महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना गठबंधन को मिला जनादेश, हरियाणा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में सत्तारूढ़ भाजपा और शिवसेना गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर गई है। अब तक के रुझानों के मुताबिक, भाजपा और शिवसेना प्रदेश की कुल 288 सीटों में से 157 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है और भाजपा अभी चार सीटों पर आगे चल रही है। लेकिन हरियाणा में भाजपा की गाड़ी कीचड़ में फंस गई है। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक सभी 90 सीटों के परिणाम आ चुके हैं और इसमें 40 सीट जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है जबकि कांग्रेस 31 सीटें जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बनी है। इस प्रकार से किसी भी पार्टी को बहुमत का आंकड़ा नहीं मिल पाया है। भाजपा अब सात निर्दलीय विधायकों के भरोसे सरकार बनाने का दम भर रही है।
चुनाव आयोग के मुताबिक, महाराष्ट्र में भाजपा अब तक 101 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है, जबकि चार सीटों पर आगे चल रही है। इसी तरह शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की है। कांग्रेस की बात करें तो पार्टी को 40 सीटों पर जीत मिल चुकी है और चार सीटों पर आगे चल रही है। इसी तरह एनसीपी ने 51 सीटों पर जीत हासिल की है और तीन सीटों पर आगे चल रही है। कहने का मतलब यह कि बहुमत के लिए 145 सीटों के आंकड़े को पार करते हुए भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 157 सीटों पर जीत मिल चुकी है और जिन चार सीटों पर भाजपा आगे चल रही है वह भी अगर जीत के आंकड़ों में तब्दील हो जाता है तो 161 का आंकड़ा पहुंच जाएगा। मत प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को 25.75 प्रतिशत, कांग्रेस को 15.87 प्रतिशत, एनसीपी को 16.72 प्रतिशत, शिवसेना को 16.41 प्रतिशत और अन्य के खाते में 18.60 प्रतिशत वोट मिले हैं।
हरियाणा की बात करें तो यहां किसी भी एक राजनीतिक पार्टी को जनादेश नहीं मिला है। सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 46 की संख्या को कोई भी दल पार नहीं कर पाया। लेकिन 40 सीट जीतकर भाजपा जरूर सबसे बड़े दल के रूप में फिर से उभरी है। सरकार बनाने के लिए इसे 6 सीटों की जरूरत पड़ेगी। अब इस गुना-भाग के गणित को भाजपा कैसे सुलझाती है वह एक-दो दिनों में पता चल जाएगा। दूसरी तरफ कांग्रेस की बात करें तो 31 सीट जीतकर दूसरा सबसे बड़ा दल जरूर बन गया है लेकिन अन्य दलों मसलन जननायक जनता पार्टी या इंडियन नेशनल लोकदल आदि को मिलाकर भी कांग्रेस की सरकार बनती दिख नहीं रही है। जजपा को जहां 10 सीटें मिली हैं वहीं इंनेलो और हरियाणा लोकहित पार्टी को एक-एक सीटें मिली हैं। अन्य के खाते में सात सीटें आईं हैं जिसपर भाजपा की पैनी नजर है। पार्टियों को मिले मत प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को 36.49 प्रतिशत, कांग्रेस को 28.08 प्रतिशत वोट मिले हैं। अन्य दलों के खाते में 27.30 प्रतिशत वोट गए हैं।
हरियाणा में अनिल विज को छोड़ सभी मंत्री हारे
हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने खट्टर सरकार के एक मंत्री को छोड़ सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। नारनौंद विधानसभा सीट से कैप्टन अभिमन्यु को हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें जननायक जनता पार्टी के रामकुमार गौतम ने 12,029 मतों के अंतर से हराया। अभिमन्यु सरकार में वित्त मंत्री थे। इसी प्रकार से कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश धनकड़ को भी शिकस्त झेलनी पड़ी है। बादली विधानसभा सीट से कांग्रेस के कुलदीप वत्स ने धनकड़ को 11,245 वोटों से अंतर से शिकस्त दी है। हरियाणा भाजपा के कद्दावर नेता और खट्टर सरकार में शिक्षा मंत्री रहे राम बिलास शर्मा को भी हार का मुंह देखना पड़ा है। महेंद्रगढ़ विधानसभा में कांग्रेस के राव दान सिंह ने शर्मा को 10 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया। महिला एवं बाल विकास मंत्री रही कविता जैन भी अपनी सीट नहीं बचा पाईं। सोनीपत सीट से कांग्रेस के सुरेंद्र पंवार ने जैन को 32,878 वोटों के बड़े अंतर से मात दी। खट्टर सरकार में परिवहन मंत्री रहे कृष्ण लाल पंवार भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। इसराना (सुरक्षित) सीट से कांग्रेस के बलबीर सिंह ने पंवार को 20,015 वोटों के बड़े अंतर से शिकस्त दी। मंत्री मनीष ग्रोवर को भी रोहतक में हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के भारत भूषण बत्रा ने ग्रोवर को 2735 मतों के बहुत कम अंतर से हराया। मंत्री करनदेव कंबोज भी रादौर से हार चुके हैं। उन्हें कांग्रेस के बिशन लाल ने 2,541 वोटों के अंतर से हराया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। तोहाना में उन्हें जननायक जनता पार्टी के देवेंदर सिंह बबली ने 52,302 वोटों के अंतर से हराया।