नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हुआ तो यह गांधी पर जिन्ना के विचारों की जीत होगी : शशि थरूर
सत्ता विमर्श डेस्क
तिरुवनंतपुरम : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने का मतलब महात्मा गांधी के विचारों पर मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों की जीत होगी। धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत 'पाकिस्तान का हिंदुत्व संस्करण' बन जाएगा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार 'एक समुदाय' को देश से अलग करना चाहती है।
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में शशि थरूर ने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत का स्तर गिरकर ‘पाकिस्तान का हिन्दुत्व संस्करण' हो जाएगा। यदि नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होता है तो मुझे विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के मूल सिद्धांतों के ‘खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन’ को अनुमति नहीं देगा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार 'एक समुदाय' को देश से अलग करना चाहती है। यह केवल स्वार्थपूर्ण राजनीतिक कदम है ताकि भारत से एक समुदाय विशेष को अलग थलग किया जा सके और उन्हें नागरिकता से वंचित किया जा सके। थरूर ने कहा कि यह हमें पाकिस्तान के हिंदुत्व संस्करण में सीमित कर देगा। इस बिल का पारित होना जिन्ना के विचारों की महात्मा गांधी के विचारों पर निर्णायक जीत होगी।
मालूम हो कि सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा में पेश करने जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ही नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी, हालांकि कई विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। इस बीच अमित शाह सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस विषय पर राजनीतिक दलों और पूर्वोत्तर के नागरिक समूहों से व्यापक चर्चा की है। अगर नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के इस शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों से पास हुआ तो फिर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। आरएसएस का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने पर गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में किसी तरह का खेल नहीं होने दिया जाएगा।
नागरिकता बिल संसद में पारित होने के बाद पड़ोसी तीनों देशों से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। संघ का मानना है कि बिल के कानून का रूप लेने के करीब सालभर तक नागरिकता देने का काम पूरा हो जाएगा। करीब दो से तीन करोड़ अल्पसंख्यकों को इससे लाभ मिलेगा। मगर इसमें किसी तरह की चूक से रोकने के लिए उन सामाजिक संगठनों की मदद ली जाएगी जो इन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं।