अविश्वास प्रस्ताव पर गुणा भाग कर चुकी है भाजपा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने धमक के साथ लोकसभा में वर्तमान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा लेकिन स्पीकर सुमित्रा महाजन ने स्वीकार नहीं किया। इसके बाद ऐसा ही प्रस्ताव आन्ध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिलाने के नाम पर टीडीपी लाई तो स्वीकार कर लिया गया। शुक्रवार को इस पर चर्चा और फिर शाम को वोटिंग होगी। लगभग 15 साल के अंतराल के बाद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पटल पर रखा गया है। अब तक जो भारतीय जनता पार्टी इस प्रस्ताव को लेकर बेहद अनमनी सी दिख रही थी वही अब विपक्ष के हर वार का जवाब देने को तत्पर दिख रही है। दरअसल, ये उसके थिंक टैंक की सोची समझी रणनीति है जिसमें वो अब जनता को जताना चाहती है कि वो बहस को लेकर तैयार है और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने को लेकर अटल है। फिलहाल आंकड़े सरकार के पक्ष में है और विपक्ष में राय बंटी हुई है।
लोकसभा में 535 में से एनडीए के पास 312 सांसद होने के कारण मोदी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव से निपटने को लेकर कोई चिंता नहीं है। सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के जरिए पिछले चार वर्षों में अपनी उपलब्धियों की जानकारी संभावित मतदाताओं तक पहुंचाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही वह बहुत से राजनीतिक मुद्दों पर विपक्ष को भी घेरेगी। शुक्रवार को बहस के बाद मोदी अपना पक्ष रखेंगे। यकीनन इसमें वो अपने चिर परिचित अंदाज में जनता को मीडिया के माध्यम से अपनी बात कह पाएंगे। जानते हैं कि सप्ताहंत में उनका भाषण और उऩकी कही पर पूरे देश की नजर होगी और वो छाए रहेंगे। मोदी इसमें तीन तलाक, किसानों की समस्याएं दूर करने के लिए सरकार की कोशिशों, कांग्रेस को निशाना बनाने और भाजपा के खिलाफ विपक्ष के एकजुट होने जैसे मुद्दों को शामिल कर सकते हैं।
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि सरकार अपने प्रभावशाली वक्ताओं को विपक्ष पर हमला करने के लिए उतारेगी। वक्ताओं के नाम अभी तक तय नहीं किए गए हैं। सरकार केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज के साथ ही रविशंकर प्रसाद को भाजपा के विरोधियों का मुकाबला करने के लिए तैनात कर सकती है। लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान दलित मुद्दों पर सरकार का पक्ष रख सकते हैं, जबकि अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल पिछड़े वर्गों के अधिकारों पर सरकार की ओर से जानकारी देंगी।
भाजपा ने तैयारी पूरी कर ली है। गणित सेट हो चुका है। पार्टी ने सदन में अपने नेताओं के साथ बैठक कर उन्हें सहयोगियों और समान विचारधारा वाले दलों के साथ बातचीत करने का निर्देश दिया है। पार्टी को विश्वास है कि उसके लिए पिछले कुछ समय से मुश्किलें पैदा कर रहे 18 सांसदों वाले सहयोगी दल शिव सेना के साथ ही टीआरएस (11 सांसद) और एआईएडीएमके (37 सांसद) उसके पक्ष में वोट देंगे। टीआरएस ने कांग्रेस के साथ नहीं जुड़ने का संकेत दिया है। 20 सांसदों वाली बीजेडी भी कांग्रेस से अपनी दूरी बरकरार रख सकती है। एआईएडीएमके का भाजपा को लेकर नरम रवैया है क्योंकि पार्टी ने उसे डेप्युटी स्पीकर का पद दिया था।
टीडीपी के बाहर निकलने के बाद एनडीए से 16 सांसद घट गए थे। जेडी (यू) के एनडीए में शामिल होने से केवल दो सांसद आए हैं। भाजपा को पीएमके (1 सांसद), स्वाभिमान पक्ष (1 सांसद), 3 निर्दलीय सांसदों और दो एंग्लो इंडियन सांसदों का समर्थन मिलने की भी उम्मीद है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा, 'एनडीए अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ एकजुटता से वोट देगा। हमें विश्वास है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व के कारण हमें एनडीए के बाहर भी समर्थन मिलेगा।'
यह देखना होगा कि पूरा विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर वोट देता है या वॉक आउट किया जाता है। इस मामले में टीडीपी के जेसी दिवाकर रेड्डी पहले ही कह चुके हैं कि वो केन्द्र और अपनी पार्टी के रवैये से नाखुश हैं इसलिए वो सदन में पार्टी व्हिप के बावजूद मौजूद नहीं रहेंगे। उऩ्होंने ये भी कहा कि वो जानते हैं कि फैसला भाजपा के पक्ष में ही होगा। स्पष्ट है कि ऐसे कई होंगे जो अविश्वास प्रस्ताव को लेकर निराश हैं। खुद कांग्रेस के भीतर भी टाइमिंग को लेकर राय बंट गई है। कुछ इसे सरकार को मंच मुहैया कराने जैसा मान रहें हैं तो एक धड़े का सोचना है कि ये उनके पक्ष में होगा। इस बीच भाजपा सांसद ने कहा, 'बहस से विपक्ष को भी नीरव मोदी और बैंकिंग स्कैम, अर्थव्यवस्था की स्थिति और भीड़ की ओर से पीटकर मारने की घटनाओं जैसे मुद्दों पर अपना गुस्सा निकालने का मौका मिलेगा, लेकिन इससे हमें सत्र का बाकी हिस्सा आसानी से चलाने में मदद मिलेगी।'