महाराष्ट्र : उद्धव सरकार ने 169 वोट के साथ हासिल किया विश्वास मत, भाजपा का सदन से वॉकआउट
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुंबई : महाराष्ट्र में शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी महाविकास अघाड़ी की सरकार ने शनिवार को विधानसभा में विश्वासमत हासिल कर लिया। सरकार के पक्ष में कुल 169 वोट पड़े। जबकि सरकार को बहुमत साबित करने के लिए सिर्फ 145 वोट की जरूरत थी। इस दौरान भाजपा ने सदन का बहिष्कार किया। भाजपा नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा सत्र का आयोजन संवैधानिक मानदंडों के तहत नहीं है। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर को भी बदलने पर सवाल उठाए और कहा कि बिना स्पीकर विश्वास मत नहीं होता है। भारत में कार्यवाहक अध्यक्ष को कभी नहीं बदला गया तो भाजपा के कोलम्बकर को पद से क्यों हटाया गया। यह नियमों के विपरीत है। इस दौरान सदन में 'दादागीरी नहीं चलेगी' के नारे भी लगे। भारी हंगामे के बीच भाजपा ने सदन से वॉक आउट किया और फडणवीस समेत पार्टी के सभी विधायक सदन से बाहर चले गए। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर के आदेश पर विधानसभा का दरवाजा बंद कर विश्वास मत की प्रक्रिया पूरी की गई।
अशोक चह्वाण और नवाब मलिक ने पेश किया बहुमत परीक्षण का प्रस्ताव रखा। महा विकास अघाड़ी के सदस्यों ने विश्वासमत प्रस्ताव का अनुमोदन किया। प्रोटेम स्पीकर ने कहा कि बहुमत परीक्षण गुप्त मतदान से नहीं होगा बल्कि सदस्यों को गिना जाएगा। सभी सदस्यों ने अपनी सीट पर खड़े होकर नाम और अपना क्रमांक बताया। इस प्रकार से उद्धव सरकार का 169 सदस्यों ने समर्थन किया जबकि विपक्ष में शून्य सदस्यों ने मतदान किया क्योंकि भाजपा ने अपने 105 विधायकों के साथ सदन से वॉकआउट किया था। बता दें कि 288 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस (44), शिवसेना (56) और एनसीपी (54) के कुल 154 विधायक हैं। ऐसे में उद्धव सरकार को कुछ निर्दलीय विधायकों और बहुजन विकास अघाड़ी के विधायकों का भी साथ मिला है। एमएनएस, एआईएमआईएम और माकपा के चार विधायक सदन में मौजूद तो रहे लेकिन उन्होंने न तो पक्ष में वोट किया न ही विपक्ष को। इन विधायकों ने तटस्थ रुख अपनाया।
विश्वास मत हासिल करने के बाद महाराष्ट्र के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सदन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं पहली बार सदन में आया हूं। मुझे सदन में काम करने का अनुभव नहीं है, मैं मैदान में लड़ने वाला आदमी हूं। वैचारिक मतभेद रखने का अलग तरीका होता है। सदन में वैचारिक मतभेदों को गलत तरीके से रखा गया। यह महाराष्ट्र की परंपरा नहीं है। मुझे गर्व है कि मैंने अपने आदर्शों का नाम लेकर शपथ ली। शपथ ग्रहण में अपने माता-पिता और महापुरुषों का नाम लेने में क्या बुराई है। अगर यह गुनाह है तो मैं इसे बार-बार करूंगा। शिवाजी हमारे भगवान हैं। मैं सामने से लड़ने वालों में से हूं। मुझे उस महाराष्ट्र की जरूरत है जो साधु संतों का है, वीरों का है, महापुरुषों का है। विश्वास मत से पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से गले मिलने विपक्ष के नेता की कुर्सी पर पहुंचे। उद्धव ने फडणवीस को गले लगाया।
विश्वास मत से पहले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में कहा कि यह अधिवेशन नियमों के खिलाफ बुलाया गया है। आज बिना वंदे मातरम् गाए अधिवेशन हो रहा है। इस पर प्रोटेम स्पीकर दिलीप वलसे पाटिल ने कहा कि मंत्रियों की शपथ के बाद राज्यपाल की अनुमति से अधिवेशन बुलाया गया है। इसपर भाजपा विधायकों ने 'दादागिरी नहीं चलेगी' के नारे लगाए। स्पीकर ने फडणवीस से कहा- आपकी पार्टी से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जा रहा है। इसलिए आप अपने सदस्यों से कहें कि सदन की गरिमा का ध्यान रखा जाए। फडणवीस ने मंत्रियों के शपथ ग्रहण में नियमों के उल्लंघन का मुद्दा भी उठाया। इस पर स्पीकर ने उन्हें रोका और कहा कि सदन से बाहर हुई बातों की चर्चा यहां नहीं होनी चाहिए। फडणवीस ने कहा कि मैं संविधान के नियम की चर्चा कर रहा हूं और मुझे इसका हक है।
प्रोटेम स्पीकर दिलीप वलसे पाटिल ने देवेंद्र फडणवीस के पहले सवाल पर कहा कि विधानसभा में सदन से जुड़े मसलों पर ही चर्चा की जाएगी। दूसरे सवाल के जवाब में प्रोटेम स्पीकर ने कहा कि मंत्रिमंडल को प्रोटेम स्पीकर बदलने का अधिकार होता है। मंत्रिमंडल ने अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजी थी। राज्यपाल के आदेश के बाद प्रोटेम स्पीकर को बदला गया है। यह नया सत्र नहीं है। देवेंद्र फडणवीस के तीसरे सवाल का जवाब देते हुए प्रोटेम स्पीकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार गुप्त मतदान नहीं किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि हार्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए गुप्त मतदान नहीं होगा और सदन की कार्यवाही का लाइव टेलिकास्ट होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा, नई सरकार ने सारे कानूनों का उल्लंघन करना तय किया है। नियम यह है कि राज्यपाल द्वारा नियुक्त प्रोटेम स्पीकर नए विधायकों द्वारा अध्यक्ष चुने जाने से पहले तक जिम्मेदारी संभालता है। इसके बावजूद प्रोटेम स्पीकर को बदल दिया गया। अब आपका बहुमत है तो परंपरा के हिसाब से अपना अध्यक्ष बनाएं। इसके बावजूद कालिदास कोलंबकर को इस्तीफा देना पड़ा और दिलीप वलसे पाटिल ने प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली। शपथ ग्रहण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाऊंगा। पाटिल ने फ्लोर टेस्ट से पहले कहा- नियम के अनुसार पहले विधानसभा अध्यक्ष के पद का चुनाव होता है। इसके बाद फ्लोर टेस्ट किया जाता है, लेकिन यहां फ्लोर टेस्ट पहले हो रहा है और विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कल होगा। विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव सीक्रेट बैलेट से न कर खुले रूप से हुआ। अगर आपके पास 170+ विधायक हैं तो आप डरते क्यों हैं? सीक्रेट बैलेट करवाइए, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। मैं चुनौती देता हूं कि अगर सीक्रेट बैलेट से चुनाव करवाएंगे तो वे अपना विधानसभा अध्यक्ष नहीं चुन पाएंगे।
मालूम हो कि पिछले दिनों बने अजीबोगरीब राजनीतिक घटनाक्रम में देवेंद्र फडणवीस के फ्लोर टेस्ट में फेल होने की स्थिति बन गई थी, लेकिन उन्होंने सदन में शक्ति परीक्षण से पहले ही हार मान ली और राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। फडणवीस के सरकार बनाने के बाद शिवसेना ने राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के जल्द बहुमत सिद्ध करने के फैसले के बाद देवेंद्र फडणवीस ने शपथ के 80 घंटे बाद इस्तीफा दे दिया। फडणवीस के इस्तीफे के बाद मुंबई के छत्रपति शिवाजी स्टेडियम में 28 नवंबर को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।