दलीय स्वार्थ से ऊपर उठना जरूरी
पिछले 70 साल में केंद्र में भी और राज्यों में भी विभिन्न दलों की सरकारों को जनता ने मौका दिया है। पहले की तरह आज भी जनता सबकी बात सुनेगी और वह अपने हिसाब से ही फैसला देगी। लेकिन राजनीतिक दलों को यह जरूर सोचना चाहिए कि वे अपनी बात जनता तक सही ढंग से पहुंचा सकें। अगर देश की जनता को गुमराह करने का कोई प्रयास होता है तो उसे सही रास्ते पर लाने का प्रयास करना भी राजनीतिक दलों की ही जिम्मेदारी है।
बापू ने जब तानाशाह हिटलर को लिखे थे पत्र
महात्मा गांधी ने जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर को 2 बार पत्र लिखकर द्वितीय विश्वयुद्ध रोकने की अपील की थी, लेकिन शांति के मसीहा अपने प्रयास में सफल नहीं हुए थे। बापू ने हिटलर को सचेत किया था कि हिंसक रास्ते पर किसी का एकाधिकार नहीं होता और कोई दूसरी शक्ति अधिक व्यवस्थित होकर उन्हें परास्त कर सकती है।