राज्यसभा में फिर अटका तीन तलाक बिल, विपक्ष ने एक स्वर में कहा- सिलेक्ट कमेटी के पास भेजो
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : तमाम विपक्षी दलों के अड़ियल रवैये की वजह से सोमवार को राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक का पारित होना तो दूर, चर्चा तक नहीं हो सकी। कांग्रेस के नेतृत्व में लगभग समूचा विपक्ष इसे जांच के लिए सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने पर अड़ा रहा। सरकार ने आरोप लगाया है कि विपक्ष मुस्लिम महिलाओं के अधिकार से जुड़े इस विधेयक को जानबूझकर लटकाना चाहता है। जबकि कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यह मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा अति महत्वपूर्ण विधेयक है और इसे सिलेक्ट कमेटी में भेजकर चर्चा कराना जरूरी है।
सोमवार को दोनों पक्षों के अपने-अपने रुख पर कायम रहने की वजह से तीन तलाक विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी। हंगामे के कारण कार्यवाही दो बार स्थगित हुई और दोपहर 2.30 बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 2.00 बजे बैठक शुरू होने पर मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 को चर्चा के लिए लाया गया। इसी दौरान एआईएडीएमके सदस्य कावेरी नदी पर बांध के निर्माण का विरोध करते हुए आसन के निकट आ गए।
उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत होने और अपने स्थानों पर लौटने की अपील करते हुए कहा कि लोकसभा चल रही है और वहां चर्चा हो रही है। लेकिन राज्यसभा में कामकाज नहीं हो रहा है। हम अपनी भूमिका के बारे में देश को क्या संदेश देना चाहते हैं? हंगामे के बीच तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक को सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की और कहा कि अधिकतर विपक्षी सदस्य इस विधेयक को सिलेक्ट कमेटी में भेजना चाहते हैं तो सरकार इसे क्यों नहीं भेज रही?
उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह एक ऐसा विधेयक है जो बहुत से लोगों के जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा, लिहाजा विधेयक को सिलेक्ट कमेटी में भेजकर इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विपक्ष द्वारा प्रस्ताव भी लाया गया है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह संसदीय परंपराओं की अनदेखी कर अधिकतर विधेयकों को सिलेक्ट कमेटी में भेजे बिना इन्हें सीधे संसद में पारित करवाना चाहती है। आजाद ने कहा कि विधेयक को लोकसभा में स्थायी समिति के पास भी नहीं भेजा गया।
इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से जुड़ा अति महत्वपूर्ण विधेयक है तथा विपक्ष इस विधेयक को जानबूझकर अटकाना चाहता है इसीलिए वह इसे सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग कर रहा है। कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने आरोप लगाया है कि विपक्ष इस विधेयक पर राजनीति कर रहा है। शर्मा ने कहा कि इस मामले में राजनीति सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा रबर स्टैंप नहीं है और इस विधेयक पर संसदीय समिति द्वारा विचार किया जाना जरूरी है।
सदन में शोर-शराबे के बीच कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह मामला ‘इंसानियत और मानवता’ का है। सरकार इस विधेयक पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी तीन तलाक की घटनाएं हो रही हैं और कल तक ऐसी घटनाएं हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को असंवैधानिक और गैरकानूनी घोषित किया था। प्रसाद ने कहा कि विपक्ष विधेयक को न लटकाए और चर्चा में भाग ले। सरकार उनके सुझावों को सुनने को तैयार है। उपसभापति ने एक बार फिर सदस्यों से शांत होने और विधेयक पर चर्चा करने की अपील की लेकिन सदन में हंगामा जारी रहने पर उन्होंने बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।