जुर्माने और इनाम से यूं बदली राजस्थान के डूंगरपुर की सेहत
सत्यप्रकाश
राजस्थान के दक्षिण में स्थित आदिवासी बहुल पर्वतीय नगर डूंगरपुर में साफ सफाई का, रहन-सहन और नागरिकों की दिनचर्या का परिदृश्य महज जुर्माने और इनाम की बदौलत बदल दिया गया है। डूंगरपुर नगर परिषद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत अभियान' के अंतर्गत शहर को कूड़ा-कचरा मुक्त करने का बीड़ा उठाया तो इसमें सबसे पहले बच्चों, किशोरों और युवाओं को भागीदार बनाया। स्वच्छता अभियान की सफलता गेप झील में दिखाई देती है जिसे पूरे शहर ने मिलकर साफ किया है और इसे गंदा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ लोग न केवल शिकायत करते हैं बल्कि उससे साफ भी कराते हैं। पूरा शहर इस झील के किनारे बसा है और शाम को पूरा शहर इसके किनारे जुट जाता है। साफ सफाई के अभियान में पूरे शहर के लोगों का सहयोग मिला है जिसके कारण डूंगरपुर को राजस्थान में सबसे पहले ‘खुले में शौच से मुक्त’ (ओडीएफ) घोषित किया जा सका हालांकि उन्होंने कहा कि यह आसान नहीं था।
आदिवासी बहुल इलाके में मानसिकता बदलने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ी और कई नये प्रयोग किये गये। गन्दा करने वाले लोगों से जुर्माना वसूलने और गन्दगी फैलाने वाले लोगों की सूचना देने वाले व्यक्ति को इनाम देने की व्यवस्था की गयी। इसका स्वच्छता अभियान पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ा। पूरे शहर को 30 भागों में बांटा गया और 60 हजार की आबादी को व्हाट्सऐप से जोड़ दिया गया। प्रत्येक परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को नगर परिषद से जुड़ना अनिवार्य कर दिया गया। ओडीएफ का लक्ष्य हासिल करने के लिए डूंगरपुर में सबसे पहले घरों में शौचालय बनाये गये। इसके बाद लोगों को इसका इस्तेमाल करने के लिये प्रेरित किया गया। स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता के बारे में जागरुक करने के शिविर लगाये गये लेकिन कुछ लोगों का खुले में शौच जाना जारी रहा। उन्होंने बताया कि शहर में 19 ऐसी जगहें चिह्नित की गयीं जहां लोग शौच के लिए जाते थे। इन स्थानों पर झाड़ियों आदि की कटाई की गयी और पूरे क्षेत्र में रोशनी की व्यवस्था की गयी। निगरानी के लिए तड़के तीन बजे से लेकर आठ बजे तक नगर परिषद के कर्मचारी तैनात किये गये और स्थानीय लोगों से फोटो खींचकर व्हाट्सऐप पर डालने के लिये कहा गया।
पूरे शहर में एलईडी लाइट लगायी हैं और लाइट बनाने का ठेका एक स्थानीय स्व-सहायता समूह को दिया गया है। यह समूह आदिवासी महिलाओं का है जो मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की मदद से सौर पैनल और एलईडी लाइट बनाता है। इस समूह ने हाल में एक करोड़ रुपये के निवेश से डूंगरपुर सोलर टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड की स्थापना की है। इस समूह की प्रधानमंत्री ने सराहना की है और नगर परिषद ने एक रुपये प्रति वर्ष के किराये पर भवन उपलब्ध कराया है। शहर में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा सड़कों पर लाइट लगाने के लिये एक निजी कंपनी को जिम्मेदारी दी गयी है। सड़कों, गलियों और पार्कों की लाइट 24 घंटे से अधिक समय तक खराब रहने पर कंपनी से जुर्माना वसूला जाता है और इसकी सूचना देने वाले व्यक्ति को 25 रुपये प्रति सूचना का इनाम दिया जाता है।
शहर में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिये नगर परिषद ने जगह-जगह आर ओ प्वाइंट स्थापित किये। इनमें से कोई भी व्यक्ति महज पांच रुपये में 20 लीटर पानी ले सकता है। इससे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया और लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हुए हैं। डूंगरपुर रेडियो की एफएम फ्रीक्वेंसी से बहुत दूर है इसलिए शहर में एक ऑडियो सिस्टम स्थापित किया गया है। स्कूलों, बस अड्डों, पार्कों, बाजारों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर स्पीकर लगाए गये हैं। इससे लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक किया जाता है। नगर परिषद भी नागरिकों से इसके जरिये सीधा संवाद करती हैं। डूंगरपुर नगर परिषद के अध्यक्ष के के गुप्ता ने दावा किया कि शहर के स्वच्छ होने से मौसम जनित बीमारियों से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या में 60 प्रतिशत तक की कमी आयी है। शहर को ओडीएफ करने में महिलाओं की अग्रणी भूमिका रही। एक आदिवासी महिला ने निजी शौचालय बनाने के लिये अपनी एक बकरी और एक पायल बेच दी। प्रधानमंत्री ने इस महिला का उल्लेख अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात भी में किया और नगर परिषद ने शौचालय की लागत 12 हजार रुपये के अलावा 5000 रुपये का इनाम दिया।
नगर परिषद ने प्रावधान बनाया है कि कूड़ा कचरा फैलाने वाले व्यक्ति से 200 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा और इसमें से 100 रुपये का इनाम इसकी सूचना देने वाले व्यक्ति को दिया जाएगा। कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल फोन से नगर परिषद के व्हाट्सऐप पर इसकी सूचना दे सकता है। इससे सड़कों, गलियों, पार्कों और बाजारों में कूड़ा-कचरा डालने वालों को पकड़ा जाना संभव हो सका। इस अभियान में स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। शहर को गंदा करने में आवारा पशु और बेघर लोगों तथा भिखारियों की भूमिका भी देखी गयी थी। इससे निपटने के लिए नगर परिषद ने आवारा पशुओं को रखने के लिए गौशाला बनाई। आवारा घूमने वाले पशुओं के मालिक से 5000 रुपये का जुर्माना वसूला गया। बेघर और कूड़ा बीनने वाले लोगों तथा भिखारियों को कूडा- कचरा प्रबंधन में लगाया गया है। इसके लिए उन्हें आवास की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है और प्रतिदिन 250 रुपये प्रति व्यक्ति का भुगतान किया जा रहा है।
कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के कारण नगर परिषद को 15 हजार रुपये की दैनिक आय हो रही है। पशुओं के लिए हर घर से रोटियां इकट्ठा की जाती है। शहर में दिन में दो बार कचरा एकत्र किया जाता है। इसके साथ रोटी एकत्र करने के लिए एक डिब्बा वाहन पर लगाया गया है। कचरे के साथ एक रोटी डिब्बे में डालना जरूरी है। कुछ लोगों ने शुरू में रोटी देने में आना-कानी की तो उनका कूड़ा स्वीकार करने से मना कर दिया गया। गाड़ी के नहीं पहुंचने पर या देरी से पहुंचने पर संबंधित कंपनी से जुर्माना वसूलने की व्यवस्था की गयी है। आदिवासियों के घरों में नगर परिषद ने शौचालय बनाये हैं और इन्हें इस्तेमाल करने तथा साफ रखने वाले परिवारों को 20 रुपये प्रति माह दिये जा रहे हैं।