भाजपा के स्थापना दिवस पर बिहारी बाबू ने थामा कांग्रेस का हाथ, पटना साहिब से लड़ेंगे चुनाव
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के करीब एक हफ्ते बाद बिहारी बाबू के नाम से मशहूर बागी भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार को कांग्रेस का हाथ थाम लिया। मालूम हो कि आज भाजपा का स्थापना दिवस भी है। शत्रु ने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला तथा कुछ अन्य नेताओं की मौजूदगी में दिल्ली के अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में खचाखच भरे प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
इससे पहले ट्वीट करते हुए सिन्हा ने कहा, मैं 6 अप्रैल को भारी मन और बेहद दर्द के साथ आखिरकार अपनी पुरानी पार्टी से विदा ले रहा हूं, जिसके कारण हम सभी को अच्छी तरह से पता हैं। आज ही भाजपा का स्थापना दिवस भी है।
कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में सिन्हा ने कहा, अपने लोगों के लिए मेरे मन में कोई बुरी भावना नहीं है क्योंकि वे मेरे परिवार की तरह थे और मुझे भारत रत्न नानाजी देशमुख, स्वर्गीय और महान प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, हमारे दोस्त, फिलॉसफर, नेता, गुरु और मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी के मार्गदर्शन में बेहतर बनाया गया। इसके साथ ही मैं उन लोगों का भी जिक्र करना चाहूंगा जो उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और जो अन्याय और लोकशाही को तानाशाही में बदलने के जिम्मेदार हैं। मैं इस वक्त (उन्हें) माफ करता हूं और भूल जाता हूं। पार्टी के कुछ मौजूदा लोगों और नीतियों से मेरे जो मतभेद हैं, उन्होंने मेरे पास पार्टी से रास्ते अलग करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।
भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ‘वन मैन शो’ और ‘टू मैन आर्मी’ बन गई है। उन्होंने कहा कि इस बार भी वह पटना साहिब से ही चुनाव लड़ेंगे और पिछली बार से ज्यादा वोटों से जीतेंगे। सिन्हा पिछले लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। हालांकि, उन्होंने पिछले कई वर्षों से पार्टी में बागी रुख अख़्तियार कर रखा था। भाजपा ने इस बार के चुनाव में उनकी जगह कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पटना साहिब से अपना उम्मीदवार घोषित किया।
सिन्हा ने यह भी कहा कि वह उस कांग्रेस में शामिल हुए हैं जिसका देश की आज़ादी में सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को देश का भविष्य क़रार देते हुए कहा कि गांधी एक बहुआयामी और दूरदर्शी नेता के तौर पर सामने आए हैं। सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, भाजपा में मेरी परवरिश हुई। धीरे-धीरे मैं आगे बढ़ता गया। बाद में परिवर्तन शुरू हुआ, लेकिन वह परिवर्तन अच्छा नहीं था। धीरे-धीरे भाजपा में लोकतंत्र तानाशाही में बदल गया। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े महारथियों को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया जिसकी कोई बैठक नहीं हुई। यशवंत सिन्हा, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन और अरुण शौरी के साथ क्या हुआ सबको पता है। आज तक मेरे ऊपर किसी तरह का आरोप ख़ासकर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। इसके बावजूद उनसे दूरी बनाई गई।
सिन्हा ने दावा किया कि वन मैन शो और टू मैन आर्मी वालों के पैमाने पर जो खरा नहीं उतरा उसे किनारे लगा दिया गया। अब तो आडवाणी जी को भी ब्लॉग लिखना पड़ा। सिन्हा ने कहा, पूरे सम्मान के साथ कहना चाहूंगा कि प्रचार पर हज़ारों करोड़ रुपये खर्च करने की जगह अगर विकास पर ध्यान दिया होता तो बहुत कुछ हो जाता। उन्होंने कहा, मैं राहुल जी की इस बात से सहमत हूं कि नोटबंदी सबसे बड़ा घोटाला है।