इस आईपीएस अधिकारी से तो सपने में भी डरते हैं लालू
प्रवीण कुमार
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एक बार फिर मुश्किलों में घिर गए हैं। चारा घोटाले का केस तो अभी खत्म भी नहीं हुआ है, एक बार फिर से उनके परिवार पर सीबीआई की निगाहें टेढ़ी हो गई हैं। लगातार उनके व उनके परिवार से जुड़े लोगों के घरों पर सीबीआई के छापे पड़ रहे हैं। लालू यादव के खिलाफ चल रहे केस की जांच सीबीआई के एडिशनल डायरेक्टर राकेश अस्थाना कर रहे हैं। अस्थाना को लालू यादव के रेलमंत्री रहते रेलवे के होटल आवंटन में हुए फर्जीवाड़े की जांच की जिम्मेदारी दी गई है। लालू पर रेलवे के दो होटलों के टेंडर बांटने में फर्जीवाड़े का आरोप लगा है। इसके अलावा उनकी बेटी मीसा भारती और दामाद पर भी सीबीआई का शिकंजा कस रहा है।
हालांकि आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना लालू यादव के लिए कोई नया नाम नहीं है। बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच की जिम्मेदारी भी अस्थाना को ही दी गई थी। उन्होंने ही लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की थी। इसके बाद ही लालू यादव को 1997 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त अस्थाना सीबीआई एसपी के तौर पर तैनात थे। अस्थाना को मूल रूप से लालू यादव से पूछताछ के लिए ही जाना जाता है। 1997 में उन्होंने चारा घोटाले में लालू यादव से छह घंटे तक पूछताछ की थी।
ताजा मामले में सीबीआई अधिकारी राकेश अस्थाना ने बताया कि 5 जुलाई को केस दर्ज किया गया था। सीबीआई ने लालू और उनके परिवार समेत आठ लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 120बी, 13, 13(1)(डी) पीसी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। रेलवे के दो होटल को आईआरसीटीसी को ट्रांसफर किए गए थे। इन होटलों की देखभाल करने और रखरखाव करने के लिए प्राइवेट कंपनी को लीज आउट का फैसला लिया गया था। इसके लिए रेलवे ने टेंडर निकाले थे, जिसमें भारी गड़बड़ी पाई गई थी।
क्या आपको राकेश अस्थाना के बारे में पता है?
राकेश अस्थाना का जन्म 1961 में रांची में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा झारखंड स्थित नेतरहाट स्कूल से हुई है। इनके पिता एचआर अस्थाना नेतरहाट स्कूल में भौतिकी के शिक्षक थे। इसके बाद रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अस्थाना ने कॉलेज की पढ़ाई की। 1978 में आईएससी करने के बाद वह आगरा स्थित अपने पैतृक घर चले गए। फिर दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद अस्थाना रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज में इतिहास पढ़ाना शुरू किया। 1984 में पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईपीएस अफसर बन गए। अस्थाना 1984 के बैच के गुजरात कैडर के अधिकारी हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र माने जाते हैं। वह धनबाद में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के एसपी रह चुके हैं। रांची में वह डीआईजी के पद पर थे। राकेश अस्थाना का नाम कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार अधिकारियों की सूची में खास तौर से शामिल रहा है। 1994 में उन्होंने सनसनीखेज पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप केस की फील्ड इंवेस्टिगेशन सुपरवाइज की थी। इसके बाद बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच की जिम्मेदारी भी अस्थाना को दी गई। इन्होंने लालू यादव के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की थी।
वाजपेयी सरकार आने के बाद अस्थाना गुजरात कैडर वापस चले गए और मनमोहन सिंह सरकार आने के बाद लालू यादव को लगा कि अस्थाना रूपी बेताल का पीछा उनसे छूटेगा लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। रेलमंत्री रहने के दौरान सूरत के पास एक रेल दुर्घटना हुई। लालू यादव बतौर मंत्री घटनास्थल पर मुआयना करने पहुंचे। लालू को इस बात का अंदाजा नहीं था कि अस्थाना वहां पुलिस कमिश्नर हैं। अचानक अस्थाना को देखकर लालू यादव का पारा चढ़ गया। वे चिल्लाने लगे। इसी बीच कुछ युवकों ने बर्फ के पत्थर जैसे टुकड़े लालू पर फेंके। जाहिर है बर्फ को तो पिघलना ही था। लालू घबरा गए और घटनास्थल से निकल लिए। दिल्ली लौट कर उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी हत्या कराना चाहते हैं।
यूपीए सरकार में लालू ने हरसंभव कोशिश की थी कि वे चारा घोटाला केस से बरी हो जाएं लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कई सालों का वनवास काटने के बाद पिछले चुनावों में लालू प्रसाद यादव का समय बहुरा ही था कि अस्थाना फिर हाजिर हो गए। चारा घोटाले की जांच अभी चल रही है और ऊपर से इस बीच मोदी की सरकार आ गई है। अस्थाना दिल्ली में अतिरिक्त निदेशक के पद पर काबिज हो गए। मोदी से नजदीकियों की वजह से सीबीआई में उनकी खासी धाक है। राकेश अस्थाना के जिम्मे कई राजनेताओं की जांच की जिम्मेदारी है। मसलन मुलायम सिंह यादव, मायावती, ममता बनर्जी और अब लालू प्रसाद यादव और उनके पत्नी और बेटे। गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना के पास इस समय सीबीआई के कई केस हैं, जिसमें से अगस्टा वेस्टलैंड डील और विजय माल्या केस भी शामिल है। साल 2015 में ही राकेश अस्थाना को मोदी सरकार सीबीआई में एडिशनल डायरेक्टर के रूप में लेकर आई थी। सीबीआई के पूर्व निदेशक अनिल सिन्हा के पिछले साल 2 दिसंबर को रिटायर होने से ठीक पहले राकेश अस्थाना को सीबीआई का इंचार्ज डायरेक्टर बना दिया गया था।
मोदी सरकार ने 1 दिसंबर 2016 की रात को एक चौंकाने वाला निर्णय करते हुए सीबीआई में नंबर 2 रहे स्पेशल डायरेक्टर रूपक कुमार दत्ता को गृह मंत्रालय में ट्रांसफर कर दिया था और सीबीआई में ही एडिशनल डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे नंबर तीन आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को इंचार्च डायरेक्टर बना दिया था जिसको लेकर काफी बवाल मचा था। राकेश अस्थाना ने ही धनबाद में डीजीएमएस के महानिदेशक को घूस लेते पकड़ा था। उस समय तक पूरे देश में अपने तरीके का यह पहला मामला था, जब महानिदेशक स्तर के अधिकारी सीबीआई की गिरफ्त में आये थे। अस्थाना ने ही चर्चित गोधरा कांड की भी जांच की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आरके राघवन की अगुआई में गठित एसआईटी ने भी सही माना था। 26 जुलाई, 2008 में हुए अहमदाबाद बम ब्लास्ट की जांच का जिम्मा भी अस्थाना को ही दिया गया था जिसे 22 दिनों में ही सुलझा दिया था।