कैसा जवान कैसा किसान
दर्द यही है कि युवा पीढ़ी नहीं जानती और न कभी जान पाएगी उन डेढ़ साल के बारे में। किसी परीक्षा में इस सवाल का जवाब शायद कोई दे दे कि जय जवान जय किसान का नारा किसने बुलंद किया था और हर सोमवार को सारा देश किसके कहने पर एक ही वक्त भोजन करता था ताकि हमें किसी के सामने झोली न फैलानी पड़े।
भारत का राजनीतिक इतिहास
राज करने अथवा राज चलाने सम्बन्धी नीति को 'राजनीति' कहा जाता है। स्पष्ट है कि राज करने या चलाने जैसी अति संवेदनशील एवं गम्भीर जिम्मेदारी के लिए इस पेशे में शामिल व्यक्ति को अत्यधिक योग्य, दक्ष, ईमानदार तथा कुशल नेतृत्व प्रदान कर पाने की क्षमता रखने वाला व्यक्ति होना चाहिए। त्रेतायुग में अर्थात भगवान राम के काल के हजारों वर्ष पूर्व से लेकर आजादी से पहले और फिर आजादी के बाद की भारतीय राजनीति ऐसे दिग्गज राजा और राजनेताओं से अटा पड़ा है।
जानिए! कहां जाता था इनका वेतन और पेंशन?
क्या आपको पता है, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पेंशन लेने से मना कर दिया था। आपको शायद यह भी पता नहीं होगा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने वेतन लेने से मना कर दिया था। जी हां! यह सच है और दोनों महान विभूतियों के पेंशन और वेतन सरकार के आपदा कोष में जाता था। प्रधानमंत्री द्वारा गृह मंत्रालय की दशकों पुरानी फाइलों को नष्ट करने के आदेश के बाद मंत्रालय ने करीब डेढ़ लाख फाइलों को नष्ट किया है। इस प्रक्रिया के दौरान ऐसी ऐतिहासिक फाइलें हाथ लगी हैं।