राजनीति की ए बी सी डी हमने अटल जी से सीखी : अरविन्द गुप्ता
दिल्ली के जिला करोल बाग के भाजपा उपाध्यक्ष अरविन्द कुमार गुप्ता किसी परिचय के मोहताज नहीं। साल 1975 में जनसंघ के समय से ही सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने वाले अरविन्द राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में निचले स्तर पर काम करते हुए भाजपा की राजनीति तक पहुंचे। भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी सहित भाजपा के कई बड़े नेताओं के साथ काम चुके अरविन्द ने हमेशा मुख्यधारा की राजनीति से इतर संगठन में रहकर पार्टी को मजबूत करने में ज्यादा भरोसा किया। लेकिन जब मुख्यधारा की राजनीति का जिम्मा पार्टी ने उन्हें सौपा, तो वह उसे भी बखूबी निभा रहे हैं। अरविन्द गुप्ता अटल जी को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं और उनका कहना है कि राजनीति की ए बी सी डी हमने उन्हीं से सीखी। वरिष्ठ पत्रकार जयराम ने सत्ता विमर्श के लिए उनके प्रारंभिक और राजनीतिक जीवन पर विस्तार से बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश :
सवाल : आपसे पहला सवाल यही है कि आपकी शुरूआती शिक्षा कहां से हुई?
जवाब : मुझे आज भी याद है, जब मैं छह साल का था, मेरे पिताजी का निधन हो गया था। मेरी मां ने हमें बहुत मुश्किल से दूसरों के घरों में कपड़े सिलकर पाला। आर्थिक हालत बेहद कमजोर होने के कारण मेरी स्कूल की पढ़ाई वेस्ट पटेल नगर के सरकारी स्कूल से हुई। उसके बाद, ओल्ड राजेंद्र नगर से मैंने बीकॉम किया। पढ़ाई के साथ-साथ मैंने शाम की नौकरी भी की। वो वक्त हमारे लिए काफी कष्टदायक था। साल 1977 में मैंने अपना पहला चुनाव वाइस प्रेसिडेंट पद के लिए लड़ा और जीता। राजनीति में यहीं से मेरी शुरूआत हुई।
सवाल : आप कभी फ्रंट में नहीं दिखे?
जवाब : मेरी परिवारिक पृष्ठभूमि ही ऐसी रही है। संघ की पृष्ठभूमि होने के कारण एक स्वयंसेवक के रूप में मैंने समाज के लिए बहुत काम किया और मुझे समाज के लिए काम करने में आनंद की अनुभूति होती है। ऐसा नहीं है कि मैंने फ्रंट में काम नहीं किया। मैं साल 1984 में करोलबाग जिले का भाजपा युवा मोर्चे का अध्यक्ष रहा। उससे पहले जब अरूण जेटली दिल्ली युवा मोर्चे के अध्यक्ष थे, उनके साथ काम किया। अरूण जेटली जिस ऊर्जा के साथ काम करते आये हैं, वो लाजवाब है। उनके साथ काम करने का एक अलग अनुभव रहा है।
सवाल : आप राजनीति को कैसे देखते हैं?
जवाब : पहले हम लोग संगठन में काम करते थे, तो स्वयं से ज्यादा दूसरों से प्यार होता था। व्यक्ति में स्वार्थ नहीं रहता था। हमेशा यही प्रयास रहता था कि संगठन कैसे आगे बढ़े। आज की राजनीति में व्यक्ति का स्वार्थ निहित है। लोगों में समाज सेवा वाला भाव अब कहीं नहीं दिखता। उस वक्त जब हम संगठन में थे, कार्यकर्ता को घर से लाकर चुनाव लड़ने को कहते थे। और वो भी व्यक्ति चुनाव लड़ने से मना कर देता था, कहता था मुझे संगठन में ही काम करना है। लेकिन अब धन-बल की राजनीति हो गई है। लोगो में समाज के प्रति सेवा भाव नहीं रहा। जब से हमें भाजपा के साथ काम करने का सौभाग्य मिला, मैंने राजनीति को समाज सेवा के रूप में लिया है। मैंने मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ काम किया है। बाद में जी. किशन रेड्डी के साथ काम किया, जो तेलंगाना विधानसभा में भाजपा के नेता और विधायक रहे हैं। मेरे साथ के कई लोग आज सांसद और मंत्री हैं।
सवाल : राजनीति में आप किसे अपना गुरु मानते हैं, जिससे आपने बहुत कुछ सीखा हो?
जवाब : अटल जी हमारे राजनीति गुरु रहे हैं। जब जनसंघ (पहले की भाजपा) की केवल दो सीटें थी और सिर्फ अटल और अडवानी जीते थे उस वक्त वो हमारी बैठकें लिया करते थे। हमने अभी हाल ही में जनता विद्यार्थी मोर्चे का एक बड़ा कार्यक्रम रखा था। इस कार्यक्रम में हमने लगभग 41 साल पुराने लोगों को इकठ्ठा किया और इस प्रोग्राम में कई पुराने लोग मिले। कई लोग तो इतने सालों बाद एक-दूसरे को देखकर आपस में रोने लगे। इस कार्यक्रम में देश भर से तकरीबन साढ़े छह सौ लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यमक्रम के बारे में बहुत से लोगों ने कहा कि अरविंद जी आपने इतने सालों बाद कितने सारे लोगों को आपस में मिलवाया है। आप धन्यवाद के पात्र हैं। मुझे भी बहुत से पुराने साथियों से मिलकर बहुत खुशी हुई।
सवाल : अटल जी के बारे में आप क्या सोचते हैं, थोड़ा विस्तार से बताइए?
जवाब : अटल जी जैसा नेता देश की राजनीति में कोई दूसरा नहीं होगा। अब अटल जी इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन राजनीति की ए बी सी डी मैंने उनसे ही सीखी। भारतीय राजनीति में अटल जी का कोई दुश्मन रहा होगा, मुझे नहीं लगता। भारत की राजनीति में सभी उनके दोस्त थे। दोस्ती और भाईचारे की बात भी हमने उन्हीं से सीखी। हमारे वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन व्यक्तिगत नहीं होने चाहिए। अब ऐसा नहीं है, भारत की राजनीति काफी बदल चुकी है, जो ठीक नहीं है। हमारे देश की राजनीति साफ-सुथरी और मिलनसार होनी चाहिए। एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान होने के साथ-साथ देश और लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए। अटल जी के बारे में एक बात और कहना चाहूंगा कि अटल जी ने कश्मीर समस्या सुलझाने के लिए बहुत प्रयास किए थे। ये वक्त की बात है कि वे दूसरे कार्यकाल में नहीं रहे और कांग्रेस की सरकार आ गई। अगर अटल जी होते तो शायद कश्मीर में काफी कुछ बदलाव देखने को मिलता और हो सकता था कि कश्मीर की जो समस्या आज है वो शायद न होती।
सवाल : वर्तमान में आप केंद्र और दिल्ली की राजनीति को कैसे देखते हैं?
जवाब : आम आदमी पार्टी के उदय होने से पहले दिल्ली की जनता एक बार कांग्रेस एक बार भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली की सत्ता में लाती थी। लेकिन ये दिल्ली का दुर्भाग्य है कि दिल्ली में जो पिछले चुनाव हुए, वो दिल्ली की जनता के लिए ठीक नहीं। मैं भी सामाजिक क्षेत्र का व्यक्ति हूं और अरविन्द केजरीवाल भी। लेकिन जिस तरह का उनका व्यवहार है, मैं उन्हें सामाजिक आंदोलनों का हत्यारा कहूंगा। क्योंकि जिस उम्मीद से दिल्ली की जनता ने उन्हें चुना, वो जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहे हैं। मैं बहुत जगह जाता हूं और देखता हूं कि दिल्ली की जनता परेशान है। नरेंद्र मोदी जी के आने के बाद से पूरे हिंदुस्तान में जो बदलाव हुआ वो दिखता है। दूरदराज के लोगों के भी बैंक में खाते खुल चुके हैं। मोदी जी ने जो काम किया है, वो आने वाले समय में दिखेगा और बोलेगा। अगर देश की जनता ने उन्हें अगला कार्यकाल दिया तो मुझे उम्मीद है आने वाले समय में भारत विश्वगुरु बने, इसमें कोई दो राय नहीं। जिस हिसाब से नरेन्द्र मोदी जी की प्लानिंग चल रही है, हमारा भारत एक नए रूप में दिखेगा।
सवाल : राहुल गांधी के बारे में आप क्या सोचते है? क्या परिवारवाद देश की राजनीति को गर्त में ले जा रहा है?
जवाब : राहुल गांधी जी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, बस इतना ही कहूंगा कि वो अपनी मां के सुन्दर बेटे हैं। हर मां को अपना बेटा अच्छा लगता है, वो अपनी मां के अच्छे बेटे हो सकते हैं, परन्तु अच्छे राजनेता नहीं हैं। राजनीति में उन्हें अभी वक्त लगेगा। ऐसा नहीं कि कांग्रेस में अच्छे नेता नहीं हैं, कांग्रेस में भी बहुत अच्छे नेता हैं और सभी पार्टियों में अच्छे नेता होते हैं। लेकिन भाजपा में चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है, कोई भी छोटे से छोटा नेता अध्यक्ष हो सकता है। परन्तु कांग्रेस में ऐसा नहीं है। राहुल जी सक्षम हों या न हो, कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वही रहेंगे, वहां परिवारवाद चलता आ रहा है। परिवारवाद ही देश और देश की राजनीति को गर्त में ले जा रहा है। आप देख भी रहे हैं कि एक ही परिवार पिछले 60 सालों से देश को चला रहा है और कई प्रदेशों में भी ऐसा हो रहा है। अगर परिवारवाद नहीं होता तो देश की तस्वीर आज कुछ और ही होती।
सवाल : इस वक्त देश की कई पार्टियां मिलकर एक राष्ट्रीय गठबंधन बना रही हैं, आपको लगता है, ये सफल हो पाएगा?
जवाब : पिछले दिनों कई ऐसे चुनाव हुए, जिनमें भाजपा की हार और जीत हुई। आपने देखा कि पहले दिल्ली की सातों सीटें जनता ने भाजपा को दी और फिर कुछ दिनों बाद ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए और जनता ने दिल्ली की सत्ता आम आदमी पार्टी के हाथों में दे दी। उसके बाद कॉरपोरेशन के चुनाव में जनता ने फिर से भाजपा को जिताया। इससे साफ ज़ाहिर होता है कि जब देश का चुनाव होता है तो जनता देश के बारे में सोचती है। वो हर चुनाव में अलग तरह से सोचती है। मुझे लगता है कि आने वाले चुनाव में देश की जनता फिर से नरेन्द्र मोदी जी को ही प्रधानमंत्री चुनेगी क्योंकि मामला देश का है। मुझे लगता है कि देश में नरेन्द्र मोदी से अच्छा नेता कोई है नहीं। इसलिए इस गठबंधन का कोई मतलब नहीं है और न ही ये चल पाएगा क्योंकि इस गठबंधन में हर कोई अपने आप में बड़ा नेता है और जितने नेता उतने ही प्रधान मंत्री। देश की जनता बड़ी समझदार है, वो ऐसे गठबंधन को नहीं मानेगी।
सवाल : पश्चिम बंगाल की राजनीति के बारे में आप क्या कहेंगे?
जवाब : पश्चिम बंगाल में भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है। जब वहां सीपीएम की सरकार थी तब भी वहां ऐसे ही कांग्रेस ओर भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्याएं होती थी। ये ठीक नहीं है। मुझे नहीं लगता कि वहां हिन्दू सुरक्षित है। वहां ममता बनर्जी के गुंडों का राज व्याप्त है और गुंडागर्दी चरम पर है। हाल ही में आपने देखा होगा कि टीएमसी के अलावा अन्य जीते हुए लोग अपने घर नहीं जा पा रहे हैं। ममता बनर्जी वहां जिस प्रकार से मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं, वो बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए बहुत खतरनाक है। पश्चिम बंगाल के हालात इस वक्त ठीक नहीं हैं। वहां की जनता को इसके खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए और मुझे लगता है कि आने वाले समय में वहां की जनता इसका जवाब जरूर देगी।
सवाल : अंतिम सवाल, आप एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। संघ की पृष्टभूमि होने के बावजूद आपने कई मुस्लिम लड़कियों की शादी कराई है। क्या कभी कोई दिक्कत सामने आई है?
जवाब : संघ कभी ये नहीं कहता कि किसी दूसरे धर्म की इज्जत मत करो। बल्कि संघ सिखाता है कि सबका सम्मान करो, सबकी सहायता करो, चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, सिख हो या ईसाई सबको साथ लेकर चलो। सब अपने हैं, कोई पराया नहीं। संघ ने ही हमें ये सिखाया कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की सेवा करनी चाहिए। लोगों की सेवा करना मुझे अच्छा लगता है, मन को बड़ा सुकून मिलता है। मैं सबसे यही अपील करता हूं कि गरीब और मजबूर लोगों की सहायता करें, उनके जीवन में भी उजाला लाने की कोशिश करें, अपने साथ-साथ उनको भी आगे बढ़ने का मौका दें। क्योंकि देश में सब भाई-बहन आगे बढ़ेंगे तो निश्चित ही हमारा देश भी आगे बढ़ेगा। मैं कितने ही सालों से करवाचौथ का कार्यक्रम कराता हूं, काफी बड़ा प्रोग्राम होता है और हर साल हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष आते हैं। हाल ही में करवाचौथ के ही प्रोग्राम में लोकजन शक्ति पार्टी की प्रियाचरण नाम की एक महिला नेता अपने साथ एक व्यक्ति जिसका नाम कल्लू मियां था, को साथ लेकर आई जिसका एक पैर कटा हुआ था और वह बैसाखी के सहारे चल रहा था। प्रियाचरण ने हमें बताया कि इनकी एक बेटी है, बहुत गरीब है। बेटी की शादी करनी है, इसीलिए ये आपके पास आये हैं। मैंने कहा ठीक है। तभी प्रियाचरण ने मुझसे धीरे से कहा कि ये मुसलमान हैं और आप संघी। उनको बीच में ही रोकते हुए मैंने कहा कि क्या अब बेटियां भी हिन्दू-मुस्लिम होने लगी। मैंने निश्चय किया कि इस बेटी की शादी मैं करूंगा और उनके ही रीति-रिवाज से मैंने उस बिटिया की शादी कराई। तभी मैंने उस शादी के दौरान वहां के सारे लोगों से आग्रह किया कि बेटी को बेटी ही रहने दो, उसको हिन्दू-मुसलमान मत बनाओ।