महिला आरक्षण बिल के लिए राहुल गांधी ने कसी कमर, गैरभाजपाई मुख्यमंत्रियों को लिखी चिट्ठी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण की मांग करने के लिए राज्यों की गैरभाजपाई सरकारों को पत्र लिखकर अपनी-अपनी विधानसभाओं में एक प्रस्ताव पारित करने को कहा है। गांधी ने कांग्रेस और सहयोगी मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में कहा है, अगले संसद सत्र में महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई आरक्षण के लिए विधेयक पारित कराने के लिए राज्य विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित होने से हमारे समर्थन को मजबूती मिलेगी।
संसद में महिलाओं के प्रतिशत में भारत का स्थान 193 देशों में से 148 पर है जिसका जिक्र करते हुए गांधी ने कहा कि राज्य विधानसभाओं में हालात और भी बुरे हैं। गांधी ने 6 दिसंबर को लिखे अपने पत्र में कहा है, हमारी राजनीति में महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से हमारे लोकतंत्र और मौजूदा प्रणाली में अन्याय की आशंका बढ़ जाती है। महिलाओं ने न केवल स्थानीय स्वशासन निकायों में अपने आप को बेहतर अगुवा सिद्ध किया है, बल्कि उन लैंगिक परंपराओं को भी चुनौती दी है, जो सार्वजनिक जिंदगी में उनकी भूमिका को सीमित करती हैं।
मालूम हो कि यह विधेयक राज्यसभा में 2010 में पारित हुआ था, लेकिन 2014 में 15वीं लोकसभा के भंग होने के बाद यह कालातीत हो गया। राहुल गांधी के पत्र का समर्थन करते हुए ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक ने भी गुरुवार को सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए उनका समर्थन मांगा है।
44 साल पुरानी है संसदीय व्यवस्था में महिला आरक्षण की लड़ाई
संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का मुद्दा भारत में महिलाओं की स्थिति के आकलन संबंधी समिति की रिपोर्ट में पहली बार 1974 में उठाया गया था। राजनीतिक इकाइयों में महिलाओं की कम संख्या का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में पंचायतों और स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने का सुझाव दिया गया। 1993 में संविधान में 73वें और 74वें संशोधन के तहत पंचायतों तथा नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की गईं।
12 सितंबर 1996 : महिला आरक्षण विधेयक को पहली बार एच.डी. देवगौड़ा सरकार ने 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में संसद में पेश किया। इसके बाद ही देवगौड़ा सरकार अल्पमत में आ गई और 11वीं लोकसभा को भंग कर दिया गया। विधेयक को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया। इस समिति ने 9 दिसंबर 1996 को लोकसभा को अपनी रिपोर्ट पेश की।
26 जून 1998 : अटल बिहारी वाजयेपी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को 12वीं लोकसभा में 84वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश किया, लेकिन पास नहीं हो सका। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अल्पमत में आ जाने से गिर गई और 12वीं लोकसभा भंग हो गई।
22 नवम्बर 1999 : दोबारा सत्ता में लौटी एनडीए सरकार ने 13वीं लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को एक बार फिर पेश किया, लेकिन इस बार भी सरकार इस पर सभी को सहमत नहीं कर सकी। वर्ष 2002 और 2003 में भी भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पेश किया, लेकिन कांग्रेस और वामदलों के समर्थन के आश्वासन के बावजूद सरकार इस विधेयक को पारित नहीं करा सकी।
मई 2004 : कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के इरादे का ऐलान किया।
6 मई 2008 : महिला आरक्षण बिल राज्यसभा में पेश हुआ और उसे कानून एवं न्याय से संबंधित स्थायी समिति के पास भेजा गया।
17 दिसंबर 2009 : स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की और समाजवादी पार्टी, जेडीयू तथा आरजेडी के विरोध के बीच महिला आरक्षण विधेयक को संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया।
22 फरवरी 2010 : तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने संसद में अपने अभिभाषण में कहा था कि सरकार महिला आरक्षण विधेयक को जल्द पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
25 फरवरी 2010 : केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने महिला आरक्षण विधेयक का अनुमोदन दिया।
8 मार्च 2010 : महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा के पटल पर रखा गया, लेकिन सदन में हंगामे और एसपी और राजद द्वारा यूपीए से समर्थन वापस लेने की धमकी की वजह से उस पर मतदान नहीं हो सका।
9 मार्च 2010 : कांग्रेस ने बीजेपी, जेडीयू और वामपंथी दलों के सहारे राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक भारी बहुमत से पारित कराया।
सितंबर 2017 : महिला आरक्षण बिल को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शीतकालीन सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्टी लिखी, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई।