चाही थी कुर्सी, मिली जेल
किरण राय
तमिलनाडु में तेजी से बदल रही स्थितियों और परिस्थितियों को देखकर सब दंग हैं। कहां तो नए मुख्यमंत्री की ताजपोशी की तैयारियां जोरों पर थी और कहां अब सारा मामला ही कयासों की अंधेरी गली से गुजरता नजर आ रहा है। उच्चतम न्यायालय के एक फैसले ने दक्षिण भारत के इस राज्य की दिशा ही बदल डाली है। कुर्सी की आस लगाए बैठी चिनम्मा यानी वीके शशिकला को फिलहाल तो जेल ही नसीब होती दिख रही है। किसी फंतासी कहानी की तरह सारा घटनाक्रम चला। अम्मा यानी जयललिता के गुजरने के बाद पनीरसेल्वम में ही सबने आस्था जताई, फिर चिनम्मा सीन में आईं (उन्हें आना ही था)। उनको AIADMK का महासचिव बनाने का प्रस्ताव रखा गया लेकिन खबर आई कि वो इस पद पर काबिज नहीं होना चाहती। कहानी ने फिर करवट ली और पनीरसेल्वम उनका मान-मनौवल करने उनके (शशिकला) के घर पहुंचे। आखिरकार आंखों में आंसू लिए अपनी दिवंगत सहेली को याद करते हुए उन्होंने सबके सामने झुकना स्वीकारा और महासचिव बन गईं।
लगा पटाक्षेप हो गया। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर कुर्सी पर काबिज होने का खेल चालू हो गया। सुर्खियां बनीं कि चिनम्मा फलां दिन सीएम पद की शपथ लेंगी। तभी पनीरसेल्वम सामने आये और अपनी अम्मा की आत्मा से बात करने का दावा कर माहौल को भावुक बना दिया। उनकी समाधि स्थल पर पहुंचे। घण्टों बैठे रहे और कहते रहे कि वो तो अम्मा के पसंदीदा कारिंदे थे लेकिन चिनम्मा जबरन उनको पद से हटा रही हैं। यहीं से टग ऑफ वॉर शुरू हुआ। दोनों अपने साथ विधायकों की ज्यादा तादाद होने का दम भरते रहे और गवर्नर विद्यासागर राव तक पहुंच कर दावेदारी के सही हकदार जताने लगे। मामले को लेकर सभी पशोपेश में थे। लेकिन आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फरमान सुना ही दिया।
वैसे सभी जानते थे कि आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में उच्चतम न्यायालय का हथौड़ा चलना बाकी है। शीर्ष न्यायालय ने शशिकला को दिवंगत जयललिता के साथ दोषी करार दिया और 4 साल जेल की सजा मुकर्रर कर दी। जता दिया कि कानून सबके लिए समान है राजनीति की छत्रछाया में कोई भी अपराध फल फूल तो सकता है लेकिन उसे अंजाम तक भी बखूबी पहुंचाया जा सकता है। ये एक सबक है उन सभी राजनीति के पुरोधाओं के लिए जो अपनी हाथों में लाठी ले लेते हैं तो अपने हिसाब से ही भांजने लगते हैं, ये सोचे बगैर की देश का कानून उनके गुनाहों की सजा सुनाने की हिम्मत और ताकत भी रखता है।