क्या 53 फीसदी के सहारे होगी नीतीश की नैया पार?
साल 2010 में जिस तरह से बिहार में नीतीश कुमार ने जीत की बाजी मारी थी ठीक उसी तर्ज पर इस बार भी वो जीत का स्वाद चखना चाहते हैं। किसी को इससे इंकार नहीं कि 2010 में एनडीए (जदयू उसकी सदस्य थी) ने 243 में से 206 सीटें अपने नाम की थी और इस धमाकेदार जीत का श्रेय महिलाओं के माथे सजा। क्योंकि आधी आबादी ने खुलकर नीतीश के लिए वोट किया।
भारत की वर्तमान सरकार और केंद्रीय मंत्रिमंडल
भारत सरकार या केंद्र सरकार देश की वह शासन अधिकारी है जो राष्ट्र को भारत के संविधान के अनुसार नियंत्रित करती है। भारत सरकार का आधिकारिक नाम संघीय सरकार है। सरकार अपना सारा कामकाज देश की राजधानी दिल्ली से करती है। भारत का पूरा गणराज्य केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। भारत गणराज्य में 29 राज्य और सात केंद्र शासित प्रदेश हैं। भारत सरकार का गुण लोकतांत्रिक है।
आम आदमी के सीएम खाते हैं 32 एसी की हवा!
आम आदमी के अधिकारों उनके दुख दर्द की बात करने वाले दिल्ली के सीएम के बिजली का बिल सबको चौंकाने वाला है। मुख्यमंत्री आवास में 2 मीटर लगे हैं और इनका बिल 1,03,000 रुपये का आया है। ये बिल अप्रैल-मई महीने का है। खास बात ये कि सीएम अरविंद केजरीवाल 30 से 32 एयरकंडिशन का उपभोग करते हैं। सीएम आवास के बिजली बिल की जानकारी एक आरटीआई के जरिए प्राप्त की गई। वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट विवेक गर्ग ने इस बाबत जानकारी मांगी थी।
भारत में राजनीतिक घोटाले
सियासी पार्टियां सत्ता में आती हैं और चली जाती हैं लेकिन सत्ता के दलालों, बिचौलियों का एक समूह पिछले 65 वर्षों से इस देश पर शासन कर रहा है। जब भी कोई चुनाव होता है, ये दलाल किस्म की प्रजाति बड़ी संख्या में जुट जाती है। हम दशकों से यह शिकायत करते आ रहे हैं कि भ्रष्टाचार हमारे देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, लेकिन हर साल घोटाले बढ़ते ही चले जा रहे हैं और इसके साथ-साथ लूटी गई धनराशि भी।
भारत के राष्ट्रपति
भारत के राष्ट्रपति राष्ट्र के प्रमुख और भारत के प्रथम नागरिक होते हैं, साथ ही भारतीय सशस्त्र सेनाओं के प्रमुख सेनापति भी। सिद्धांतत: राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती है। लेकिन कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद के द्वारा उपयोग किए जाते हैं। राष्ट्रपति को भारतीय संसद के दोनो सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) तथा साथ ही राज्य विधायिकाओं (विधान सभाओं) के निर्वाचित सदस्यों द्वारा पांच वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है।
भारत के प्रधानमंत्री और उप-प्रधानमंत्री
भारतीय संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री का पद बहुत ही महत्त्वपूर्ण पद है, क्योंकि प्रधानमंत्री ही संघीय कार्यपालिका का प्रमुख होता है। चूंकि भारत में ब्रिटेन के समान संसदीय शासन व्यवस्था को अंगीकार किया गया है, इसलिए प्रधानमंत्री पद का महत्त्व और अधिक हो गया है। अनुच्छेद 74 के अनुसार प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रधान होता है। वह राष्ट्रपति के कृत्यों का संचालन करता है।
भारतीय संसद : लोकतंत्र का मंदिर
हमारे देश की राजनीतिक व्यस्था को या सरकार जिस प्रकार बनती और चलती है, उसे संसदीय लोकतंत्र कहा जाता है।संसद पुराने संस्कृत साहित्य का शब्द है। पुराने समय में राजा को सलाह देने वाली सभा ‘संसद’ कहलाती थी। राजा ‘संसद’ की सलाह को ठुकरा नहीं सकता था। बौद्ध सभाओं में संसदीय प्रक्रिया संबंधी नियम आज की संसद के नियमों से बहुत हद तक मिलते-जुलते थे। खुली बातचीत, बहुमत का फैसला, उच्च पदों के लिए चुनाव, वोट डालना, समितियों द्वारा विचार विमर्श आदि से हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं हजारों साल पहले से परिचित रही है।
अटल जी : राजनीति का ‘करिश्माई नक्षत्र’
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीतिक के पटल पर एक ऐसी शख्सियत का नाम है जिन्होंने अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से न केवल व्यापक स्वीकार्यता एवं सम्मान हासिल किया बल्कि तमाम अवरोधों को तोड़ते हुए 90 के दशक में राजनीतिक मंच पर भाजपा को स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाई। यह वाजपेयी के व्यक्तित्व का ही सम्मोहन था कि भाजपा के साथ उस समय नए-नए सहयोगी दल जुड़े जब बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद दक्षिणपंथी झुकाव के कारण उस जमाने में भाजपा को राजनीतिक रूप से ‘अछूत’ माना जाता था।
मैं नास्तिक क्यों हूं? : भगत सिंह
भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था कि मैं नास्तिक क्यों हूं और यह 27 सितम्बर 1931 को लाहौर के अखबार 'द पीपल' में प्रकाशित हुआ। इस लेख में भगत सिंह ने ईश्वर कि उपस्थिति पर अनेक तर्कपूर्ण सवाल खड़े किये हैं और इस संसार के निर्माण, मनुष्य के जन्म, मनुष्य के मन में ईश्वर की कल्पना के साथ-साथ संसार में मनुष्य की दीनता, उसके शोषण, दुनिया में व्याप्त अराजकता और और वर्ग भेद की स्थितियों का भी विश्लेषण किया है।
भारत का राजनीतिक इतिहास
राज करने अथवा राज चलाने सम्बन्धी नीति को 'राजनीति' कहा जाता है। स्पष्ट है कि राज करने या चलाने जैसी अति संवेदनशील एवं गम्भीर जिम्मेदारी के लिए इस पेशे में शामिल व्यक्ति को अत्यधिक योग्य, दक्ष, ईमानदार तथा कुशल नेतृत्व प्रदान कर पाने की क्षमता रखने वाला व्यक्ति होना चाहिए। त्रेतायुग में अर्थात भगवान राम के काल के हजारों वर्ष पूर्व से लेकर आजादी से पहले और फिर आजादी के बाद की भारतीय राजनीति ऐसे दिग्गज राजा और राजनेताओं से अटा पड़ा है।