बांग्लादेश में ब्लॉगर ही नहीं, विदेशी और अल्पसंख्यक भी हैं टारगेट
ललित फुलारा
नई दिल्ली : 15 जनवरी 2013 को ब्लॉगर आसिफ मोहिनुद्दीन पर हमला बांग्लादेश में कट्टरपंथ की पहली दस्तक थी। इसके बाद कट्टरपंथियों ने पिछले तीन साल में तीन दर्जन से ज्यादा हमले किए। इनमें से करीब एक दर्जन से अधिक हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट यानी आईएसआईएस ने ली। इस दौरान अल्पसंख्यक भारतीय, विदेशी, नास्तिक और धर्मनिरपेक्ष लोगों पर हमले हुए। लेकिन इस दौरान लेखकों और ब्लॉगरों को सबसे ज्यादा टारगेट बनाया गया।
एक जुलाई को ढाका के रेस्टोरेंट पर हुए हमले में आईएसआईएस के निशाने पर वो विदेशी नागरिक थे जो यूरोपीय देशों या आईएस के खिलाफ अमेरिकी नीतियों का समर्थन करने वाले देशों से थे। अंसार अल-इस्लाम अल-कायदा से जुड़ा इस्लामिक चरपंथी संगठन है। इसने अब तक आठ हमलों की जिम्मेदारी ली। ज्यादातर हमले विदेशियों, अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय, नास्तिकों, सेकुलर लेखकों, ब्लॉगरों, मुक्त विचारों वालों और एलजीबीटी पर किए। कहा जाता है कि बांग्लादेश में प्रतिबंधित अंसार अल-इस्लाम संगठन ने देश में इस्लामिक प्रभाव बढ़ाने के लिए हमलों और हत्यायों को अंजाम दिया।
ISIS के प्रोपोगेंडा मैगजीन में हाल ही में संगठन के चीफ अल बगदादी का एक लंबा इंटरव्यू छपा है। इसमें बगदादी ने दक्षिणी एशिया के देशों को इस्लामिक स्टेट के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बताया है। इंटरव्यू में बगदादी ने बांग्लादेश, भारत और म्यांमार में आतंकी हमलों की चेतावनी भी दी। हमलों के पीछे इन देशों में अपना बेस कैंप स्थापित करना प्रमुख मकसद बताया। हालांकि, बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार देश में इस्लामिक स्टेट की मौजूदगी को हमेशा से नकारती आई है।
लेकिन इसी साल अप्रैल में धर्मनिरपेक्ष नजीमुद्दीन समद की हत्या के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने चौंकाने वाले बयान में कहा था कि किसी की हत्या अगर इस्लाम की आलोचना के लिए होती है तो यह उनकी सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। बांग्लादेश में एक जमाने में सेकुलर फोर्स काफी स्ट्रांग था। यहां पाकिस्तान और अफगानिस्तान से कम धार्मिक कट्टरता है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में कट्टरपंथियों ने देश में डर और भय का वातावरण पैदा कर दिया है। हमलों और हत्याओं पर बांग्लादेशी नागरिकों ने चुप्पी साध रखी है। कोई धरना या प्रदर्शन नहीं किया गया। पिछले तीन सालों में बांग्लादेश में प्रमुख हत्याएं और हमले इस प्रकार रहे---
- 2 जुलाई 2016 को हिंदू पुजारी भबसिन्धु रॉय पर हमला।
- एक जुलाई 2016 को ढाका के रेस्तरां में 20 विदेशी नागरिकों की हत्या। आईएस ने ली जिम्मेदारी
- एक जुलाई 2016 हिंदू पुजारी श्यामोनंदो की हत्या।
- 15 जून 2016 को रिपन चक्रवर्ती की हत्या। हिजबत तहरीर ने ली जिम्मेदारी।
- 10 जून 2016 को हिंदू पुजारी नित्य रंजन पांडे की हत्या।
- 7 जून 2016 को 70 साल के हिंदू पुजारी आनंदो गोपाल गांगुली की हत्या।
- 5 जून 2016 को एक सीनियर पुलिस अधिकारी की बीवी महमूदा खानन की हत्या।
- 25 मई 2016 को हिंदू व्यापारी देबेश चन्द्र की हत्या। आईएस ने ली जिम्मेदारी।
- 20 मई 2016 को डॉ. मीर सनौर रहमान की हत्या। आईएस ने ली जिम्मेदारी।
- 14 मई 2016 को 75 साल के बौद्ध भिक्षु मोंग शुए-उ-चक की मोनेस्ट्री के बाहर हत्या।
- 7 मई 2016 को शूफी धारा के अनुयायी मोहम्मद शहीदुल्लाह की हत्या।
- 30 अप्रैल 2016 को हिंदू दर्जी निखिल जोर्डेर की हत्या। आईएस ने ली जिम्मेदारी।
- 25 अप्रैल 2016 क्सुलहज मन्नान की हत्या। आईएस ने ली जिम्मेदारी।
- 23 अप्रैल 2016 प्रो. रेजाउल करीम सिद्धिकी की हत्या।
- 6 अप्रैल 2016 को धर्मनिरपेक्ष नजीमुद्दीन समद की हत्या।
- 21 फरवरी 2016 को हिंदू पुजारी की सिर कलम करके हत्या कर दी।
- 26 नवंबर 2015 को नमाज के दौरान शिया मुस्लमानों पर हमला।
- 31 अक्टूबर 2015 ब्लॉगर फैजल अरेफिन की हत्या।
- 24 अक्टूबर 2015 को देसी बम से विस्फोट, एक बच्चे की मौत, 100 से ज्यादा घायल।
- 4 अक्टूबर 2015 कुनियो होशि की हत्या, इस्लामिक स्टेट ने ली जिम्मेदारी।
- 28 सितंबर 2015 को इटली के नागरिक तवेला की ढाका में हत्या।
- 7 अगस्त 2015 ब्लॉगर निलॉय नील चट्टोपाध्याय की हत्या।
- 31 मार्च 2015 को ब्लॉगर वशीकुर रहमान बाबू की हत्या।
- 12 मार्च 2015 को ब्लॉगर अनंत बिजॉय दास की हत्या।
- 8 मार्च 2015 को ब्लॉगर निलोय चट्टोपाध्याय हत्या।
- 26 फरवरी 2015 को सेकुलर ब्लॉगर अविजीत रॉय की हत्या।
- 15 नवंबर 2014 को प्रो. शफीउल इस्लाम की अपरहण बाद हत्या।
- 7 मार्च 2013 को मीरपुर के पास सनीऊर रहमान पर हमला।
- 15 फरवरी 2013 को ब्लॉगर अहमद राजीब हैदर की हत्या।
- 15 जनवरी 2013 को ब्लॉगर आसिफ मोहिनुद्दीन पर हमला।