आरएसएस के राष्ट्रोदय समागम में सरसंघचालक ने गढ़ी कट्टर हिन्दुत्व की नई परिभाषा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मेरठ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अघोषित राजधानी मेरठ में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रोदय समागम कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कट्टर हिन्दुत्व की नई परिभाषा गढ़ डाली। उन्होंने कहा है कि कट्टर हिन्दुत्व का मतलब होता है कट्टर उदारता। इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि हर व्यक्ति में कट्टरता, उदारता और अहिंसा के लिए जगह होनी चाहिए।
राष्ट्रोदय समागम कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मौजूद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि कार्यक्रम में शक्ति का प्रदर्शन नहीं किया जा रहा बल्कि नापा जा रहा है। इस मौके पर उन्होंने 'कुछ शक्तियों' के खिलाफ भारत के एकजुट होने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि भारत में इस एक सत्य को पा लिया गया है कि सभी का खान-पान, भाषा, संप्रदाय, पूजा-पद्धति या पंथ होने के बाद भी सबका अस्तित्व और धर्म एक है। सभी विविधता को देखते हैं लेकिन सत्य यह है कि यह विविधता की एकता है और वह इसका सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि त्याग और संयम जैसे मूल्य किसी एक पूजा या संप्रदाय के नहीं होते। उन्होंने कट्टरता को परिभाषित करते हुए कहा कि कट्टर हिंदुत्व का मतलब कट्टर अहिंसा और कट्टर उदारता से होता है।
भागवत ने कहा कि दुनिया मानती है कि एक होने के लिए एक जैसा होना पड़ेगा लेकिन अकेला हमारा देश है जो मानता है कि विविधता अलग नहीं होती। उन्होंने कहा, हम हिंदुओं को एक होना है क्योंकि प्राचीन समय से यह हमारा घर है। इस देश के लिए हम दायित्ववान लोग हैं। उन्होंने कहा कि हम खुद को भूल गए हैं और जातियों में बंटकर लड़ाई करते हैं। हमारे झगड़ों की आग पर सारी दुनिया रोटियां सेकती है। उन्होंने कहा कि भाषा, खान-पान, निवास-स्थान, पंथ अलग हो सकते हैं लेकिन हर हिंदू भाई है। उन्होंने समाज के प्रत्येक व्यक्ति को गले लगाने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति भारतीय पूर्वजों का वशंज है, वह हिंदू है।
मोहन भागवत ने 1971 के युद्ध के दौरान बांग्लादेश सीमा पर पश्चिम बंगाल के रायगंज में एक स्वयंसेवक के बलिदान होने का जिक्र करते हुए कहा कि देशहित के लिए आवश्यक हो तो स्वयंसेवक प्राण भी दे देंगे। संघ से जुड़ने के बारे में उन्होंने कहा कि लोग संघ के हितैषी न बनें बल्कि साधना करें और समाज को जोड़कर आगे बढ़ने का काम करें। भागवत ने कहा कि यह कार्यक्रम शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं है। शक्ति प्रदर्शन करने की आवश्यकता नहीं होती, शक्ति होती है तो दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि हमें यह देखना है कि हमारी कितनी शक्ति है, कितने लोगों को बुला सकते हैं, कितने लोगों को बैठा सकते हैं और कितने लोगों को अनुशासन में रख सकते हैं। उन्होंने संपूर्ण समाज के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बनने की जरूरत बताई और कहा कि एक बड़ा समूह मिल-जुलकर खड़ा होता है तभी कोई कार्य संपन्न होता है।
RSS के समागम में उमड़ा स्वयंसेवियों का सैलाब
क्रांतिकारियों की धरती मेरठ में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीब तीन लाख स्वयंसेवकों के आने से पूरा शहर केसरिया रंग में रंग गई। आरएसएस के कार्यक्रम 'राष्ट्रोदय' में हिस्सा लेने के लिए सुबह से ही स्वयंसेवकों का सैलाब मेरठ में उमड़ने लगा था। दोपहर तक उनके आने का सिलसिला जारी रहा। सड़कों पर हर तरफ भगवा ध्वज लगी बसें और दूसरे वाहनों में सवार स्वयंसेवक ही दिखाई पड़ रहे थे। स्वयंसेवकों के कारण मेरठ पूरी तरह भगवा रंग में रंग गया है। आरएसएस का दावा है कि करीब तीन लाख स्वयंसेवक इस समागम में शिरकत कर रहे हैं। सुबह से ही गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिनजौर की तरफ से स्वयंसेवकों का रेला आना शुरू हो गया था। बताया जा रहा है कि समागम में हिस्सा लेने के लिए करीब तीन लाख स्वयंसेवक पहुंचे हैं। कैबिनेट मंत्री महेश शर्मा, सूबे के मंत्री सुरेश राणा, धर्म सिंह सैनी के अलावा सांसद यशवंत सिंह, राजेंद्र अग्रवाल समेत कई विधायक गणवेश में साधारण स्वयंसेवक के तौर पर पहुंचे।