सोहराबुद्दीन मामले: हाईकोर्ट ने मीडिया पर सीबीआई कोर्ट के गैग ऑर्डर को किया खारिज
मुंबई उच्च न्यायालय ने सीबीआई अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई की कार्यवाही की रिपोर्टिंग या प्रकाशन करने से पत्रकारों को रोका गया था। कोर्ट ने आदेश को पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। इस मामले में 29 नवंबर से ट्रायल शुरू होने के पहले दिन से ही मीडिया कवरेज पर प्रतिबंध लगा हुआ था।
तो क्या 'नेट न्यूट्रैलिटी' थ्यौरी को मिटा देना चाहिए?
जब कोई भी व्यक्ति किसी ऑपरेटर से डाटा पैक लेता है तो उसका अधिकार होता है कि वो नेट सर्फ करे या फिर स्काइप पर वॉयस या वीडियो कॉल करे। इस पर एक ही दर से शुल्क लगता है। लेकिन अगर नेट न्यूट्रैलिटी खत्म हुई तो इंटरनेट डाटा के मामले में हर सुविधा के लिए अलग से भुगतान करना पड़ेगा।
क्या अनुच्छेद 370 खत्म होना चाहिए?
देश की नवनिर्वाचित नरेंद्र मोदी नीत एनडीए की सरकार के मंत्री द्वारा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर दिए गए बयान के बाद विवाद गहरा गया है। पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर ‘असहमत’ लोगों को मनाया जाएगा।
संसदीय इतिहास का काला दिन!
15 वीं लोकसभा ने किस अंदाज और सुरूर में काम किया वो सबके सामने है। खासकर अंतिम सत्र और इस सत्र का एक दिन तो देश जब भी याद करेगा उसे अफसोस होगा। और वो दिन 13 फरवरी 2014 का है। इस दिन एक सांसद को तो पेपर स्प्रे मंत्री तक की उपाधि मिल गई। तेलंगाना विधेयक के मुद्दे पर संसद में हुये इस शर्मनाक वाकये से लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार भी सन्न रह गईं
नरेंद्र मोदी का पीएम बनना देश के लिए घातक है?
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में बड़े ही सख्त लहजे में कहा कि अगर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को देश पर शासन करने का मौका मिलता है तो यह देश के लिए घातक होगा। मनमोहन की इस टिप्पणी के बाद पूरे देश की सियासी भूचाल आ गया है और पीएम पर सवाल उठने लगे हैं।
ओपिनियन पोल : 'हां' या 'ना'
कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग के उस विचार का समर्थन किया है जिसमें आयोग ने ओपिनियन पोल पर रोक लगाने की दलील दी है। कांग्रेस पार्टी ने जहां इस पर प्रतिबंध लगाने की जोरदार वकालत की है। वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा का कहना है कि ऐसा करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन होगा।
क्या राजनीति दल पब्लिक अथॉरिटी नहीं है?
केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले के बाद सूचना के अधिकार के दायरे में राजनीतिक दलों को होना चाहिए या नहीं होना चाहिए को लेकर जो एक बहस छिड़ी थी वह लगभग दम तोड़ गया है। क्योंकि सरकार ने फैसला किया है कि इससे संबंधित आरटीआई कानून में संशोधन लाया जाएगा और इसे संसद से पारित कराकर कानून बना दिया जाएगा जिसमें राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार कानून के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान होगा। इसमें सभी राजनीतिक दलों की एक राय है।