राम मंदिर पर अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद : PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 की शुरूआत के साथ ही अपनी तरफ से यह साफ कर दिया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर अध्यादेश पर विचार अदालती प्रक्रिया खत्म होने के बाद ही किया जाएगा। एक जनवरी को समाचार एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर, नोटबंदी, तीन तलाक, उर्जित पटेल के इस्तीफे, गांधी परिवार और हाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली हार जैसे कुछ मुद्दों पर करीब 95 मिनट की लंबी बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश...
सवाल : आपकी पार्टी कितनी कॉन्फिडेंट है कि 2019 का चुनाव जीत पाएंगे आप?
जवाब : हमारे लिए 2018 बेहद सफल रहा है। 2019 में होने वाला चुनाव 'जनता vs गठबंधन' होगा। राजनीतिक पंडितों द्वारा 2019 के लिए जो भविष्यवाणी की जा रही है उसे मैं पूरी तरह से खारिज करता हूं। 2014 के चुनाव में भी इसी तरह के दावे किये जा रहे थे। आने वाला चुनाव उन लोगों के बीच है जो जनमानस की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं और जो इन्हें रोकने में लगे हुए हैं।
सवाल : पांच राज्यों में भाजपा और एनडीए सरकार की हार क्या इसे आप असफलता नहीं मानते?
जवाब : तेलंगाना और मिजोरम में बीजेपी सत्ता में आएगी, ऐसा कोई कहता ही नहीं था। तीन राज्यों की बात करें तो छत्तीसगढ़ में नतीजा साफ आया और बीजेपी हारी। अन्य दो राज्यों में हंग असैंबली की स्थिति रही। आप देखेंगे कि यहां हमारे लोग 15 साल की ऐंटी इन्कम्बैंसी में थे। लेकिन पिछले दिनों हरियाणा में स्थानीय निकायों में हम जीते। जम्मू-कश्मीर के निकाय चुनाव में भाजपा से जुड़े लोग जीते। जीत और हार, यही एक मानदंड नहीं होता है।
सवाल : चुनावों में वोट प्रतिशत सीटों में तब्दील नहीं हो पाया? क्या मोदी लहर कमजोर हो गई है?
जवाब : 180 सीटों से कम आने के विश्लेषणों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि जब तक वे लोग ऐसी बात नहीं फैलाएंगे, तब तक उनसे लोग कैसे जुड़ेंगे। 2013-14 में भी यही टोली 200 से कम सीटों की चर्चा करती थी। हम अपने देश को सामान्य लोगों की समझदारी पर अविश्वास न करें। उन पर भरोसा करें। आखिर आम लोगों को ऐसा क्या अनुभव हुआ है, जो वह इस सरकार से दूर जाने की कोशिश करेगा।
सवाल : जो लोग यह मानते हैं कि मोदी मैजिक कमजोर हो गई है उनका मानना है कि भाजपा 180 तक में सिमट जाएगी। क्या आप ऐसा कह सकते हैं कि भाजपा वाकई 180 में सिमट सकती है?
जवाब : लहर खत्म होने के सवाल पर तो मैं यही कहूंगा कि ऐसा कहना भी यह मानना है कि मोदी मैजिक है। 2013-14 से अब तक के अखबार आप देखेंगे तो कुछ लोग हैं, जो यही बोलते रहे हैं कि पीएम मोदी जीत नहीं सकते हैं। वह जिनके लिए काम कर रहे हैं, उनके लिए नैरेटिव सेट करने में जुटे हैं। लहर सिर्फ जनता की आकांक्षाओं की है। कुछ लोग हमेशा हम पर शक करते हैं।
सवाल : जहां तक आपके नारे की बात है तो 2013 से आप कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते रहे हैं। लेकिन तीन राज्यों में चुनाव परिणाम की बात करें तो ऐसा होता नहीं दिख रहा है?
जवाब : मैंने पहले भी कहा है कि कांग्रेस एक सोच है और एक कल्चर है। हिंदुस्तान के राजनीतिक जीवन का वह कल्चर है। यह कल्चर करप्शन, वंशवाद और जातिवाद है। यहां तक कि कांग्रेस से जुड़े लोग भी कहते हैं कि कांग्रेस एक विचार है। एक कल्चर है। जब मैं कांग्रेस मुक्त देश की बात करता हूं तो मेरा मायना इस कल्चर और विचार से होता है और मेरा यह कहना है कि कांग्रेस को भी इस कल्चर से मुक्त होना चाहिए।
सवाल : 2017 तक ऐसा माना जाता था कि मोदी-शाह की जोड़ी को हराया नहीं जा सकता है। लेकिन उसके बाद ऐसा क्यों लगने लगा है कि इन लोगों को हराया जा सकता है?
जवाब : जो लोग कहते हैं कि भाजपा नरेंद्र मोदी और अमित शाह के कारण चलती है, वे हमारी पार्टी को नहीं जानते। भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक संगठन है। हम पोलिंग बूथ की मजबूती पर चलते हैं। एक या दो लोग भाजपा नहीं चलाते। जो लोग कहते हैं कि भाजपा हार रही है, उन्हें असम, त्रिपुरा, हरियाणा के नतीजे देख लेने चाहिए। मनोबल कम होने का कोई कारण ही नहीं है। 2019 में भी जनता की भरोसा हम पर ही भरोसा करेगी।
सवाल : क्या देश को नोटबंदी की जरूरत थी? ऐसा झटका देने की जरूरत थी क्या?
जवाब : नोटबंदी अचानक नहीं थी। हमने अघोषित संपत्ति जमा कराने का ऑफर दिया था, लेकिन कम लोग आगे आए। इसके बाद भी हमने कड़े कदम उठाने की बात कही थी। हमने यह फैसला सोच-समझकर लिया था। उससे इकॉनमी की रफ्तार घटने की बात गलत है। ट्रेन भी पटरी बदलती है तो ऐसा होता है। अब फिर से इकॉनमी की ग्रोथ पुराने स्तर पर है।
सवाल : इकनॉमिक आफेंडर अभी भी देश से बाहर हैं?
जवाब : माल्या और उन जैसे अन्य कर्जखोर भागे क्यों। इसलिए क्योंकि यहां उन्हें पाई-पाई चुकानी पड़ती। उनके लिए कड़े कानून बनाए हैं और हर नियम-कानून का इस्तेमाल कर वापसी की कोशिश की जा रही है। ऐसे लोगों की विदेशों में भी संपत्ति जब्त करने का प्रयास किया गया है।
सवाल : 2013 से लेकर आपने जितने भाषण दिए 2जी, कोयला घोटाला, ये सभी तो आज भी लोधी गार्डन में वॉक करते दिख रहे हैं?
जवाब : कुछ लोग जमानत पर भी हैं। इस देश में जिसे प्रथम परिवार कहा जाता था, वह भी आज पैसों की हेराफेरी के मामले में जमानत पर है। इस देश के पूर्व वित्त मंत्री को अदालत के चक्कर काटने पड़ते हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है। हालांकि, कोई भाजपा का विरोधी है, इसलिए उसे तकलीफ हो, हम इस सोच के पक्षधर नहीं हैं। अगर मोदी कल गलत करे तो मोदी को भी भुगतना होगा। और बाकी जो पार्क में सैर कर रहे हैं, वो भी कानूनी प्रक्रिया का सामना करेंगे।
सवाल : जीएसटी को राहुल गब्बर सिंह टैक्स कहते हैं? आपका क्या कहना है?
जवाब : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जब वित्त मंत्री हुआ करते थे तबसे जीएसटी की चर्चा हो रही थी। जीएसटी संसद में सर्वसहमति से पास हुआ था। जीएसटी के बाद से देश में टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ी है। हमारे देश में 30 से 40 फीसदी टैक्स वाली चीजें थीं लेकिन अब उनपर कोई टैक्स नहीं लगता है। जीएसटी की वजह से समान सस्ते हुए हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस अध्य़क्ष राहुल गांधी की तरफ से जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताने पर कहा, मैं इन बातों पर ध्यान नहीं देता। जिसकी जैसी सोच उसके वैसे शब्द होते हैं।
सवाल : आपका लॉयल कमिटेड वोटर मसलन व्यापारी, वर्किंग क्लास, मिडिल क्लास के लोगों के लिए आपके पास ऐसा क्या है जिससे उन्हें राहत मिल सके?
जवाब : मिडिल क्लास को लेकर हमें सोच बदलनी होगी। देश को चलाने में इनका सबसे बड़ा योगदान है। निचले तबके को कुछ मिलना चाहिए, यह जिम्मेदारी भी मिडिल क्लास उठाता है। हमारा मानना है कि देश में बढ़ते मिडिल क्लास की चिंता करनी होगी। महंगाई पर लगाम कसी है, इससे मिडिल क्लास को ही राहत मिली है। एजुकेशन में मेडिकल सीटें, उड़ान योजना और ऐसी तमाम स्कीमों से मिडिल क्लास को ही लाभ मिला है। मिडिल क्लास की महत्वाकांक्षाओं वाले काम कैसे हों, इस पर हमने काम किया। मुद्रा स्कीम से 15 करोड़ लोन बंटे। यह मिडिल क्लास को ही मिले हैं।
सवाल : किसान के लिए मोदी जी ने इतना नहीं किया जितना वह कहते हैं। राहुल गांधी लगातार किसानों की बात कर रहे हैं कि एक तरफ तो वह कुछ लोगों को देश का पैसा लुटा रहे हैं और किसानों को कुछ नहीं दे रहे हैं?
जवाब : वे लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। उनका यह कहना कि उन्होंने सभी किसानों का कर्जा माफ किया, गलत है। क्योंकि सच्चाई कुछ और है। 3 लाख करोड़ रुपये हमारी सरकार ने वापस लाने का काम किया है। मेरा मानना है कि अगर कर्जमाफी से किसान को राहत मिलती है तो बिलकुल करना चाहिए। राहुल गांधी किसानों को झूठ का लॉलीपाप दे रहे हैं। कर्जमाफी एक चुनावी स्टंट है। लेकिन जो राज्य चाहें कर्जमाफ कर सकते हैं। हमारी सरकार भी कुछ राज्यों में ऐसा कर रही है। देवीलाल के जमाने में भी कर्ज माफ हुआ, 2008-09 में भी ऐसा हुआ। लेकिन कर्जमाफी बार-बार करने के बाद भी किसान संकट में है। इसके लिए हमें उन्हें मजबूत करना होगा। बीज से लेकर बाजार तक किसानों को सुविधा दी जानी चाहिए। करीब 100 योजनाएं सालों से लटकी थीं, लेकिन हमने उस पर काम किया। हमारी सरकार ने 22 फसलों के एमएसपी को बढ़ाया है। फूड प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन पर काम कर रहे हैं। ट्रांसपोर्टेशन और वेयरहाउसिंग पर भी काम कर रहे हैं। हम किसान को अन्नदाता के अलावा ऊर्जादाता भी बनाना चाहते हैं।
सवाल : तीन तलाक की तरह राम मंदिर के निर्माण को लेकर अध्यादेश क्यों नहीं लाया जा सकता?
जवाब : तीन तलाक़ का अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद लाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पहले नहीं लाया गया है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रकाश में लाया गया है। इसलिए हमने और भारतीय जनता पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में भी कहा है कि संविधान की मर्यादाओं में हम इसका समाधान करेंगे। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि आज़ादी के 70 साल बाद सरकारों में बैठे लोगों ने इस मसले को रोकने के लिए भरपूर प्रयास किया है। आज भी मामला सुप्रीम कोर्ट में है। मैं कांग्रेस के साथियों से विशेष रूप से विनती करता हूं, देश की शांति, सुरक्षा और भाईचारे के लिए विनती करता हूं कि वे उनके अपने वकीलों को कोर्ट के अंदर इस मसले पर रुकावट डालने वाले एजेंडे से बाहर निकालें। रुकावटें न करें और सभी वकील मित्र, जो भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं, जो इसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं वे भी कोर्ट में जाकर के जल्दी से जल्दी न्यायिक प्रक्रिया पूरी हो, उसमें हम बल लगाएं। कोर्ट के अंदर कांग्रेस के वकील जो अड़ंगे डालते हैं, वो बंद हो। न्याय की प्रक्रिया को न्याय के तरीके से चलने दिया जाए। उसे राजनीति के तराजू से न तौला जाए। मामला न्यायपालिका में है, उसको पूर्ण किया जाए। न्यायपालिका से आने के बाद सरकार की ज़िम्मेदारी जहां से शुरू होती है, हम पूरी तरह से प्रयास करने के लिए तैयार हैं।
सवाल : सबका साथ सबका विकास को लेकर आपके ऊपर अभी भी सवाल उठ रहे हैं?
जवाब : हिंसा की एक भी घटना बर्दाश्त नहीं की जा सकती। संविधान में जो भावनाएं हैं, उनका भी आदर करने की जरूरत है। एक खाड़ी देश के मुस्लिम स्कॉलर ने लेख लिखा था और भारत की सहिष्णु संस्कृति की सराहना की थी। हर चुनाव से पहले कुछ लोगों को असहिष्णुता दिखने लगती है तो यह गलत है। हमने 18000 गांवों में बिजली दी, लेकिन यह नहीं पूछा कि किस गांव में किस संप्रदाय के लोग रहते हैं। उज्ज्वला योजना लाए तो जाति-संप्रदाय की बात नहीं की।
सवाल : मॉब लिंचिंग और इमरान के बयान पर क्या कहेंगे? मुसलमानों में असुरक्षा क्यों है?
जवाब : ऐसी कोई भी घटना सभ्य समाज को शोभा नहीं देती है। ऐसी घटनाओं के पक्ष में कभी भी आवाज नहीं उठनी चाहिए। क्या यह 2014 के बाद शुरू हुआ है। यह समाज के अंदर आई हुई एक कमी का फैलाव है। इस स्थिति को सुधारने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना चाहिए। अरब देश के एक बहुत बड़े विद्वान हैं। उन्होंने कहा- हिंदुस्तान में कई संप्रदायों के लोग हैं, लेकिन वहां सभी लोग मिल-जुलकर रहते हैं। हम लोग एक ही समुदाय हैं, तब भी यहां लड़ाइयां होती हैं। हर चुनाव के पहले लोगों को असहिष्णुता दिखने लग जाती है तो यह लोगों का एजेंडा है। 18 हजार गांवों में बिजली पहुंची, सौभाग्य योजना पहुंची.. हमने यह तो नहीं पूछा कि किस समुदाय के लोग हैं।
सवाल : एक तरफ तीन तलाक तो दूसरी तरफ शबरीमाला का मामला- दोनों मुद्दों को लेकर अलग-अलग मानदंड क्यों?
जवाब : दुनिया में तमाम इस्लामिक देशों ने भी तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। यह धर्म का मसला होता तो हर जगह लागू होता। यह लैंगिक न्याय का मसला है और इसका धर्म से लेना-देना नहीं है। हिंदुस्तान में कई मंदिर ऐसे हैं, जहां पुरुष भी नहीं जा सकते। यह छोटे दायरे की बात है।
सवाल : महागठबंधन जिसका मजाक उड़ाया जाता था जो अब बनता जा रहा है। नायडू कह रहे हैं कि केसीआर के गठबंधन को आप समर्थन दे रहे हैं। इस बारे में आपका क्या कहना है?
जवाब : केसीआर गठबंधन बना रहे हैं यह मेरे सामने अभी नहीं आया। तेलंगाना में जिस तरह से महागठबंधन का हाल बेहाल हुआ, उससे उनकी पीड़ा झलकती है। आखिर महागठबंधन क्यों बन रहा है? पांच साल हो गए, इस महागठबंधन ने देश के सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर कुछ कहा है क्या? अभी भी उनके यहां पर दो-दो सुर निकलते हैं। ये लोग एक-दूसरे को सहारा देकर बचने की कोशिश कर रहे हैं। उनका एकमात्र एजेंडा मोदी है। 2014 में जितने दल थे, उससे ज्यादा दल अब हमारे साथ जुड़ रहे हैं। (मायावती के सवाल पर कहा) कौन जुड़ रहा है और कौन नहीं इसका जिक्र कोई समझदार आदमी टीवी के सामने नहीं करेगा। तेलंगाना में महागठबंधन का बुरा हाल हुआ। जम्मू-कश्मीर में गठबंधन के लोगों ने तय किया कि चुनाव का बहिष्कार करेंगे। जनता ने रिकॉर्ड वोट दिए। त्रिपुरा में भी भाजपा जीती, गठबंधन हारा। (उद्धव के चौकीदार चोर है जुमले पर कहा) देखिए, हमें पूर्ण बहुमत मिला। गठबंधन का धर्म है- सबके साथ विचार-विमर्श करके हम निर्णय लेते हैं। साथी दल भी तरक्की करें यह उनकी इच्छा है। हम भी यही चाहेंगे। महागठबंधन में जो लोग हैं, वे कांग्रेस से कभी ना कभी निकले थे और उनके विरोध से पैदा हुए।
- राफेल पर बोले, मैं राहुल गांधी से क्यों उलझूं
राफेल डील पर राहुल गांधी के आरोपों पर चुप्पी साधने को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि यह मेरे पर व्यक्तिगत आरोप नहीं है। मुझ पर आरोप है तो उन्हें खोजकर निकालना चाहिए कि किसने दिया, कब दिया और कहां दिया। मैंने इस पर संसद में बात रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने बाल की खाल निकाल कर रख दी है। पत्थर मारकर, कीचड़ उछालकर नहीं भागना चाहिए। उन्हें यह बोलने की बीमारी है तो मुझे क्या उसमें उलझा रहना चाहिए।
- उर्जित पटेल के इस्तीफा देने पर क्या कहा?
मैं पहली बार इस बात का खुलासा कर रहा हूं, उन्होंने मुझे (उर्जित पटेल) इस्तीफा देने से 6-7 महीने पहले ही इस बारे में बता दिया था। उन्होंने यह लिखित में भी दिया था। उन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से लिख कर 'व्यक्तिगत कारणों' का हवाला दिया था। मैं स्वीकार करता हूं कि पटेल ने आरबीआई गवर्नर के रूप में अच्छा काम किया।
- सर्जिकल स्ट्राइक से पहले थी बेचैनी
सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान मन में क्या था, यह पूछने पर पीएम मोदी ने कहा कि उड़ी की घटना ने मुझे बेचैन कर दिया था। केरल में एक मीटिंग में मैंने इसका जिक्र किया था। मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था। मैंने सेना के लोगों से बात की तो देखा कि उनके भीतर मुझसे ज्यादा आग है। मैंने उन्हें खुली छूट दी, फिर वो प्लान लेकर आए। इस ऑपरेशन की डेट बदलनी पड़ी। बहुत बड़ा रिस्क था। यह रिस्क राजनीतिक नहीं था, लेकिन जवानों की ही सुरक्षा से जुड़ा था। मैंने सूर्योदय से पहले लौटने का आदेश दिया। स्पेशल ट्रेनिंग दी गई थी। मैं लाइव कॉन्टेक्ट में था, लेकिन सुबह जानकारी आनी बंद हो गई। सूर्योदय के बाद भी खबर नहीं आई तो बेचैनी हुई। मेरी चिंता यह थी कि मेरा जवान जिंदा लौटे। फिर एक खबर आई कि वापस सीमा में नहीं पहुंचे हैं, लेकिन हमारी दो-तीन टुकड़ियां सेफ जोन में आ गई हैं। फिर भी मैंने कहा कि आखिरी जवान के वापस आने तक की मुझे जानकारी दी जाए। सेना ने जिस तरह का ऑपरेशन किया, उससे सेना के नए सामर्थ्य का पता चला। चीन से दोस्ती के प्रयास और फिर डोकलाम की घटना को नेहरू की तरह धोखा खाने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि हमें यह देखना चाहिए कि डोकलाम में क्या कदम रहा।
- विदेश यात्राएं ज्यादा नहीं, चर्चाएं ज्यादा हैं'
विदेश यात्राओं की संख्या को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि लगभग हर पीएम की यात्राएं करीब-करीब इतनी ही रही हैं। कई तरह के फोरम बनने के चलते ऐसा करना पड़ता है। मनमोहन सिंह जी को भी ऐसा करना पड़ता था। हां, इतना है कि मैं कहीं जाता हूं तो पड़ोस के भी देशों में होकर आता हूं। पहले जाते थे तो जहां जाते थे वहां भी कोई चर्चा नहीं होती थी। लेकिन, मैं जब जाता हूं और आता हूं तो दोनों जगहों पर चर्चा होती है।
- गंगा की सफाई के मुद्दे पर क्या कहा?
गंगा सफाई बहुत बड़ा काम है. गंगा में गंदगी डालने से रोकने का काम मुख्य है. कोशिशों के बाद 120 साल पुराना गंदा नाला गंगा में गिरने से रोका गया है। हम गंगा की सफाई के लिए लगातार और बड़ा काम कर रहे हैं।
- पाकिस्तान और चीन से रिश्ते
अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन से रिश्तों पर भी प्रधानमंत्री ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि एक लड़ाई से पाकिस्तान सुधर जाएगा ये सोचना बहुत बड़ी गलती होगी। पाकिस्तान को सुधरने में अभी और समय लगेगा। पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर सरकार की क्या योजना है इस बारे में मीडिया में नहीं बताया जा सकता। वहीं चीन को लेकर उन्होंने कहा कि भारत को डोकलाम पर उसके जवाब के लिए जाना जाएगा। भारत ने ऐसा कुछ नहीं किया, जिसे धोखा माना जाए। लेकिन हमारी शुरू से स्थिति रही है कि वह पड़ोसियों से दोस्ताना रिश्ते चाहता है।