जानिए! क्या है आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार केस की पूरी कहानी
प्रवीण कुमार
आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर संकट गहराता ही जा रहा है। विदेशी निवेश की आड़ में एफआईपीबी में चल रहे खेल का खुलासा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के दौरान 2006 के एयरसेल-मैक्सिस समझौते की जांच से होनी शुरू हुई। इस डील में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) टीम का ध्यान मैक्सिस से जुड़ी कंपनियों से तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से जुड़ी कंपनियों में पैसे आने पर गया। जब ईडी मामले की तह तक पहुंची तो इस केस में घूसखोरी की परतें एक के बाद एक खुलती चली गईं। आईएनएक्स मीडिया की प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी के सरकारी गवाह बनने के बाद चिदंबरम पर शिकंजा कसना शुरू हो गया।
जांच एजेंसियों का दावा है कि साल 2007 में जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब उन्होंने पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी की कंपनी आईएनएक्स मीडिया को मंज़ूरी दिलाई थी। आईएनएक्स को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) ने मई 2007 में 4.62 करोड़ रुपये के निवेश के लिए स्वीकृति दी थी। एफआईपीबी ने यह स्पष्ट किया था कि कंपनी में 'डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट' के लिए अलग से स्वीकृति की जरूरत होगी। डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट एक भारतीय कंपनी की ओर से अन्य में सब्सक्रिप्शन या शेयर्स खरीदने के जरिए इनडायरेक्ट फॉरन इन्वेस्टमेंट होता है। कंपनी ने कथित तौर पर डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट किया था और आईएनएक्स मीडिया में 305 करोड़ रुपये से अधिक का फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट हासिल किया था, जबकि कंपनी को 4.62 करोड़ रुपये के निवेश के लिए ही मंजूरी मिली थी।
15 मई 2017 को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की अनियमितता के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। आरोप था कि एफआईपीबी ने आईएनएक्स मीडिया को 2007 में वित्त मंत्री के तौर पर पी. चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेश से 305 करोड़ रुपये फंड देने के लिए क्लियरेंस देने में अनियमितता की थी। एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्डरिंग ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया था।
3 फरवरी 2018 को केंद्रीय कानून मंत्रालय ने केंद्रीय जांच एजेंसी को चिदंबरम के खिलाफ जांच की इजाजत दे दी। ईडी ने कार्ति की 54 करोड़ रुपये की संपत्ति और एक कंपनी भी अटैच कर दी। ईडी यह जांच कर रही है कि कैसे एफआईपीबी ने ग्रुप को 2007 में क्लियरेंस दे दिया। ईडी का दावा है कि अभी तक की जांच में यह बात सामने आई है कि आईएनएक्स मीडिया के निदेश पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी ने सीनियर कांग्रेस नेता से मुलाकात की थी ताकि उनके आवेदन में देरी न हो।
एफआईआर में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कार्ति ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर आईएनएक्स मीडिया की ओर से किए गए अवैध विदेशी निवेश का मामला दबा दिया था। एफआईआर में बताया गया था कि अधिकारियों ने आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश के लिए नई मंजूरी मांगने की अनुमति दी थी, जबकि कंपनी पहले ही यह निवेश अपने कब्जे में कर चुकी थी।
यूं बदलता गया घटनाक्रम और फंसते गए चिदंबरम
15 मई 2017 : सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की और आरोप लगाया कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को दी गई विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी में अनियमितताएं की गईं।
2018 : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन का मामला दर्ज किया।
23 फरवरी 2018 : आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। एक मार्च को प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने का आदेश। कार्ति ने ईडी के समन को रद्द करने की मांग वाली याचिका दाखिल की थी।
28 फरवरी 2018 : जांच एजेंसियों ने कार्ति चिंदबरम को चेन्नई एयरपोर्ट पर गिरफ्तारी किया। पी. चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उनकी याचिका कोर्ट में दायर होने से पहले कार्ति को पकड़ लिया गया। चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री रहते हुए 2007 में उन्होंने खुद आइएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की अनुमति दी थी। इसमें उनके बेटे या परिवार के किसी व्यक्ति की कोई भूमिका नहीं थी।
9 मार्च 2018 : आईएनएक्स मीडिया केस मामले में कार्ति चिदंबरम को दिल्ली की पाटियाला हाउस कोर्ट ने सीबीआई की हिरासत में भेज दिया। उन्हें तीन दिन की हिरासत में भेजा गया। कोर्ट ने सीबीआई को कार्ति के सीए भास्करमन के सामने तिहाड़ जेल में पूछताछ की इजाजत भी दे दी।
कार्ति को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली। कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तार किए जाने से 20 मार्च तक के लिए अंतरिम सुरक्षा प्रदान की।
12 मार्च 2018 : दिल्ली की एक अदालत ने कार्ति चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कार्ति को 12 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। सामान्य कैदी की तरह ही तिहाड़ जेल में रखने का आदेश।
23 मार्च 2018 : कार्ति चिदंबरम को दिल्ली हाइकोर्ट से जमानत मिली। कोर्ट ने कार्ति को 10 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी। देश से बाहर नहीं जाने के निर्देश। केस से जुड़े गवाहों और सील बैंक खातों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करने की हिदायत। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कार्ति और उनकी कंपनी की 1.16 करोड़ की संपत्ति जब्त की।
31 मार्च 2018 : अदालत ने पीटर मुखर्जी को 13 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा। जांच एजेंसियों ने कोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि वह पीटर मुखर्जी को कार्ति चिदंबरम के सामने बैठाकर पूछताछ करना चाहती है।
31 मई 2018 : दिल्ली हाईकोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया केस में हाईकोर्ट ने चिदंबरम की गिरफ्तारी पर 3 जुलाई तक के लिए अंतरिम रोक लगा दी।
6 जून 2018 : चिदंबरम से सीबीआई ने चार घंटे तक पूछताछ की।
25 जुलाई 2018 : दिल्ली हाईकोर्ट ने पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी पर रोक लगाई। बाद में यह रोक समय-समय पर बढ़ाई जाती रही।
3 अगस्त 2018 : कार्ति चिदंबरम की अंतरिम जमानत के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कार्ति को सुप्रीम कोर्ट ने व्यवसाय के उद्देश्य से 23 जुलाई से 31 जुलाई के बीच अमेरिका, फ्रांस और लंदन जाने की इजाजत दी।
25 अक्टूबर 2018 : आईएनएक्स मामले में जांच एजेंसी ने आरोप पत्र दाखिल किया।
नवंबर 2018 : दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम को गिरफ्तारी से 15 जनवरी तक अंतरिम राहत दी।
19 दिसंबर 2018 : प्रवर्तन निदेशालय के समन पर पी. चिदंबरम ईडी के दफ्तर पहुंचे। उन्हें 305 करोड़ रूपए के आईएनएक्स मीडिया मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
फरवरी 2019 : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पी. चिदंबरम से पांच घंटे तक पूछताछ की।
19 अगस्त 2019 : दिल्ली हाईकोर्ट ने पी. चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
20 अगस्त 2019 : अग्रिम जमानत के लिए चिदंबरम के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका।
21 अगस्त 2019 : प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम के खिलाफ जारी किया लुकआउट नोटिस। सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत पर सुनवाई की प्रक्रिया जारी।