विजय माल्या का दावा; देश छोड़ने से पहले बैंक सेटलमेंट के लिए जेटली से की थी मीटिंग
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली/लंदन : शराब कारोबारी और भारतीय बैंकों के करीब नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक के बकायेदार विजय माल्या ने दावा किया है कि 2016 में भारत छोड़ने से पहले वह वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिले थे। जेटली ने माल्या के दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए फेसबुक पर The Factual Situation शीर्षक से पोस्ट लिखी है जिसमें उन्होंने कहा है कि माल्या के दावे में कोई सच्चाई नहीं है। बावजूद इसके माल्या के दावे और जेटली की ना के बीच सियासत गरमा गई है और मोदी सरकार के खिलाफ तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है।
दरअसल, विजय माल्या आजकल ब्रिटेन की राजधानी लंदन में हैं। लंदन के वेस्टमिंस्टर कोर्ट परिसर में प्रत्यर्पण मामले में सुनवाई के दौरान माल्या ने एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, मैं भारत से जेनेवा एक पहले से तय मीटिंग के लिए गया था। लेकिन जाने से पहले मैंने वित्त मंत्री से मुलाक़ात की थी। माल्या ने दावा किया, यह पहले से तय मीटिंग थी और बैंकों के सेटलमेंट के बारे में फिर से पेशकश की। यही सच्चाई है। जब माल्या से ये पूछा गया कि भारत के वित्त मंत्री से उनकी मुलाक़ात कहां हुई थी तो उन्होंने कहा, मैं आपको क्यों बताऊं। ये पूछ कर मुझे परेशान न करें। बैठक में वित्त मंत्री ने उनसे क्या कहा, इस बारे में माल्या ने कुछ नहीं बताया।
अरूण जेटली ने बताया Factual Situation
विजय माल्या के इस सनसनीखेज बयान पर भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फ़ेसबुक पर पोस्ट कर अपना जवाब दिया। 'फेक्चुअल सिचुएशन' शीर्षक से फेसबुक पर डाले गए पोस्ट में जेटली ने कहा है कि माल्या के दावे में कोई सच्चाई नहीं है। यह तथ्यात्मक रूप से गलत है और यह सच को नहीं दर्शाता है। 2014 से मैंने कभी उन्हें मुलाकात का वक्त नहीं दिया है, ऐसे में मुझसे मिलने का सवाल ही नहीं उठता। हालांकि वो राज्यसभा के सदस्य थे और कभी-कभी सदन में भी आया करते थे। ऐसे में उस विशेषाधिकार का दुरुपयोग करते हुए जब मैं सदन की कार्यवाही के बाद अपने कमरे की ओर जा रहा था तो वो मेरी ओर आए और चलते-चलते कहा, मैं कर्ज चुकता करने का एक ऑफर दे रहा हूं।
उनके पहले भी दिए गए इस तरह के झांसे से मैं अवगत था इसलिए मैंने आगे किसी भी बात के करने से इनकार करते हुए उनसे कहा, मुझसे बात करने का कोई फायदा नहीं है, आपको बैंक को ऑफ़र देने चाहिए। मैंने उनके हाथ में पड़े कागज को लेने से भी इनकार कर दिया। इस एक वाक्य के अलावा जो उन्होंने राज्यसभा सदस्य होने का फायदा उठाते हुए मुझसे कहा, ताकि उन्हें बैंक के कर्ज़दार होने में व्यावसायिक लाभ मिल सके, उन्हें मीटिंग के लिए मुलाकात का वक्त देने का सवाल ही नहीं उठता।
माल्या के दावे के बाद सरकार पर हमले तेज
केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली को लेकर विजय माल्या के ताजा बयान आने के बाद से सियासी गलियारे में जेटली और मोदी सरकार पर हमले तेज हो गए हैं। कांग्रेस नेताओं के अलावा यशवंत सिन्हा और अरविंद केजरीवाल तक ने ट्विटर पर प्रतिक्रियाएं दी हैं।
यशवंत सिन्हा- भारत के पूर्व वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया कि न केवल वित्त मंत्री बल्कि पूरे भाजपा को विजय माल्या के साथ संबंध पर सब कुछ सच-सच बताना होगा।
अरविंद केजरीवाल- दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, वित्त मंत्री ने अब तक इस बात को क्यों छुपाया। ये हैरान करने वाली बात है। केजरीवाल ने यह भी लिखा, देश छोड़ने से पहले नीरव मोदी की प्रधानमंत्री से मीटिंग और माल्या की वित्त मंत्री अरुण जेटली से मीटिंग से क्या साबित होता है, लोग यह जानना चाहते हैं।
रणदीप सुरजेवाला- कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि विजय माल्या विदाई लेकर देश का पैसा लेकर भागे हैं। सरकार चौकीदार नहीं, भागीदार है। 'भगौड़ों का साथ, लुटेरों का विकास' भाजपा का एकमात्र लक्ष्य है। मोदी जी, छोटा मोदी #1, छोटा मोदी #2, हमारे मेहुल भाई, अमित भटनागर जैसों को देश के करोड़ो लुटवा, विदेश भगा दिया। विजय माल्या तो श्री अरुण जेटली से मिल, विदाई लेकर, देश का पैसा लेकर भाग गया है? चौकीदार नहीं, भागीदार है! कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि इस पूरे मामले की जांच की जानी चाहिए।
सुब्रमण्यम स्वामी- विजय माल्या के इस बयान से एक बार फिर भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का वो ट्वीट चर्चा में आ गया जिसमें उन्होंने लिखा था कि माल्या देश नहीं छोड़ सकते क्योंकि देश के हवाई अड्डों पर उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी हो चुका था। इसके बाद वो दिल्ली आते हैं और किसी ऐसे पावरफुल शख्स से मिलते हैं जो उनके खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस में बदलाव कर उसे भारत छोड़ने से रोकने की जगह केवल उसकी रिपोर्टिंग के आदेश में तब्दील करवा देते हैं। वो शख्स कौन है जिसने नोटिस को कमजोर किया?