सरसंघचालक मोहन भागवत ने माना; असली समस्या आरक्षण की राजनीति है, आरक्षण नहीं
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 'भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' कार्यक्रम के आखिरी दिन मोहन भागवत ने लोगों के सवालों के जवाब दिए। इसी क्रम में आरक्षण पर मोहन भागवत ने कहा कि आरक्षण असली समस्या नहीं है, बल्कि असली समस्या तो आरक्षण की राजनीति है। सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए संविधान में जहां जितना आरक्षण दिया गया है, संघ उन सभी तरह के आरक्षण का समर्थन करता है। आरक्षण कब तक चलेगा इसका निर्णय वही करेंगे जिनको यह आरक्षण दिया जा रहा है। सामाजिक विषमता हटाकर सबके लिए बराबरी हो इसलिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसलिए संविधान प्रदत्त सभी आरक्षणों को संघ का पूरा समर्थन है और रहेगा। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि क्रीमी लेयर सामाजिक आधार पर आरक्षण है, सांप्रदायिक आधार पर नहीं है। अन्य जातियां भी मांग रही है, उसका क्या करना है। संविधान ने फोरम बनाए हैं, वह तय करेगी।
भागवत ने कहा कि समाज में बराबरी कब आएगी जो उपर हैं, वह नीचे झुकेंगे. जो नीचे वो एडियां उपर उठाकर हाथ से हाथ मिलाएंगे तभी स्वस्थ समाज बनेगा। उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की बीमारी को ठीक करने के लिए अगर हमको थोड़ा कष्ट उठाना पड़े तो क्या दिक्कत है। उन्होंने कहा कि अपने जातिगत अहंकार के कारण एक अत्याचार की परिस्थिति तो है। इसके लिए एक अत्याचार विरोधी कानून बना। उसको ठीक से लागू करना चाहिए और ध्यान रहे कि उसका दुरूपयोग नहीं होना चाहिए। दोनों बाते हैं। यह होगा कैसे? भागवत ने कहा कि अत्याचार-अत्याचार है। सद्भवाना से सब होगा। इस समस्या को समाज में आपसी सद्भाव बढ़ाकर ठीक किया जाना चाहिए। कानून कुछ करे या न करे। अश्पृश्यता कानून से नहीं आई है, समाज की रूढी से आई है। समाज को ही ठीक करना पड़ेगा।
अंग्रेजी से दुश्मनी पालने की जरूरत नहीं : भागवत
मोहन भागवत ने कहा कि लोगों को स्थानीय भाषा को महत्व देने के लिए अंग्रेजी भाषा से दुश्मनी करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी की श्रेष्ठता का विचार सिर्फ उनके दिमाग में है। विज्ञान भवन में 'भविष्य का भारत : आरएसएस का एक दृष्टिकोण' सम्मेलन के अंतिम दिन एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा, दैनिक कार्यों में अंग्रेजी का वर्चस्व नहीं है, इसका वर्चस्व हमारे दिमाग में है। हमें अपनी मातृभाषा का सम्मान करना शुरू करना होगा। सभी को अपनी भाषा में प्रवीणता लानी चाहिए। हमें किसी भाषा से दुश्मनी करने की जरूरत नहीं है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि लोगों को अंग्रेजी भाषा को त्यागने की जरूरत नहीं है, बल्कि दिमाग में जो इसका पागलपन भरा है, उसे मिटाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, अंग्रेजी को हटाने की कोई जरूरत नहीं है, इसे वहीं रहने दो जहां वह अभी है। हमें अंग्रेजी का पागलपन हटाने की जरूरत है, जो हमारे दिमाग में है। भागवत ने कहा, अन्य भाषाओं पर एक भाषा लागू करना कड़वाहट पैदा करता है.. लेकिन जल्द ही एकमात्र राष्ट्रीय भाषा होगी और सभी प्रशासनिक कार्य उसी भाषा में होंगे।
अब तक राम मंदिर का निर्माण हो जाना चाहिए था
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मन्दिर का शीघ्र निर्माण होना चाहिए। भागवत ने कहा कि इससे हिंदुओं एवं मुस्लिमों के बीच तनाव खत्म हो जाएगा। संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन भागवत ने कहा कि अब तक राम मंदिर का निर्माण हो जाना चाहिए था। भव्य राम मंदिर का निर्माण हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव की एक बड़ी वजह को खत्म करने में मदद करेगा और अगर मंदिर शांतिपूर्ण तरीके से बनता है तो मुस्लिमों की तरफ उंगुलियां उठनी बंद हो जाएंगी। भागवत ने भगवान राम को 'इमाम-ए-हिंद' बताया। उन्होंने कहा कि भगवान राम देश के कुछ लोगों के लिए भगवान नहीं हो सकते, लेकिन वह समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए भारतीय मूल्यों के एक आदर्श हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि एक संघ कार्यकर्ता, संघ प्रमुख और राम जन्मभूमि आंदोलन के एक हिस्से के तौर पर मैं चाहता हूं कि भगवान राम की जन्मभूमि (अयोध्या) में जल्द से जल्द भव्य राम मंदिर बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यह देश की संस्कृति और 'एकजुटता को मजबूत' करने का मामला है, यह देश के करोड़ों लोगों के विश्वास का मुद्दा है। भागवत ने राम मंदिर के निर्माण का समर्थन करते हुए कहा कि इसका अंतिम निर्णय राम मंदिर समिति को करना है जो राम मंदिर के निर्माण के लिए अभियान की अगुवाई कर रही है।