त्रिपुरा में माकपा के मुखपत्र देशेर कथा का रजिस्ट्रेशन रद्द
सत्ता विमर्श ब्यरो
नई दिल्ली : त्रिपुरा में एक अक्टूबर को माकपा के मुखपत्र डेली देशेर कथा का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया। इसे लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भारत के रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर फॉर इंडिया (आरएनआई) के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इसकी जांच कराने की मांग की है कि फैसला राजनीति से प्रेरित तो नहीं है।
भारत के रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर फॉर इंडिया (आरएनआई) ने सोमवार को एक पत्र में कहा कि इसका प्रकाशन पश्चिम त्रिपुरा के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट संदीप महात्मे के निर्णय के आधार पर रद्द किया गया है। आरएनआई ने कहा कि बांग्ला भाषी समाचार पत्र का पंजीकरण रद्द करने का कारण मालिकाना हक में अनधिकृत बदलाव है।
मुखपत्र के वरिष्ठ संवाददाता राहुल सिन्हा के मुताबिक, एक दैनिक के रूप में, देशेर कथा ने 15 अगस्त, 1979 से प्रकाशन शुरू किया। यह त्रिपुरा में स्थापित अखबार है लेकिन जब से भाजपा ने त्रिपुरा में सरकार बनाई है, तब से राज्य सरकार इसे बंद करने की कोशिश कर रही थी। उन्होंने कहा, हमें लगातार धमकियां और नौकरशाही बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, हमारे संवाददाताओं को पीटा जा रहा है और हमारे अख़बार को वितरित वाले एजेंटों को धमकी दी जा रही है। यह मौलिक अधिकारों और पूरे लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है।
मालूम हो कि आरएनआई ने एक अक्टूबर को संशोधित रजिस्ट्रेशन जारी किया था, लेकिन एक दिन के अंदर ही उसे वापस भी ले लिया गया। सिन्हा ने कहा कि ये फैसला राजनीति से प्ररित है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा कि अगरतला से प्रकाशित डेली देशेर कथा का पंजीकरण रद्द करने के आरएनआई के फैसले की वह निंदा करता है।
बयान के मुताबिक, गिल्ड का यह मानना है कि संपादक, प्रिंटर और प्रकाशक की सूचना के मेल नहीं खाने जैसी मामूली बात पर प्रकाशन का पंजीकरण रद्द करना ना केवल अनावश्यक प्रतिक्रिया है बल्कि एक कठोर कदम भी है। यह मीडिया की आजादी को कुचलने वाला फैसला है।