रेलवे के निजीकरण की सरकार की कोई योजना नहीं : पीयूष गोयल
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि रेल यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और पटरियों के रखरखाव के बड़े पैमाने पर जारी काम के कारण ट्रेनें देरी से चल रही हैं। पटरियों की मरम्मत सदियों से लंबित थी। यात्रियों को पता है कि ट्रेनें क्यों देरी से चल रही है। वे जानते हैं कि भारतीय रेलवे भविष्य के लिए तैयार हो रही है। रेलवे के निजीकरण के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने स्पष्ट तौर पर कहा, रेलवे के निजीकरण की कोई योजना नहीं है और भविष्य में भी ऐसा नहीं होगा।
केंद्रीय रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल सोमवार को एक वृहद संवाददाता सम्मेलन में अपने प्रभार वाले मंत्रालयों की चार वर्षीय उपलब्धियों के बारे में मीडिया को जानकारी दी। गोयल के साथ संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा और रेल राज्य मंत्री राजन गोहेन (गुवाहाटी वीसी लिंक के माध्यम से) और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी भी जुड़े। गोयल ने 12 शहरों यथा अहमदाबाद, भोपाल, चेन्नई, गुवाहाटी, इम्फाल, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, पुणे, पटना, रायपुर एवं रांची में मौजूद मीडिया के साथ भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। इस विशेष अवसर पर पिछले 4 साल की उपलब्धियों वाली पुस्तिका (बुकलेट) का विमोचन किया। इस विशेष अवसर पर दो मोबाइल एप ‘रेल मदद’ और ‘मेन्यू ऑन रेल्स’ भी लॉन्च किए गए।
पीयूष गोयल ने महात्मा गांधी, जिनकी 150वीं जयंती वर्ष 2019 में मनाई जाएगी, से अत्यंत प्रेरित माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में राष्ट्र की सेवा के संकल्प को दोहराया। पिछले चार वर्षों में सरकार ने 'साफ नीयत, सही विकास' के दर्शन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा को भारतीय रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता बना दिया है। सुरक्षा अब सर्वोच्चप्राथमिकता हो गई है और इसके परिणामस्वरूप ट्रेन दुर्घटनाएं वर्ष 2013-14 के 118 से घटकर वर्ष 2017-18 में 73 रह गईं। इस तरह ट्रेन दुर्घटनाएं घटकर 62 प्रतिशत के स्तर पर आ गईं। एक लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (आरआरएसके) फंड को 5 वर्षों में सुरक्षा खर्च के लिए आवंटित किया गया है। असुरक्षित रेलवे क्रॉसिंग की समस्या से युद्ध स्तर पर निपटने के लिए पिछले चार वर्षों में 5,479 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को समाप्त किया गया है। सुरक्षा में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए अन्य उपायों के तहत भर्ती के माध्यम से 1.1 लाख सुरक्षा पद भी भरे जा रहे हैं।
नए भारत के लिए बुनियादी ढांचे की नींव रखकर पूंजीगत व्यय में व्यापक वृद्धि की गई है। पिछले 4 वर्षों में औसत वार्षिक पूंजीगत व्यय दरअसल वर्ष 2009-14 के दौरान हुए औसत व्यय की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। रेलवे अत्यंत तेज गति से पूरे भारत को जोड़ रही है। नई लाइनों को चालू करने की औसत गति में 59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जो 4.1 किमी (2009-14) से बढ़कर 6.53 किमी प्रति दिन (2014-18) के स्तर पर पहुंच गई है। उन्नयन और बेहतर बुनियादी ढांचे के लिए बेंगलुरू उपनगरीय प्रणाली (2018-19 के बजट में 17,000 करोड़ रुपये) और मुंबई उपनगरीय प्रणाली (2018-19 के बजट में 54,777 करोड़ रुपये) हेतु व्यापक निवेश निर्धारित करने से भारत के शहरी क्षेत्रों में नियमित दैनिक यात्रियों की आवाजाही को काफी बढ़ावा मिला है।
मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एचएसआर) गति, सुरक्षा और सेवा के माध्यम से भारत के परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। एचएसआर परियोजना से ‘मेक इन इंडिया’ संबंधी लाभों के अलावा रेलवे लातूर, (मराठवाड़ा) महाराष्ट्र; न्यू बोंगाईगांव, असम; लुमडिंग, असम; झांसी, (बुंदेलखंड) उत्तर प्रदेश और सोनीपत, हरियाणा में अनेक आगामी परियोजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार अवसर और आर्थिक विकास सृजित कर रही है। रेलवे ने विद्युतीकरण में छह गुना वृद्धि के साथ टिकाऊ रेल परिवहन की ओर अग्रसर होना शुरू कर दिया है। इसके तहत विद्युतीकरण को वर्ष 2013-14 के दौरान 610 आरकेएम से बढ़ाकर वर्ष 2017-18 के दौरान 4,087 आरकेएम कर दिया गया।
रेलवे ने वर्ष 2017-18 में 1,162 एमटी और वर्ष 2016-17 में 1,107 एमटी की सर्वाधिक माल ढुलाई के साथ देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। माल ढुलाई आमदनी भी पिछले साल की तुलना में अनुमानित 12 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2017-18 में लगभग 1.17 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई है। वर्ष 2019-20 तक विभिन्न चरणों में समर्पित माल गलियारों (डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर) के चालू हो जाने से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा।
डिजाइन में स्थानीय कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देते हुए रेलवे एस्केलेटर, लिफ्ट, नि:शुल्क वाई-फाई इत्यादि सहित आधुनिक सुविधाएं स्थापित करके स्टेशनों का रूप-रंग पूरी तरह बदलने समेत यात्री सुविधाओं को बेहतरीन कर रही है।
मार्च 2019 तक 68 रेलवे स्टेशनों में सुधार लाया जाना निर्धारित है। सरकार ने तेजस, अंत्योदय एवं हमसफर रेलगाडि़यों का परिचालन शुरू करने समेत रेलगाडि़यों एवं रेल डिब्बों को काफी सुधार दिया है। यात्रियों की यात्रा एवं आराम संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए त्योहारी मांग पूरी करने के लिए 1.37 लाख रेल सेवाओं के साथ पिछले चार वर्षों के दौरान 407 नई रेल सेवाएं आरंभ की गई हैं। खान-पान (केटरिंग) भी रेलवे का एक फोकस क्षेत्र रहा है जिसमें 300 से भी अधिक रेलगाडि़यों में खाने-पीने की सभी वस्तुओं पर एमआरपी की प्रिंटिंग अनिवार्य कर दी गई है और इसके साथ ही गुणवत्ता एवं स्वच्छता में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए बेस किचनों में भोजन बनाने पर करीबी नजर रखने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का उपयोग किया जा रहा है।
बुनियादी ढांचे और सुरक्षा कार्यों को प्राथमिकता देने के कारण अल्पावधि में समय के पालन पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन लंबी अवधि में इससे त्वरित और सुरक्षित ट्रेन आवाजाही सुनिश्चित होगी। रनिंग समय को कम करके और नियोजित रखरखाव ब्लॉकों की अनुमति देकर ट्रेनों की समय-सारणी बेहतर कर दी गई है। ट्रेनों में किसी भी देरी के बारे में यात्रियों को सूचित करने के लिए 1,373 ट्रेनों पर एसएमएस सेवाएं आरंभ की गई हैं। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए भारतीय रेल भी अपनी ओर से इसमें अहम योगदान दे रही है। साफ-सफाई, तीसरे या अन्य पक्ष द्वारा स्वतंत्र सर्वेक्षणों सहित स्वच्छता, एकीकृत मशीनीकृत साफ-सफाई की शुरुआत , बॉयो-टॉयलेट, गंदगी साफ करने के लिए ऑटोमैटिक रेल-माउंटेड मशीन, इत्यादि पर प्रमुखता के साथ फोकस रहा है।
भारतीय रेलवे ने डिजिटल पहलों और पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है। ई-रिवर्स नीलामी नीति शुरू की जा रही है जिससे लगभग 20,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिल सकती है। अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन में सरल अनुमोदन प्रक्रियाओं की बदौलत संबंधित प्रक्रिया में लगने वाली समयसीमा 30 माह से घटाकर 6 माह हो गई है। 13 लाख से भी अधिक सदस्यों वाले रेल परिवार को सशक्त बनाने और उनका कौशल बढ़ाने के महत्व को ध्यान में रखते हुए निचले स्तर पर अधिकारों को सौंपने या हस्तांतरण करने सहित विभिन्न कदम उठाए गए हैं। वडोदरा में भारत का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय अगस्त 2018 में खुलने के लिए तैयार है। कर्मचारी सशक्तिकरण से लेकर कौशल बढ़ाने के नए अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए रेलवे अपने कार्यबल में एक नई ऊर्जा भर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रेलवे जीवन रेखा बन जाए और जो भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ताकत दे सके और 1.3 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा कर सके।
पिछले चार साल में रेल मंत्रालय की अहम उपलब्धियां और पहल इस प्रकार से हैं--
- 2017-18 में अब तक का सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा रिकॉर्ड, ट्रेन दुर्घटनाएं घटकर 62 प्रतिशत के स्तर पर आ गईं और वर्ष 2013-14 के 118 से घटकर वर्ष 2017-18 में 73 रह गईं।
-2009-14 के दौरान हुए औसत व्यय की तुलना में दोगुने से भी अधिक रहा पिछले 4 वर्षों में औसत वार्षिक पूंजीगत व्यय।
- नई लाइनों को चालू करने की औसत गति में 59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज, यह 4.1 किमी (2009-14) से बढ़कर 6.53 किमी प्रति दिन (2014-18) के स्तर पर पहुंची।
- 2018-19 के बजट में बेंगलुरू और मुंबई उपनगरीय प्रणालियों का व्यापक उन्नयन।
- मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल गति, सुरक्षा और सेवा के उच्चतम मानकों के साथ भारत के परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
- आगामी ‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाओं से रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक विकास में तेजी आएगी।
- समर्पित माल गलियारों के साथ रेलवे भीड़-भाड़ को कम करने और यात्री एवं माल ढुलाई सेवाओं को बेहतरीन करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।
- आधुनिक सुविधाओं को स्थापित करके स्टेशन पुनर्विकास की योजना के जरिए स्टेशनों का रूप-रंग पूरी तरह बदलने की दिशा में काम कर रही है रेलवे।
- पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए ई-रिवर्स नीलामी नीति सहित विभिन्न उपायों की शुरुआत की गई।
- 13 लाख से अधिक सदस्यों वाले रेल परिवार के सशक्तिकरण के साथ-साथ उनका कौशल भी बढ़ा रही है रेलवे।
- वडोदरा में भारत का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय अगस्त 2018 में खुलने के लिए तैयार है।
कोयला मंत्रालय की चार वर्ष की उपलब्धियां
केंद्रीय रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने अपने कोयला मंत्रालय की चार साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का कोयला उत्पादन 2013-14 के 462 मिलियन टन से बढ़ कर 2017-18 में 567 मिलियन टन तक पहुंच गया है। कोयला उत्पादन में 4 वर्षों (2014-18) में हुई 105 मिलियन टन की वृद्धि को हासिल करने में 2013-14 से पहले लगभग सात वर्ष लगे थे। उत्खनन के लिए खुदाई 2013-14 के 6.9 लाख मीटर की तुलना में लगभग दोगुनी बढ़ कर 2017-18 में 13.7 लाख मीटर तक पहुंच गई।
- बढ़े हुए कोयला उत्पादन से माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'सभी के लिए 24 घंटे किफायती बिजली' के विजन को साकार करने में मदद मिलेगी, जो 2022 तक नवीन भारत विजन का एक हिस्सा है।
- 4 वर्षों (2014-18) में कोयला उत्पादन में 105 मिलियन टन की वृद्धि हुई, जिसे हासिल करने में 2013-14 से पहले लगभग सात वर्ष लगे थे।
- पिछले चार वर्षों के दौरान विशिष्ट कोयला उपभोग (प्रति यूनिट बिजली के लिए आवश्यक कोयले की मात्रा) में 8 प्रतिशत की कमी आई है जो साफ नीयत, सही विकास के सरकार के दर्शन को प्रदर्शित करता है।
- देश के कोयला क्षेत्र में सुधार ने ऊर्जा क्षमता, दक्षता एवं सुरक्षा बढोतरी में योगदान दिया है।
अब तक का सर्वाधिक महत्वाकांक्षी कोयला क्षेत्र सुधार, वाणिज्यिक कोयला खनन उच्चतर निवेश एवं बेहतर प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन में सहायक होगा।
- ‘शक्ति’ के तहत-16 इंधन आपूर्ति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 45.18 मिलियन टन प्रतिवर्ष की पारदर्शी तरीके से गैर-विनियमित क्षेत्र को नीलामी की गई है।
- 89 कोयला खदानों की पारदर्शी तरीके से नीलामी की गई है और कोयला धारिता राज्यों को 100 प्रतिशत राजस्व के साथ आवंटित किया गया है जिससे खासकर, सामाजिक रूप से पिछड़े एवं आकांक्षी जिलों के लिए आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में राज्यों को सहायता मिलेगी।
- केंद्र सरकार ने कोयला एवं रेल मंत्रालयों के बेहतर समन्वयन के जरिये बेहतर माल ढुलाई पर भी फोकस किया है। कोल इंडिया का कोयला लदान 2014-15 के 195 रेक प्रति दिन से बढ़ कर 2017-18 में 230 रेक प्रति दिन हो गया है। 14 महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए कोयला निकालने हेतु समयबद्ध कार्य निष्पादन के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है।