घोटाले की पहली चार्जशीट में मेहुल भाई चौकसी का नाम नहीं
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) में हुए हजारों करोड़ के घोटाले की गाज बैंकिंग क्षेत्र के तीन आला अधिकारियों पर गिरी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नीरव मोदी की कंपनियों से जुड़े 6,500 करोड़ रुपये के इस घोटाले में आरोप पत्र दाखिल किया जिसमें इलाहाबाद बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्य अधिकारी उषा अनंतसुब्रमण्यन समेत करीब दो दर्जन लोगों को नामजद किया। खास बात यह है कि सीबीआई के इस आरोप पत्र में मेहुल भाई चौकसी का नाम कहीं नहीं है। जबकि 31 जनवरी को हुई एफआईआर में मेहुल चौकसी नाम दर्ज था। मुबंई में दायर सीबीआई चार्जशीट में नीरव मोदी और उनके बाई निशाल मोदी और नीरव मोदी की कंपनी के एक्सक्यूटिव सुभाष परब का नाम इसमें शामिल है।
सीबीआई ने सार्वजनिक बैंकों के निदेशक मंडल स्तर के किसी अन्य अधिकारी का नाम अभी तक नहीं लिया है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि पीएनबी के अन्य मुख्य कार्य अधिकारियों तथा भारतीय रिजर्व बैंक के कुछ अधिकारियों की भूमिका जांची जा रही है। नीरव मोदी की कंपनियों का यह घोटाला 2011 से ही चल रहा था। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई 18 मई को इस मामले में पूरक आरोप पत्र भी दखिल करेगी। संभव है मेहुल भाई चौकसी का नाम तब आ जाए। पीएनबी ने जनवरी में बताया था कि आभूषण कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों के समूह ने 'धोखे' से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) हासिल कर 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। सीबीआई ने तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए थे और नीरव मोदी के मामले में कुल 6,498 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया। उसके बाद से ही रिजर्व बैंक ने ऋण के लिए एलओयू का इस्तेमाल बंद कर दिया है।
सीबीआई का 7,500 पन्नों का आरोप पत्र बताता है कि शीर्ष बैंकरों ने कितनी अनियमितताएं कीं, नीरव और उनकी कंपनियों ने किस तरह फर्जीवाड़ा किया और विदेशी शाखाओं को ऋण देने की पीएनबी की सुविधा एवं उसकी स्विफ्ट नियंत्रण प्रणाली में कितनी खामियां थीं। सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा, 'रकम गलत तरीके से उन कथित विदेशी आपूर्तिकर्ता कंपनियों तक पहुंचाई गई, जिन्हें नीरव और उनके साथियों ने ही बनाया था और वे ही जिन्हें चलाते थे।' खरीदारों के ऋण का इस्तेमाल मोदी से जुड़ी कंपनियों के कर्ज चुकाने में किया जाता है।
शीर्ष बैंकरों की भूमिका का खुलासा करते हुए सीबीआई ने कहा कि उषा और दो कार्यकारी निदेशकों राव एवं शरण समेत पीएनबी के शीर्ष अधिकारियों ने स्विफ्ट के परिचालन को सुरक्षित करने के बारे में रिजर्व बैंक के 2016 के निर्देशों को लागू नहीं किया। पीएनबी की कोर बैंकिंग प्रणाली को स्विफ्ट के साथ नहीं जोड़ा गया था और आरोप है कि नीरव मोदी की कंपनियों ने अधिकारियों की मिलीभगत से प्रणाली की इसी खामी का भरपूर फायदा उठाया। यही कारण था कि पीएनबी के बही-खातों में यह घोटाला 2011 से अभी तक ढूंढा नहीं जा सका।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि अनंतसुब्रमण्यम को 2016 में इंडियन ओवरसीज बैंक में हुई ऐसी ही एलओयू धोखाधड़ी के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ था। इसमें पीएनबी ने अपनी पूरी देनदारी चुकाई थी। उसके बाद रिजर्व बैंक ने पीएनबी को पत्र लिखकर पूछा था कि ऐसी धोखाधड़ी उस बैंक में तो नहीं हुई है। जवाब में पीएनबी के महाप्रबंधक निहाल अहद ने अनंतसुब्रमण्यन के कहने पर केंद्रीय बैंक को जवाब भेजा कि ऐसी कोई भी धोखाधड़ी बैंक की जानकारी में नहीं है। सीबीआई ने 27 फरवरी को अनंतसुब्रमण्यन से कई घंटे तक पूछताछ की थी।
सीबीआई की मुंबई अदालत द्वारा सौंपे गए आरोप पत्र में 25 नाम शामिल किए गए जिनमें 19 को जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है। सीबीआई ने पहले आरोप पत्र में फायरस्टार इंटरनैशनल के अध्यक्ष (फाइनैंस) विपुल अंबानी, नीरव मोदी की तीन कंपनियों में कार्यकारी सहायक एवं अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता कविता मंकीकर, फायरस्टार गु्रप में वरिष्ठ अधिकारी अर्जुन पाटिल को भी शामिल किया। सूत्रों का कहना है कि विपुल अंबानी इस घोटाले के अवैध पहलू से अवगत थे और उन्होंने दस्तावेजों को छिपाया था। जांच में पता चला कि तीन कंपनियों द्वारा 1700 करोड़ रुपये के असुरक्षित ऋण लिए गए और इन्हें ऑडिट रिपोर्ट में कभी नहीं दिखाया गया था।
शुरुआती कार्रवाई से पहले, नेशनलाइज्ड बैंक्स स्कीम 1970 की धारा 8 के तहत सरकार द्वारा तीन बैंक अधिकारियों के खिलाफ लगभग 10 दिन पहले कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। डीएफएस सचिव कुमार ने कहा, 'समस्या की पुष्टिï के बाद आज हमने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी।' जब कुमार से यह पूछा गया कि पीएनबी के अन्य मुख्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई, तो उन्होंने कहा, 'हम अफवाहों या अटकलों पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। तीन बोर्ड-स्तरीय अधिकारियों को इस मामले में संलिप्त पाया गया और हमने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। फिलहाल मेरे पास या तो नियामक (आरबीआई) या जांचकर्ताओं (अन्य मामलों में) से पक्की जानकारी है कि सरकार कार्रवाई करने से परहेज नहीं करेगी।'
पिछले महीने अपनी एफआईआर में सीबीआई ने 15 वरिष्ठ अधिकारियों को नामजद किया था जिनमें इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी किशोर खराट और सिंडिकेट बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी मेलविन रीगो भी शामिल हैं। खराट अगस्त 2015 और मार्च 2017 के बीच आईडीबीआई बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी थे। वहीं सिंडिकेट बैंक से जुडऩे से पहले बैंक ऑफ इंडिया के मुखिया के तौर पर जिम्मेदारी संभाल चुके रीगो को अगस्त 2015 तक आईडीबीआई बैंक के उप-प्रबंध निदेशक के तौर पर भी काम करने का मौका मिला। (मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित)