फिर ध्रुवीकरण पर जोर क्यों?
किरण राय
नरेन्द्र भाई मोदी जब प्रधानमंत्री पद के लिए उद्योग कर रहे थे तब अपनी सभाओं में उन्होंने विकास के पथ पर देश को आगे ले जाने की बात की थी। समय बदला, स्थिति बदली और परिस्थितियों को देखते हुए उनकी सरपरस्ती में अब भाजपा पुराने ढर्रे पर लौटती दिख रही है। साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति। उत्तर प्रदेश में अगले साल तक चुनाव होने वाले हैं और भाजपा का रोडमैप तैयार है। कैराना और गंगा दो ऐसे मुद्दे जिन पर भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उत्तर प्रदेश चुनाव लड़ने का फैसला लिया गया है। स्पष्ट है कि ध्रवीकरण की राजनीति उप्र चुनावों में चरम पर होगी।
पिछले लगभग एक महीने से पश्चिम उत्तरप्रदेश के कैराना को लेकर जमकर बवाल मचा है। यहां हिन्दू विस्थापितों की बात की जा रही है। स्व सर्वे के साथ इलाके के सांसद और भाजपा नेता हुकुम सिंह मैदान में हैं। इनका तर्क है कि दो साल पहले हुए मुज्जफरनगर दंगे में मुस्लमानों के साथ ही नहीं बल्कि हिन्दुओं के साथ भी बुरा हुआ। हिन्दू भुक्तभोगी कैराना छोड़ने को मजबूर हो गए और ऐसे लगभग साढ़े तीन सौ परिवार पलायन कर गए। हालांकि इसको लेकर काफी मतभेद भी उजागर हुए हैं। लेकिन भाजपा मूल वजह से इतर इसे साम्प्रदायिकता का रंग दिए जाने में कोई कोर कसर बाकी रहने नहीं दे रही है।
दूसरा मुख्य मुद्दा गंगा से जुड़ा है। गंगा की सफाई को लेकर भाजपा सरकार ने मंत्रालय भी खोल दिया। इस मद में काफी पैसे भी खर्च हुए लेकिन सफाई को लेकर जमीन पर कुछ खास होता नहीं दिखा। इस मुहिम के दौरान कुछ संत महात्माओं की नाराजगी भी जाहिर हुई। और भाजपा जानती है कि उसके बड़े वोट बैंक पर महात्माओं को बड़ा प्रभाव पड़ता है ऐसे में इन्हें छिटका कर अपनी राह बनाना आसान नहीं होगा, सो जरूरी है कि साथ लेकर ही अगला कदम बढ़ाया जाए। हो सकता है कि भाजपा सत्ता में आते ही अपने पर विश्वास खो चुकी है और इसका नतीजा इस ताजा रोडमैप से सामने आ चुका है।
ये दो मुद्दे संवेदनशील है और स्पष्ट है कि इनके सहारे ही भगवा पार्टी साम्प्रदायिकता के अपने पारम्परिक अंदाज को अमली जामा पहनाना चाहती है। ये तो आगाज है। स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में ध्रुवीकरण की राजनीति की फेहरिस्त लम्बी और जोखिम से भरपूर होने वाली है और विकास का सब्जबाग दिखाने वाले सियासतदां अपना दांव अपनी सुविधा के हिसाब से लगाने वाले हैं, जिसका फायदा उन्हें तो हो सकता है लेकिन लोकतंत्र को नहीं।