दिल्ली चुनाव : कौन जीता कौन हारा
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 67 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस जहां इस चुनाव में अपना खाता तक नहीं खोल सकी, वहीं मोदी की भाजपा तीन सीटों में सिमट गईं। कृष्णा नगर सीट से भाजपा के सीएम पद की प्रत्याशी किरण बेदी हार गईं, वहीं कांग्रेस के सीएम पद के प्रत्याशी अजय माकन सदर सीट से अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए।
ओपिनियन पोल : दिल्ली में 'आप' की बंपर जीत के आसार
दिल्ली में किस पार्टी को मिलेगा बहुमत, कौन होगा दिल्ली का सीएम और किसकी बनेगी सरकार ? अगर इन सवालों के जवाब चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में तलाशने की कोशिश करें तो वो नाम आम आदमी पार्टी (आप) का होगा । जबकि इस बार भी दिल्ली में 15 साल तक राज करने वाली कांग्रेस की हालत पतली ही रहने वाली है। इंडिया टुडे-सिसेरो, एबीपी-निलसन, HT-सी फोर और टाइम्स नॉउ के 'पोल्स ऑफ पोल्स', सभी के सर्वेक्षण भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर रहें हैं।
महान देशभक्त थे महामना मदन मोहन मालवीय
बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी महामना मदन मोहन मालवीय एक शिक्षाविद् थे जिन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की स्थापना की और ‘नरम दल’ और ‘गरम दल’ के बीच कड़ी का काम करते हुए स्वतंत्रता संग्राम के पथप्रदर्शकों में से एक बने।
अटल बिहारी वाजपेयी : भारत के सर्वाधिक करिश्माई नेताओं में से एक
भारत के सर्वाधिक करिश्माई नेताओं में शुमार अटल बिहारी वाजपेयी का देश के राजनीतिक पटल पर एक ऐसे विशाल व्यक्तित्व वाले राजनेता के रूप में सम्मान किया जाता है जिनकी व्यापक स्तर पर स्वीकार्यता है और जिन्होंने तमाम अवरोधों को तोड़ते हुए 90 के दशक में राजनीति के मुख्य मंच पर भाजपा को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हार्वर्ड ने भी माना मोदी में है दम
भारतीय राजनीति में तीन दशक बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। पल-पल बदलती राजनीति के लिए ये अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है। इस में कोई दो राय नहीं कि इस जीत का नायक सिर्फ एक ही है और वो है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी । जिनकी लहर कुछ यूं चली की सारी भविष्यवाणियों को झूठा साबित कर गई। ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी मोदी के कद को सराहा जा रहा है।
तमिलनाडु: मछुआरों को छुड़ाने के श्रेय पर राजनीति तेज
ये तमिलनाडु की राजनीति में काफी अप्रत्याशित घटना मानी जा रही है। नरेन्द्र मोदी सरकार को कूटनीतिक मोर्चे पर बड़ी जीत हासिल हुई है। दरअसल, श्रीलंका ने उन पांच मछुआरों को छोड़ दिया है, जिन्हें उसकी एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। पांचों मछुआरों को कोलंबो में भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया है। एमरसन, पी ऑगस्टस, आर विल्सन, के प्रसाद और जे लैंगलेट को 30 अक्टूबर को मौत की सजा सुनाई गई थी। केन्द्र सरकार की इस जीत से तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियां बैकफुट पर आती दिख रहीं हैं।
अब 65 मंत्री मिलकर चलाएंगे मोदी की सरकार
नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में 21 नए मंत्रियों को शामिल करने के बाद मोदी समेत कुल 66 मंत्री हो गए हैं। केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्यों को सौंपे गए प्रभारों की सूची के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, सभी महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दे और अन्य वे सभी विभाग, जो किसी को नहीं सौंपे गए हैं शामिल हैं।
भारत में ‘वोट के बदले नोट’ का बढ़ा चलन
एक नवीनतम अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि भारतीय मतदाताओं के बीच ‘वोट के बदले नोट’ का चलन बढ़ता जा रहा है और वोट के एवज में कोई रिश्वत पाने की मतदाताओं की अपेक्षा निरंतर बढ़ रही है। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के अध्ययन में कहा गया है, ‘आखिरी क्षण में अपना मतदान विकल्प बदलने या तय करने वालों के तकरीबन 70 प्रतिशत इन पांच कारकों में से किसी एक के या एक से ज्यादा के योग से प्रभावित होते हैं- स्थानीय दबाव, धन का लोभ, प्रभावी चुनाव प्रचार, मीडिया में कवरेज और चुनाव घोषणा पत्र में पेशकश।
हरियाणा में आधे से ज्यादा प्रत्याशी हैं करोड़पति
हरियाणा में में सभी पार्टियों के टॉप नेताओं की संपत्ति में पिछले 5 सालों में जबर्दस्त वृद्धि देखी गई है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के एक अध्ययन के अनुसार, 2009 के विधानसभा चुनाव के विपरीत, जब सिर्फ 32 फीसदी उम्मीदवार ही करोड़पति थे, 15 अक्टूबर के चुनाव में जोर आजमाइश कर रहे 52 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं।
सीएम पद गंवाकर जयललिता ने रचा इतिहास
आय से अधिक संपत्ति के मामले में बेंगलुरु की अदालत द्वारा चार साल के कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अन्नाद्रमुक प्रमुख जे. जयललिता पद गंवाने वाली और जेल जाने वाली पहली सेवारत मुख्यमंत्री बन गई हैं। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी ठहराई गईं अन्नाद्रमुक प्रमुख को अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देने के लिए अपील दायर करने से पहले अब जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा।