ये जीत! देशहित में है
किरण राय
कांग्रेस 2014 में लगभग हर जगह परास्त हुई। राजनीतिक पंडितों के लिए भी मोदी लहर में कांग्रेस की ऐसी हार, अप्रत्याशित थी। उसके बाद कई राज्यों में चुनाव हुए जहां कांग्रेस अपनी पुरानी छवि के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई। लेकिन अब जिस तरह देश के अलग अलग राज्यों में विधानसभा उप चुनावों में रूलिंग पार्टी के अलावा अन्य पार्टियां जीत दर्ज करा रही हैं ये जितना इन दलों के लिए अच्छा है उतना ही हमारे लोकतंत्र के लिए भी। कांग्रेस को यह सीट इसलिए भी मिली क्योंकि उसके भूतपूर्व विधायक प्रेम सिंह ने क्षेत्र के जनमानस की व्यथा कथा को शिद्दत से महसूस किया था। जमीनी स्तर पर काम किया था। स्पष्ट है कि जनता जान रही है और बता रही है कि लोकतंत्र में जीत सिर्फ लोगों के लिए काम करने से ही तय होती है। खाली वादों, इरादों या जज़्बातों से नहीं।
मध्यप्रदेश के चित्रकूट के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की रिकॉर्ड 14135 वोटों से जीत राजनीति को लेकर लोगों की समझ दर्शाती है। तर्क ये भी दिया जा रहा है कि ये तो कांग्रेस का गढ़ था। इसे मान भी लें तो क्या 2014 में ऐसे कई गढ़ों को मोदी लहर ने ध्वस्त नहीं किया? हार वो भी उस राज्य में जिसमें अगले साल ही चुनाव होने हैं। तीन उपचुनावों में कांग्रेस की यह लगातार दूसरी और 14 साल में हुए चार चुनावों में सबसे बड़ी जीत है।
वैसे चित्रकूट से पहले पंजाब की लोकसभा सीट गुरदासपुर पर भी कांग्रेस जीती थी। विनोद खन्ना की मौत के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुनील जाखड़ ने भाजपा प्रत्याशी स्वर्ण सलारिया को तकरीबन एक लाख 93 हजार मतों के भारी-भरकम अंतर से जीत हासिल की थी। इस जीत के मायने इसलिए भी बढ़ जाते हैं क्योंकि गुरदासपुर सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है।
ऐसा ही कुछ केरल में भी हुआ। केरल की वेंगारा विधानसभा सीट भी उपचुनाव में भाजपा के हाथ से फिसल गयी। भाजपा यहां चौथे स्थान पर रही। इसके अलावा दिल्ली विधानसभा उपचुनाव में बवाना सीट भी भगवा पार्टी के हाथ नहीं लगी। जबकि कुछ ही महीनों पहले दिल्ली नगर निगम चुनावों में भाजपा का परचम लहराया था। हालांकि 2014 से अब तक मध्यप्रदेश में हुए 12 उपचुनावों में से 9 भाजपा और 3 कांग्रेस के खाते में गई है...लेकिन आज की तारीख में ये जीत कांग्रेस के लिए किसी एनर्जी बूस्टर से कम नहीं है वहीं ये सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए एक सबक है। सबक... कि आम जनता को अब बरगलाया नहीं जा सकता क्योंकि उसके हाथ में लोकतंत्र की ताकत है। वो जानती है कि देश की भलाई, खुद उसकी भलाई किसी एक दल का होकर रहने में नहीं है बल्कि अपने अधिकार को सही समय पर, सही जगह पर इस्तेमाल करने पर है।