पिछले 70 साल में केंद्र में भी और राज्यों में भी विभिन्न दलों की सरकारों को जनता ने मौका दिया है। पहले की तरह आज भी जनता सबकी बात सुनेगी और वह अपने हिसाब से ही फैसला देगी। लेकिन राजनीतिक दलों को यह जरूर सोचना चाहिए कि वे अपनी बात जनता तक सही ढंग से पहुंचा सकें। अगर देश की जनता को गुमराह करने का कोई प्रयास होता है तो उसे सही रास्ते पर लाने का प्रयास करना भी राजनीतिक दलों की ही जिम्मेदारी है।