राहुल की न्याय स्कीम को कैसे देगी भाजपा मात?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
श्रीगंगानगर (राजस्थान): कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्याय स्कीम का जिक्र कर चुनावों से पहले अमीरी गरीबी को लेकर नया मुद्दा विरोधियों के सामने पेश कर दिया है। राहुल ने न्याय स्कीम की घोषणा कर इसे राजनीतिक बहस के केन्द्र में ला खड़ा किया है। स्पष्ट दिख रहा है कि ऐसा राष्ट्रवाद को लेकर छिड़े सवालों के बरअक्स गरीबी को देश की अहम समस्या और जड़ों से जुड़ा बताने की कोशिश है।
मंगलवार को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव दो विचारधाराओं की लड़ाई है। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नोटबंदी के जरिए काले धन वालों की मदद करने का आरोप भी लगाया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी दो हिंदुस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें एक हिंदुस्तान अमीरों का और दूसरा गरीबों का होगा, लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं होने देगी। उन्होंने कहा, 'झंडा एक है तो देश भी एक ही होगा। हम दो हिंदुस्तान नहीं बनने देंगे।' इस लिहाज से राहुल गांधी की रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमीरों के साथ खड़ा दिखाने की है और कांग्रेस पार्टी को गरीबों का असली हितैषी बताने की है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने नोटबंदी के जरिए कालेधन वालों की मदद की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आते ही देश के 20 प्रतिशत गरीब परिवारों की न्यूनतम मासिक आय 12000 रुपए सुनिश्चत करेगी। इसके लिये वह उनके खाते में 72 हजार रूपये सालाना डालेगी। राहुल ने कहा कि देश में 25 करोड़ लोग आज भी गरीबी रेखा से नीचे हैं जो कि देश के लिए शर्म की बात है। उन्होंने देश के 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को 72 हजार रुपए सालाना देने की पार्टी की घोषणा को देश में गरीबी पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' बताते हुए कहा कि कांग्रेस देश से गरीबी मिटाएगी।
दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले पांच साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमीरों और बड़े उद्योगपतियों का हितैषी बताते रहे हैं। फिर चाहे 'सूट बूट की सरकार' का तंज हो या नोटबंदी को 'फेयर एण्ड लवली' स्कीम बताना हो। राहुल गांधी बड़ी सावधानी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या के साथ जोड़ते गए। बड़े उद्योगपतियों से पीएम मोदी के रिश्तों की बात हर रैली, हर चर्चा में राहुल गांधी के बयान का मुख्य केंद्र रहा।
राहुल गांधी अपनी हर रैली, हर संबोधन में राफेल सौदे का जिक्र करते हुए 'चौकीदार चोर है' का नारा भी लगाते और लगवाते दिखे। 'चौकीदार चोर है' के नारे को काउंटर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मैं भी चौकीदार' अभियान की शुरुआत की तो सभी केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी समर्थकों ने अपने नाम के आगे चौकीदार लगा लिया। प्रधानमंत्री के इस अभियान को खासी सफलता भी मिली। तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने उत्तर प्रदेश दौरे में कहा कि चौकीदार तो अमीरों के होते हैं, किसी ने गरीबों और किसानों की चौकीदारी करते देखा है।
राहुल गांधी ने भी इस बात को दोहराते हुए श्रीगंगानगर की सभा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा मैं भी चौकीदार, लेकिन यह नहीं बताया कि किसके चौकीदार हैं। बेरोजगार युवाओं के, किसानों के या अनिल अंबानी के? अभी लोकसभा चुनाव की शुरूआत भर है, लेकिन राजनीतिक सरगर्मी अपने चरम पर है। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी न्याय योजना की घोषणा कर गरीबी, बेरोजगारी को राजनीतिक बहस के केंद्र में लाते दिख रहे हैं। तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनिंदा अमीरों के साथ खड़ा करते दिख रहे हैं। अब देखना होगा कि अमीर और गरीब दो वर्गों की बहस को कांग्रेस किस तरीके आम चुनावों के आखिरी चरण तक बरकरार रख सकती है।