ममता बनर्जी अपने उसी तेवर के साथ वापस आईं हैं जो उन्होने लेफ्ट की सरकार को बेदखल करने के लिए अपनाया था। 34 साल की सत्ता को उखाड़ने में ममता दीदी ने स्ट्रीट फाइटर का रूख अख्तियार किया था। वैसे पश्चिम बंगाल की सीएम की पहचान ही उनका ये जुझारू व्यक्तित्व है। 2008 में दीदी की यही फाइटिंग स्पिरिट टाटा मोटर्स को बंगाल से चलता कर गई थी। दीदी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठीं और सफल भी रहीं। अब जिस तरह से तृणमूल सुप्रीमो विपक्ष को एक झंडे तले लाने की जोर आजमाइश कर रहीं हैं और कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार बनाम सीबीआई वाले मामले को डील कर रहीं हैं उससे निस्संदेह मोदी-शाह की भाजपा को सचेत होने की जरूरत है।