वीडियो : धारा 370 का अंत, नतीजों की बात कौन करेगा?
सत्ता विमर्श ब्यूरो
5 और 6 अगस्त 2019 को देश की संसद में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपनी संख्याबल का उपयोग करते हुए जम्मू कश्मीर संविधान सभा की ताकत को देश की संसद में स्थानांतरित कर दिया। इस प्रकार से जम्मू और कश्मीर आधिकारिक रूप से अपना विशेष राज्य का दर्जा तो खो ही चुका है, साथ ही वह अपना पूर्ण राज्य का दर्जा भी गंवा चुका है। जम्मू और कश्मीर से संबंधित धारा 370 को खत्म करने का एजेंडा भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र या कहिए उसके घोषणा पत्र में जनसंघ के जमाने से ही चला आ रहा है। इसलिए मोदी सरकार ने अगर आज अपने दूसरे कार्यकाल में इसे हटाने का फैसला लिया है तो निश्चित रूप से इस पर किसी को आपत्ति नहीं है और होनी भी नहीं चाहिए। इस अनुच्छेद को हटाने के तरीके पर भी सवाल उठाना ठीक नहीं होगा क्योंकि इस तरह के फैसले जब सरकार लेती है तो समय, काल और परिस्थिति के मुताबिक कई तरह की चीजें देखनी होती है और ये माना जाना चाहिए कि सरकार को घाटी से कुछ इस तरह की इनपुट्स मिली होंगी, लिहाजा कुछ कठोर कदम उठाने पड़े होंगे। लेकिन इस सवाल से हम मुंह नहीं मोड़ सकते कि धारा 370 का शोर जिस तरह से देश में है, आने वाले वक्त में इसके नतीजे किस रूप में सामने आएंगे इसकी किसी को कोई फिक्र है?