राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने संसद में एक साथ बजाया घंटा और इसके साथ ही पूरे देश में GST लागू
सत्ता विमर्श डेस्क
संसद के सेंट्रल हॉल से : देश के अब तक के सबसे बड़े कर सुधार की लांचिंग के ऐतिहासिक मौके पर शुक्रवार आधी रात के ठीक 12.00 बजते ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ बटन दबाकर पूरे देश में 'एक राष्ट्र एक टैक्स' व्यवस्था की शुरुआत की। इसके साथ ही देश में एक समान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू हो गई। सितारों से सजी इस रात में ऐतिहासिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने जीएसटी को देश के सभी लोगों की साझी विरासत करार दिया। पीएम मोदी ने कहा कि यह किसी एक दल या सरकार की सिद्धि नहीं है। यह हम सभी के प्रयासों का परिणाम है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण दिसंबर 2002 में शुरू हुई लंबी यात्रा की परिणति है। प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी को देश भर के तमाम राज्यों की सरकारों के बीच सहमति और देश हित के लिए सबके साथ आने का प्रतीक करार दिया। उन्होंने कहा, 'यह एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा है। इस पर सालों साल चर्चा हुई है। मौजूदा और पूर्व के सांसदों ने इस पर लगातार बात की है। इस सतत प्रयास का ही परिणाम है कि हम आज जीएसटी को साकार होते देख रहे हैं। जब संविधान बना तो देश के लिए समान अधिकार और समान अवसर की व्यवस्था खड़ी हुई। आज जीएसटी एक तरह से सभी राज्यों के मोतियों को एक धागे में पिरोने का काम कर रहा है।'
आजाद भारत के सबसे बड़े आर्थिक सुधार ‘एक राष्ट्र-एक कर’ की अवधारणा पर आधारित ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आज यानी 1 जुलाई 2017 से लागू हो गया है। संसद के केन्द्रीय कक्ष में शुक्रवार 30 जून 2017 की आधी रात को आयोजित समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घंटा बजाकर देश में जीएसटी लागू होने का ऐलान किया, लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित कई दलों ने समारोह में भाग नहीं लिया। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, विक्रय कर, चुंगी कर, वैट जैसे कई अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर जीएसटी बनाया गया है। जीएसटी के लागू होने के साथ ही अधिकांश अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो गए हैं और आज से वस्तुओं का एक राज्य से दूसरे राज्य में निर्बाध प्रवेश शुरू हो जाएगा। हालांकि, सरकार कह रही है कि इसके लागू होने के बाद महंगाई नहीं बढ़ेगी और इसका अनुपालन सरल होगा, लेकिन कुछ राजनीतिक दलों का कहना है कि इसके लिए अभी तैयारियां पूरी नहीं हैं और कारोबारी भी इसके लिए तैयार नहीं हैं।
जीएसटी समारोह में कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने नहीं लिया हिस्सा
देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू करने के लिए 30 जून की आधी रात को संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया था। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का फैसला किया था। कांग्रेस के साथ ही कुछ अन्य दलों ने भी इस समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला किया था। तृणमूल कांग्रेस ने भी साफ कर दिया था कि पार्टी समारोह में हिस्सा नहीं लेगी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी कहा था कि वह खुद समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे लेकिन पार्टी के सांसदों को इसमें शामिल होना है या नहीं, यह उन पर निर्भर करता है। पार्टी ने इस संबंध में अपने सांसदों के लिए कोई ह्विप जारी नहीं किया था।
शुरुआती दौर में जीएसटी का तत्कालीन विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ही कड़ा विरोध किया था, लेकिन अब उसका कहना है कि इसके लिए राज्यों के बीच आम सहमति बन गई है और लगभग सभी राज्य तैयार हैं। मोदी सरकार द्वारा जीएसटी के लिए प्रयास किए जाने पर कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया था। हालांकि, अंतत: जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया जिससे इसके लागू होने का मार्ग प्रशस्त हो सका। केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड जीएसटी को लेकर कारोबारियों में जागरूकता पैदा करने और उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से पूरे देश में कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है।
जीएसटी का क्रियान्वयन नहीं टलेगा : जेटली
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एक बार फिर कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी का क्रियान्वयन टाला नहीं जाएगा। उन्होंने विपक्षी पार्टियों, विपक्षी सांसदों और विपक्षी सरकार वाले राज्यों से अपील की कि उन्हें 30 जून आधी रात को संसद में प्रस्तावित जीएसटी लांच कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहिए। जेटली ने कहा, यह न तो किसी पक्ष का है और न किसी दबाव में निर्देशित है। मैं सभी दलों, राज्यों और सांसदों से सहमति की भावना से कार्यक्रम में हिस्सा लेने की अपील करता हूं। वित्तमंत्री ने कहा, एक संवैधानिक जनादेश के अनुसार 15 सितंबर को आपके पास कर संग्रह का अधिकार नहीं रह जाएगा। इसलिए वैकल्पिक प्रणाली को लाना होगा। आशा है कि प्रणाली सुगम होगी। जो लोग छह महीने टालने की बात कर रहे हैं, वह संवैधानिक रूप से अमान्य है।
उद्योग संगठन फिक्की के महासचिव रहते हुए आर्थिक सुधारों के पैरोकार रहे पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने जीएसटी को वर्तमान स्वरूप में अस्वीकार्य बताते हुए इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि जीएसटी के लागू होने पर इंस्पेक्टर राज फिर से लौट आएगा। जम्मू-कश्मीर को छोडक़र देश के सभी 30 राज्यों/विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेशों ने इससे जुड़े एसजीएसटी कानून को पारित किया है। पश्चिम बंगाल और केरल ने इसके लिए अध्यादेश का सहारा लिया है जबकि शेष राज्यों की विधानसभाओं ने एसजीएसटी कानून को पारित किया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी के लागू होने पर महंगाई नहीं बढऩे का दावा करते हुए कहा है कि इससे कर में आने वाली कमी का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने उद्योग जगत से उत्पादों की कीमतों में कमी करने की भी अपील की है। लक्जरी कार कंपनियां और दुपहिया वाहन निर्माता अपने वाहनों की कीमतों में कमी का ऐलान कर चुके हैं। हालांकि, रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुएं बनाने वाली कंपनियों ने जीएसटी के लागू होने के बाद मूल्यों की समीक्षा करने की बात कही है।
जीएसटी के विरोध में कपड़ा व्यापारी 27 से 29 जून तक तीन दिन की हड़ताल पर हैं। उनका तर्क है कि आजादी के बाद से पहली बार कपड़ों पर भी कर लगाया जा रहा है। इससे इस उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। सरकार ने जीएसटी में एक हजार रुपए तक के कपड़ों पर कर की दर पांच प्रतिशत तथा इससे महंगे कपड़ों पर 12 प्रतिशत तय की है। हालांकि, सरकार का कहना है कि घरेलू कपड़ा उद्योग को जीएसटी से नुकसान नहीं होगा। इससे सिर्फ विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को नुकसान होगा क्योंकि अब उन्हें भी कर चुकाना होगा। भले ही पहले कपड़ों पर कर नहीं लगाया जा रहा था, लेकिन धागों पर 12.5 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा रहा था जो कपड़ों की कीमत में शामिल था। इस प्रकार जीएसटी लागू होने पर वास्तव में कपड़ों पर कर कम होगा।
देश के अधिकांश उद्योगपतियों और उद्योग संगठनों ने जीएसटी का समर्थन किया है। उद्योगपति अनिल अंबानी ने जीएसटी को आर्थिक आजादी बताते हुए कहा है कि नई कर व्यवस्था से देश बड़ा मुक्त और लोकतांत्रिक बाजार बनेगा। जीएसटी के फायदे का आंकलन करने के कई रास्ते हैं। जीएसटी आर्थिक सुधारों अथवा बदलाव की दिशा का एक हिस्सा नहीं है, यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है और हमारी आर्थिक स्वतंत्रता का परिचायक है। उन्होंने कहा 70 वर्ष पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मध्य रात्रि को संसद के केन्द्रीय कक्ष से देश की आजादी की घोषणा की थी और अब 30 जून की मध्य रात्रि को प्रधानमंत्री इसी हॉल से आर्थिक आजादी की घोषणा करेंगे।
जानिए! किस उत्पाद पर कितना टैक्स लगेगा
माना जा रहा है कि जीएसटी के लागू होने पर अधिकांश खाद्य पदार्थ, लग्जरी कारें, मोटरसाइकिल, साइकिल आदि जहां सस्ते हो जाएंगे, वहीं स्कीम्ड मिल्क, कस्टर्ड पाउडर, चॉकलेट, इंस्टेंट कॉफी और मेकअप के समान महंगे हो जाएंगे। जीएसटी परिषद ने सभी उत्पादों और सेवाओं के लिए दरें तय कर दी हैं जो पहली जुलाई से प्रभावी होंगी। परिषद ने हालांकि कुछ वस्तुओं पर जीएसटी दरें संशोधित की हैं और 30 जून को होने वाली परिषद की बैठक में भी कुछ वस्तुओं और सेवाओं की दरों में संशोधन की संभावना है।
परिषद ने जीएसटी के लिए चार दरें - 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत तय की हैं। उच्चतम दर में शामिल अधिकांश वस्तुओं पर अधिभार लगाया गया है जबकि खाने की अधिकांश खुली वस्तुओं पर शून्य जीएसटी है। परिषद ने सेवाओं के लिए भी दरें तय कर दी हैं। कुछ सेवाओं के महंगे होने का असर भी वस्तुओं पर पड़ेगा। जिन वस्तुओं को शून्य जीएसटी में रखा गया है उनमें खुला आटा, चावल, मैदा, बेसन, गेहूं, दूध, दही, लस्सी, पनीर, अंडा, मीट, मछली, शहद, ताजे फल एवं सब्जियां, प्रसाद, नमक, पान के पत्ते, मिट्टी के बर्तन, खेती के उपकरण, गैर-ब्रांडेड ऑर्गेनिक खाद आदि शामिल हैं। जिन उत्पादों को 5 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में रखा गया है उनमें अधिकांश ब्रांडेड खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
जो खाद्य पदार्थ किसी ब्रांड नाम से और डिब्बा बंद बेचा जाएगा उस पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। इनके साथ मिठाइयों, खाद्य तेल, स्किम्ड मिल्क पाउडर, बच्चों के मिल्क फूड, रस्क, पिज्जा ब्रेड, पेस्ट्री मिक्स, प्रोसेस्ड/फ्रोजेन फल, सब्जियां, पैक्ड पनीर, रसोई गैस, केम, मसाले, लौंग, दालनीची, जायफल, काजू, किसमिस, अधिकांश जीवन रक्षक दवाएं, स्टेंट, हेपेटाइटिस डायग्नोसिस किट, व्हीलचेयर, ट्राईसाइकिल, लाइफबोट, हैंडपंप एवं उसके उपकरण, सोलर वाटर हीटर, नवीनीकरणीय ऊर्जा के उपकरण, मिट्टी के टाइल्स, कोयला, लिग्नाइट आदि 5 प्रतिशत के स्लैब में शामिल हैं।
इसी तरह से 12 प्रतिशत की जीएसटी में नमकीन, भुजिया, बटर ऑयल, घी, मोबाइल फोन, अधिकांश ड्राई फ्रुट, वेजिटेवल जूस, सोया मिल्क, दूध युक्त ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड/ फ्रोजेन मछली-मांस, एलईडी लाइट, किचन और टॉयलेट सिरेमिक आइटम, स्टील, तांबे और एल्युमिनियम के बर्तन, इलेक्ट्रिक वाहन, साइकिल और उसके पार्ट्स, खेल के समान, खिलौने वाली साइकिल, कार- स्कूटर आदि शामिल हैं।
18 फीसदी जीएसटी के दायरे में हेयर ऑयल, साबुन, टूथपेस्ट, कॉर्न फ्लेक्स, पेस्ट्री, जैम जेली, आईसक्रीम, इंस्टैंट फूड, शुगर, कंफेक्शनरी, शीतल पेय कंसेंट्रेट, मिनरल वॉटर आदि हैं। विलासिता की अधिकांश वस्तुएं 28 फीसदी जीएसटी के दायरे में हैं। इसमें शामिल उत्पादों में चॉकलेट, परफ्यूम, मेकअप के समान, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, डिशवॉश, इलेक्ट्रिक हीटर, फोटो कॉपी मशीन, प्रिंटर, फैक्स मशीन, लेदर के उत्पाद आदि शामिल है।