मोदी सरकार ने विज्ञापन पर अब तक खर्च कर डाले 5246 करोड़ रुपये, फिर भी गिर रही है साख
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने अपने साढ़े चार साल से अधिक के कार्यकाल में सरकारी योजनाओं के विज्ञापन पर करीब 5246 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं। यह जानकारी लोकसभा में सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने साल 2014 से लेकर सात दिसंबर 2018 तक सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार में कुल 5245.73 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने गुरुवार को पूछा था कि केंद्र सरकार ने मीडिया पब्लिसिटी पर अब तक कुल कितनी राशि खर्च की है। केंद्रीय मंत्री राठौड़ ने बताया कि सबसे ज्यादा 2312.59 करोड़ रुपये इलेक्ट्रानिक/ऑडियो-विजुअल मीडिया के जरिए विज्ञापन में खर्च किया गया, वहीं 2282 करोड़ रुपये प्रिंट मीडिया में विज्ञापन के लिए खर्च किया गया। इसी तरह 651.14 करोड़ रुपये आउटडोर पब्लिसिटी के लिए खर्च किया गया है।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ द्वारा सदन में दिए गए जवाब से पता चलता है कि साल दर साल विज्ञापन पर खर्च की जाने वाली राशि में लगातार बढ़ोतरी हुई है। साल 2014-15 में कुल 979.78 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, वहीं साल 2015-16 में कुल 1160.16 करोड़ रुपये योजनाओं के प्रचार में खर्च किए गए। इसी तरह विज्ञापन राशि में लगातार इजाफा होता रहा और साल 2016-17 में मोदी सरकार ने 1264.26 करोड़ रुपये खर्च किए। पिछले साढ़े चार सालों से ज्यादा के कार्यकाल में सबसे ज्यादा 1313.57 करोड़ रुपये 2017-18 में विज्ञापन पर खर्च किए गए।
उल्लेखनीय है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था लोक संपर्क और संचार ब्यूरो (बीओसी) भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं इनके विभागों का विज्ञापन करती है। कुछ स्वायत्त संस्थाओं का भी विज्ञापन बीओसी के जरिए कराया जाता है। सरकारी विज्ञापन पर जितनी राशि खर्च की गई है उसे लेकर ये आंकलन किया गया है कि इन विज्ञापनों का लोगों पर कितना प्रभाव पड़ता है। इस सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि मंत्रालय/विभाग द्वारा कहने पर बीओसी विज्ञापन के प्रभाव का सर्वेक्षण करता है। पिछले चार सालों में किसी भी मंत्रालय ने ऐसा करने की मांग नहीं उठाई।
इससे पहले द वायर ने अक्टूबर 2018 में एक रिपोर्ट प्रकाशित किया था कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने लगभग साढ़े चार सालों के कार्यकाल में विज्ञापन पर करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। द वायर को सूचना का अधिकार आवेदन के जरिए लोक संपर्क और संचार ब्यूरो (बीओसी) से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार में साल 2014 से लेकर सितंबर 2018 तक में 4996.61 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई थी।
फैक्टली वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीए के कार्यकाल में विज्ञापन पर खर्च की गई राशि यूपीए सरकार के मुकाबले बहुत ज़्यादा है। यूपीए सरकार ने अपने दस साल के कार्यकाल में औसतन 504 करोड़ रुपये हर साल विज्ञापन पर खर्च किया था। वहीं मोदी सरकार में ये आंकड़ा काफी ज्यादा है। इस दौरान हर साल औसतन 1202 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस हिसाब से यूपीए सरकार के मुकाबले मोदी सरकार में विज्ञापन पर दोगुनी से भी ज़्यादा राशि खर्च की गई है। यूपीए सरकार के दस साल में कुल 5,040 करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई थी, वहीं मोदी सरकार के पांच साल से कम कार्यकाल में ही 5245.73 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।