कांग्रेस की कद्दावर नेता शीला दीक्षित का निधन, कहती थी- एक नेता कभी रिटायर नहीं होता
कांग्रेस की कद्दावर नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शनिवार दोपहर निधन हो गया है। 81 साल की शीला दीक्षित को शनिवार सुबह उन्हें एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एस्कॉर्ट अस्पताल के निदेशक अशोक सेठ की मानें तो शीला दीक्षित ने दोपहर बाद 3।55 बजे आखिरी सांस ली।
MCD चुनाव: गडकरी बोले परिपक्वता जरूरी, तो शीला को अखरा कांग्रेस के प्रचार का तरीका
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए हुए मतदान के लिए मतगणना सुबह आठ बजे से जारी है। भाजपा की बढ़त बरकरार है। अभी तक के रुझान साफ बता रहे हैं कि पार्टी निगम चुनाव में हैट्रिक मारने जा रही है। वहीं दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार को इस चुनाव से करारा झटका लगा है। उधर, कांग्रेस पार्टी भी कुछ बेहतर प्रदर्शन करते हुए दिखाई दे रही है। आप दूसरे से तीसरे स्थान पर खिसक आई है।
दिल्ली कांग्रेस को लवली ने दिया झटका, थामा भाजपा का दामन
दिल्ली नगर निगम चुनाव से ठीक पहले दिल्ली में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और शीला सरकार में मंत्री रहे अरविंदर सिंह लवली आज भाजपा में शामिल हो गए। लवली दिल्ली में कांग्रेस के कुछ प्रमुख चेहरों में शामिल थे और सिख समुदाय के बीच उनकी अच्छी पैठ माना जाती थी। काफी समय से वह कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रहे थे।
राहुल गांधी अभी भी नहीं 'मैच्योर', उन्हें चाहिए वक्त: शीला दीक्षित
कांग्रेसियों को इन दिनों लगता है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी में काफी बदलाव आया है और वो एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ के तौर पर खुद को पेश करने में कामयाब रहें हैं। लेकिन इसके उलट दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी शीला दीक्षित को लगता है कि अभी राहुल परिपक्व नहीं हैं उन्हें थोड़ा और वक्त चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के व्यवहार पर भी सवाल खड़े किए।
24 साल का साथ यूं ही तो नहीं छूटा
रीता बहुगुणा जोशी को जाना ही था। कांग्रेस में जिस तरह वो लगातार अपना कद गिरता देख रहीं थीं उससे उनका पलायन निश्चित ही लग रहा था। कई दिनों से उनके इस संभावित कदम को लेकर चर्चाएं भी थीं और भाई विजय बहुगुणा भी अपने बयानों से इसकी तस्दीक कर रहे थे। वहीं कहा जाता है कि पार्टी उनसे भाई विजय बहुगुणा को भाजपा में जाने से रुकवाना चाहती थीं, जो वो नहीं कर पाईं। इससे उन पर दबाव बहुत था और इस वाकये के बाद उनकी हैसियत भी घटी थी।
'यूपी में 'करो या मरो' का संकल्प लें कांग्रेसजन'
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की मुख्यमंत्री उम्मीदवार शीला दीक्षित ने मंगलवार को लखनऊ में कहा कि आज का दिन कांग्रेसजनों के लिए गर्व का दिन है, क्योंकि आज के ही दिन गांधी जी ने मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ का नारा दिया था और कार्यकर्ताओं से 'करो या मरो' का आह्वान किया था।
यूपी: शीला होंगी कांग्रेस की सीएम उम्मीदवार
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में सीएम प्रत्याशी के तौर पर शीला दीक्षित को मैदान में उतारा हैं। माना जा रहा है कि शीला के जरिए पार्टी प्रदेश में ब्राह्मण वोटरों को अपनी ओर खींचना चाहती है। दो दिन पहले ही प्रदेश कार्यकारिणी में किए गए बदलाव के बाद कांग्रेस ने इसकी झलक दे दी है कि पार्टी अगड़ी जाति और अल्पसंख्यक वर्ग पर ध्यान केंद्रित रखेगी। संजय सिंह को प्रदेश चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष तो प्रमोद तिवारी को चुनाव समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है।
प्रियंका संभाल सकती हैं UP कांग्रेस की कमान
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रियंका गांधी को जल्द ही कांग्रेस के लिए प्रचार की कमान सौंपी जा सकती है, जबकि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पार्टी की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बनाई जा सकती हैं। हालांकि, इन संकेतों के बीच एआईसीसी के कुछ नेताओं का कहना है कि इस बाबत प्रियंका की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। शीला ने पत्रकारों से अलग से बातचीत में इस बात पर बल दिया कि उत्तर प्रदेश की बहू होने के नाते वह इस अहम राज्य में कोई भी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
केजरी की इफ्तार पॉलिटिक्स में जंग और शीला भी
रमजान के पवित्र मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार शाम इफ्तार पार्टी की मेजबानी की, जिसमें दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी शामिल हुई। चाणक्यपुरी इलाके के नेहरू पार्क स्थित पालिका सर्विसेज ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट में आयोजित इफ्तार पार्टी में उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी, पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन और दिल्ली पुलिस कमिश्नर बी.एस. बस्सी भी शामिल हुए।
राहुल पर दिए बयान से शीला ने लिया यू-टर्न
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने राहुल के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पार्टी कमान संभाले रखने की बात कही, फिर बयान से यू टर्न लेते हुए शीला ने कहा कि हमारे बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है। हमने राहुल के नेतृत्व क्षमता पर कभी सवाल नहीं उठाया।