सोनिया गांधी का मास्टर स्ट्रोक
किरण राय
जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के रूप में रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान कर नहला चला था ठीक उसी तरह से कांग्रेस समेत 17 विपक्षी दलों ने ख्यातिप्राप्त महिला दलित नेता मीरा कुमार के नाम का ऐलान कर दहला मारा है। निश्चित रूप से मुकाबला दलित बनाम दलित का हो गया है जो पहले कभी नहीं हुआ था। इसे सोनिया गांधी का मास्टर स्ट्रोक भी कह सकते हैं।
इस मुकाबले में कोविंद भले ही जीत जाएं लेकिन एक उम्मीदवार के रूप में हर लिहाज से मीरा कुमार ज्यादा मजबूत उम्मीदवार हैं। हालांकि दोनों ही उम्मीदवार दलित हैं लेकिन एक वजह जो मीरा कुमार को बढ़त दिला सकती है वह है दलित के साथ उनका महिला होना। कांग्रेस ने यह तुरूप का पत्ता शायद इसीलिए चला है कि वह भाजपा नीत एनडीए को बताना चाहती है कि आपका उम्मीदवार सिर्फ दलित है लेकिन विपक्ष का उम्मीदवार दलित के साथ-साथ पूर्व में लोकसभा की अध्यक्ष पद को सुशोभित करने वाली कद्दावर महिला भी है। कहने का मतलब यह कि सोनिया गांधी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं।
मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाने के पीछे कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों की एक और रणनीति रही है। बिहार में महागठबंधन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू ने रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान कर चुकी है। इसके अलावा भी कई और पार्टियां हैं जो कोविंद को समर्थन देने की बात कही है, लेकिन मीरा कुमार के नाम का ऐलान कर विपक्ष ने इन दलों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है।
सबसे बड़ी मुश्किल नीतीश कुमार के लिए खड़ी हुई है। कोविंद का समर्थन नीतीश ने सिर्फ इसलिए किया था क्यों कि वह बिहार के राज्यपाल थे और नीतीश को इस बात का गर्व हो रहा था कि बिहार के राज्यपाल देश का राष्ट्रपति बनने जा रहा है। अब जब मीरा कुमार के नाम का ऐलान सोनिया गांधी कर चुकी हैं तो उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करना ही होगा क्यों कि मीरा कुमार तो बिहार की मिट्टी की नेता हैं और फिर महिला भी हैं, बड़ी दलित हस्ती हैं और लोकसभा की अध्यक्ष भी रही हैं। इसी तरह से अन्य दलों पर भी मीरा कुमार को लेकर दबाव बनेगा।