ममता से हारा टाटा मोटर्स, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सिंगूर लैंड डील
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली/कोलकाता : पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बैनर्जी से टाटा मोटर्स को हार का सामना करना पड़ा है। ममता के सिर जीत का ताज उच्चतम न्यायालय ने पहनाया है। कोर्ट ने सिंगूर लैंड डील को खारिज कर दिया है। दूरगामी नतीजे वाले इस फैसले में न्यायालय ने सिंगूर में 2006 मेंतत्कालीन वाम मोर्चा सरकार द्वारा टाटा मोटर्स की महत्वाकांक्षी नैनो कार परियोजना के लिए 997.11 एकड़ जमीन के विवादास्पद अधिग्रहण को निरस्त कर दिया। फैसला न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति अरूण मिश्र की पीठ ने सुनाया। गौरतलब है कि, टाटा मोटर्स ने हाल में सिंगूर में हुए नुकसान के लिए राज्य से मुआवजे के तौर पर 1400 करोड़ रुपये की मांग की थी
वहीं, इस फैसले से ममता बनर्जी सरकार के उस कदम को बल मिला जिसमें किसानों की बेहतरी के लिए जमीन आवंटन रद्द किये जाने की बात थी। एक तरह से उच्चतम न्यायालय द्वारा उसके राजनैतिक घोषणापत्र पर मुहर लगाने जैसा है कि भूमि किसानों को लौटा दी जानी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि भूमि सर्वेक्षण, पहचान और अन्य औपचारिकताएं 10 सप्ताह के भीतर पूरी किए जाने के बाद भूस्वामियों और किसानों को 12 सप्ताह में भूमि लौटा दी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकार भूमि खोने वालों को दिये गए मुआवजे की राशि वापस नहीं मांग सकती क्योंकि उसने 10 साल तक अधिग्रहण की गई जमीन पर अधिकार का इस्तेमाल किया।
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अधिग्रहण में प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। जमीन अधिग्रहण साल 2006 में किया गया था, जिसे लेकर तृणमूल कांग्रेस ने भारी विरोध-प्रदर्शन किया था, जिसके कारण परियोजना को गुजरात के सानंद में स्थानांतरित कर दिया गया था। जिन किसानों ने जमीन के बदले मुआवजा लिया, उन्हें अब इसे लौटाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बीते 10 सालों से वे अपनी जमीन और उसपर उगने वाली फसल से महरूम रहे हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने फैसले को अपनी ऐतिहासिक जीत बताया और कहा, ‘हमने इस फैसले के लिए 10 साल तक इंतजार किया और यह किसानों की जीत है।’ उनकी पार्टी के लोकसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बंदोपाध्याय के मुताबिक यह फैसला भूमि अधिग्रहण के मामलों में ‘आंखें खोलने वाला’ होने जा रहा है। उन्होंने कानूनी लड़ाई की अगुवाई की थी। उन्होंने कहा, ‘10 साल लंबी राजनैतिक और कानूनी लड़ाई के बाद शीर्ष अदालत ने हमारे द्वारा अपनाए गए रख को सफलतापूर्वक स्वीकृति दी है कि अधिग्रहण अवैध था।'