राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, अधर में लटका तीन तलाक समेत कई बिल का भविष्य
सत्ता विमर्श डेस्क
नई दिल्ली : राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और अंतरिम बजट 2019-20 के पास होने के बाद बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके साथ ही बहुप्रतीक्षित तीन तलाक विधेयक और नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2019 को संसद से पास कराने की सरकार की मंशा अधूरी रह गई। ये दोनों बिल राज्यसभा में पेश ही नहीं हो सके।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के लिए 10 घंटे, बजट पर 8 घंटा और दो बिल पर बहस के लिए 2 घंटे का समय निर्धारित किया गया था लेकिन अंतिम दिन इसे 20 मिनट में बिना बहस के पास करना पड़ा। 1991 और 1996 में राजनीतिक कारणों की वजह से धन्यवाद प्रस्ताव पास नहीं हो सका था। संसद ने बुधवार को मोदी सरकार के छठे और अंतिम बजट को पारित कर दिया। वहीं, लोकसभा से समायोजन संबंधी बिल (अगले पूर्ण बजट से पहले खर्च करने के अधिकार से जुड़ा) और वित्त विधेयक को पूर्ण चर्चा के बाद पारित किया गया लेकिन सत्र के अंतिम दिन बुधवार को राज्यसभा में इसे बिना बहस के पारित करना पड़ा।
राज्यसभा में 13 दिन तक चले बजट सत्र के दौरान राफेल डील से लेकर नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर विपक्षी नेताओं के विरोध के कारण कार्यवाही काफी बाधित हुई। अंतिम दिन बुधवार को तमाम राजनीतिक दलों के बीच इस बात को लेकर सहमति बन गई कि अंतरिम बजट और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को बिना चर्चा के पारित किया जाए। वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने समायोजन (विनियोग) बिल और वित्त विधेयक को सामने रखा, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
सभापति ने राज्यसभा में कहा कि बजट सत्र के दौरान 10 बैठकें हुई और 44 घंटे से ज्यादा वक्त बर्बाद हो गया। सत्र में सिर्फ 3 विधेयकों को मंजूरी मिली है और 16 बिल पेश किए गए थे। उन्होंने कहा कि 5 साल में राज्यसभा में काफी अहम बिल पारित किए हैं जिनमें सामान्य वर्ग को आरक्षण से जुड़ा 124वां संविधान संशोधन बिल शामिल है। इसके अलावा जीएसटी, दलित अत्याचार के खिलाफ बिल, ओबीसी आयोग से जुड़ा 123वां संविधान संशोधन बिल, भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल जैसे 10 से ज्यादा अहम बिल सदन ने पारित किए हैं। सभापति ने कहा कि उच्च सदन होने के नाते हमें उदाहरण पेश करने हैं। इसके बाद सदन में वंदे मातरम शुरू हुआ और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
इससे पहले राज्यसभा में सभापति ने सत्र के समापन का ऐलान करते हुए कहा कि इस बजट सत्र में हमने कम काम किया है और उम्मीद है कि आगे यह जारी नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले यह आखिरी सत्र है ऐसे में सभी दलों को अब चुनाव में जाना है। नायडू ने कहा कि सदस्यों के अधिकारों की रक्षा मेरी जिम्मेदारी है। सदन में 2014 के बाद कामकाज लगातार गिरा है और यह काफी चिंताजन है। उन्होंने कहा कि हमने पहले से कम विधेयकों को मंजूरी दी है। जून 2014 से शून्य काल पर भी बुरा असर देखने को मिला और कम सदस्यों को अपनी बात कहने का मौका मिल पाया। सदन में काफी सारे बिल लंबित पड़े हैं। शीतकालीन सत्र की तुलना में बजट सत्र में काफी कम काम हुआ है।