सरसंघचालक बोले- संघ जो है वही रहेगा, प्रणब मुखर्जी जो हैं वही रहेंगे तो फिर हंगामा किस बात का
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नागपुर : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर स्थित संघ मुख्यालय के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर उठे विवाद के बीच सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि ये बिना मतलब की बहस है। सच तो यह है कि संघ के लिए कोई भी बाहरी नहीं है। आरएसएस सिर्फ हिंदुओं का संगठन नहीं है। प्रणब मुखर्जी के भाषण से ठीक पहले अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि इस कार्यक्रम के बाद मुखर्जी भी वही बने रहेंगे जो वो हैं और संघ भी वही बना रहेगा जो वो है।
मोहन भागवत ने कहा कि लोगों के पास अलग-अलग विचार हो सकते हैं लेकिन वे सभी भारत माता के बच्चे हैं। एक ही मकसद के लिए अलग-अलग रास्ते अपनाने वाले लोगों को विविधता अपनाने का हक है। संघ पूरे समाज को संगठित करना चाहता है। हम केवल समाज के एक धड़े के लिए नहीं हैं बल्कि हम सभी को अपनाते हैं। आरएसएस विविधता में एकता पर विश्वास करता है। भारत में जन्मा हर नागरिक भारतीय है और मातृभूमि की पूजा करना उसका अधिकार है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देश का भाग्य सभी के मिलजुलकर काम करने से ही बदलता है, सिर्फ सरकारों से नहीं। सरकारें बहुत कुछ कर सकती हैं, पर सरकारें सबकुछ नहीं कर सकती हैं। कई बार हममें मतभेद होते हैं लेकिन हम एक ही मिट्टी, भारत की संतान हैं। विविधता को स्वीकार किया जाना चाहिए, ये अच्छा है। हम सभी इस विविधता के बावजूद एक हैं। सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती, नागरिकों को भी योगदान देना होगा। इसके बाद ही देश में बदलाव हो सकता है।
भागवत ने कहा, सभी को राजनीतिक विचार रखने का अधिकार है लेकिन विचारों का विरोध करने की एक सीमा होनी चाहिए। हमें इस बात का अहसास होना चाहिए कि हम एक ही देश की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं लेकिन कुछ समूह केवल बात करने से अधिक का मकसद रखते हैं। उन्होंने कहा कि हर एक को अपनी भूमिका तय करने की जरूरत है। केवल इससे ही देश में बदलाव आ सकता है। जब लोग अपनी आकांक्षाओं को किनारे रखने के लिए राजी होंगे तभी एक देश बेहतरी के लिए बदलेगा।