रक्षा मंत्री पद से इस्तीफे का पर्रिकर ने खोला राज, कश्मीर को बनाया ढाल
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कश्मीर में मचे बवाल के बीच पूर्व रक्षामंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने बड़ा बयान दिया है। पर्रिकर ने कहा है कि कश्मीर मुद्दे पर वह बेहद दबाव महसूस कर रहे थे जिस वजह से रक्षामंत्री का पद छोड़कर फिर से गोवा का मुख्यमंत्री बनने का फैसला किया। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर मुद्दे का हल 'चर्चा कम कार्रवाई अधिक' है।
गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद शुक्रवार को दूरदर्शन न्यूज पर प्रसारित अपने पहले इंटरव्यू में मनोहर पर्रिकर ने भावुक होकर बताया कि उनके रक्षामंत्री पद को छोड़ने का एक मुख्य कारण कश्मीर जैसा भी एक मुद्दा है जिसके चलते उन्होंने फिर से गोवा लौटना ठीक समझा। उन्होंने कहा कि ‘कश्मीर मुद्दे को सुलझाना एक आसान काम नहीं था और इसके लिए एक दीर्घकालिक नीति की जरूरत है। कश्मीर एक ऐसा मुद्दा है, जो किसी चर्चा से नहीं बल्कि कार्रवाई से ही हल होगा।'
रक्षा मंत्री रहने के दौरान पर्रिकर कश्मीर में सख्ती बरतने के हिमायती रहे। उनके कार्यकाल में ही सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। पर्रिकर ने कहा, केंद्र में कश्मीर और यहां वहां की तमाम समस्याएं हैं। दिल्ली में एक समस्या नहीं होती। बहुत दबाव होता है। पर्रिकर के इस बयान के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिरकार कश्मीर मुद्दे को लेकर उनपर किस तरह का दबाव था जिससे उन्होंने रक्षा मंत्री का पद छोड़ने का फैसला किया? पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा, कश्मीर जैसे मुद्दों पर 'चर्चा कम और कार्रवाई अधिक' की नीति की जरूरत है, क्योंकि जब आप चर्चा करने के लिए बैठते हैं तो मुद्दे जटिल हो जाते हैं।
साक्षात्कार के दौरान पाकिस्तान के बारे में एक सवाल के जवाब में पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा, कोंकण और हिन्दी में एक कहावत है जिसका मतलब होता है, खाली डिब्बे सबसे ज्यादा शोर करते हैं। जो वह (पाकिस्तान) कहते हैं हमें उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, पाकिस्तान को व्यस्त रहने के लिए कुछ न कुछ चाहिए होता है। वह खतरनाक खेल खेल रहा है। पाकिस्तान खुद को भले ही कैसा भी दिखाए, लेकिन उसे समझना चाहिए कि यदि भारत ने जवाबी कार्रवाई शुरू की तो उसके पास मुकाबला करने की ताकत नहीं है।
पर्रिकर ने कहा, ‘वे परमाणु ताकत के इस्तेमाल की बात करते थे लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उन्होंने इस तरह की बातें करना बंद कर दीं। मुझे उम्मीद है कि वह समझ गए होंगे कि वह हमें ब्लैकमेल नहीं कर सकते क्योंकि भारत के पास उनसे लोहा लेने की शक्ति है।’ पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा, ‘नरम रणनीति हैं और कठोर शक्ति का इस्तेमाल भी। यह पहली बार हुआ है।’
पर्रिकर ने कहा, हम शांतिप्रिय देश हैं। हम उकसावा नहीं चाहते, इसलिए उन्हें जाधव को वापस भेज देना चाहिए। उन्होंने कहा, पहले उन्होंने जाधव का अपहरण किया। वह पाकिस्तान में नहीं थे। वह ईरान में थे। ईरान ने कहा है कि तालिबान ने उनका अपहरण किया और वह उन्हें पाकिस्तान ले गया। पाकिस्तान की कुछ न कुछ करने की आदत है। पर्रिकर ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उचित जवाब दिया है कि यदि जाधव को पाकिस्तान फांसी पर लटकाता है तो भारत चुप नहीं बैठेगा।