मध्यस्थता पर कांव-कांव
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का फिलहाल अंत होता नहीं दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल बनाकर मसले को कम से कम लोकसभा चुनाव तक तो टाल ही दिया है। विवाद में दो ही पक्ष हैं। दोनों पक्षों की नुमाइंदगी करने वाले नेताओं के कांव-कांव जब इस तरह से सामने आ रहे हों तो फिर मध्यस्थता पैनल में शामिल लोगों की मध्यस्थता का रिजल्ट किस रूप में सामने आएगा? सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। हां, एक बात जरूर होगी कि तब तक चुनाव हो जाएगें, नतीजे भी आ जाएंगे, नई सरकार का गठन भी हो जाएगा और फिर चार साल की छुट्टी। क्योंकि मुद्दा वोट की सियासत का जो है।
मध्यस्थों से पहले उमा भारती ने सुनाया फैसला; जहां पर रामलला हैं वहां सिर्फ राम मंदिर बनेगा
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले को मध्यस्थता पैनल के जरिए सुलझाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि जहां पर रामलला हैं वहां राम मंदिर के अलावा किसी और धार्मिक स्थल कैसे बन सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला; राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर मध्यस्थता पैनल गठित
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए अब मध्यस्थता का रास्ता अपनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने शुक्रवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए यह बड़ा फैसला दिया है।