पीएनबी महाघोटाला : धोखाधड़ी के लिए नेताओं की जवाबदेही पर भड़के वित्त मंत्री जेटली
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : पीएनबी महाघोटाले के बाद लगातार सामने आ रहे बैंक फ्रॉड पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूरी जिम्मेदारी लेने से मना करते हुए कहा कि बैंकों में सामने आ रही धोखाधड़ी के लिए नेताओं को जवाबदेह माना जाता है। कोई भी रेग्युलेटर को दोषी नहीं मानता है। उन्होंने एक बार जोर देकर रेग्युलेटर्स (नियामकों) और ऑडिटर्स को जिम्मेदार ठहराया।
अरूण जेटली की बातों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि रेग्युलेटर्स को जिम्मेदार ठहराना गलत है। इन बैंको में तैनात फाइनेंस मिनिस्ट्री के नॉमिनी सदस्य क्या कर रहे थे? इस मामले की जांच होनी चाहिए। लोगों को अच्छे से पता है कि रेग्युलेटर्स जिम्मेदार हैं। सिब्बल ने कहा कि मोदी विश्व के सबसे महंगे चौकीदार हैं। वह हमेशा कांग्रेस को 2G घोटाले को लेकर घेरते रहे। ये मनगढ़ंत आरोप थे जिसे कोर्ट ने भी निराधार बताते हुए कहा कि 2G घोटाला हुआ ही नहीं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को चौथे ग्लोबल समिट में कहा कि रेग्युलेटर्स की भूमिका काफी अहम होती है। वे बिजनेस के नियम-कायदे बनाते हैं। उन्हें अपनी तीसरी आंख खोल कर रखनी चाहिए जिससे सभी पर नजर रखी जा सके। किसी बैंक की किसी ब्रांच में घोटाला होता है, तो वे इससे जुड़ी कोई जानकारी नहीं दे पाते। क्या ये देश के लिए चिंताजनक नहीं होगा।
पीएनबी घोटाले का नाम लिए बिना वित्त मंत्री ने कहा कि इस मामले में भी अफसरों और ऑडिटर्स की अनदेखी की गई। यह बेहद चिंताजनक है। बिजनेस फेल होने और बैंक घोटालों के मामले से जानबूझकर लोन न चुकाने के मामले ज्यादा हैं। अगर ऐसे ही मामले लगातार सामने आते रहे तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का सरकार का प्रयास बेकार साबित होगा। इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।
वित्त मंत्री जेटली ने दो दिन पहले भी कहा था कि इतना बड़ा बैंक घोटाला बैंक मैनेजमेंट की नाकामयाबी है। फिलहाल इस मामले में जो भी दोषी हैं, उन्हें सजा मिलेगी। बैंकों का पैसा लूटकर देश छोड़ चुके लोगों को सजा देकर ऐसे मामले में उदाहरण पेश करने की जरूरत है। सुपरवाइजरी एजेंसियों को इस मामले में आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है। ऐसे मामले बिना बैंक मैनेजमेंट की लापरवाही के नहीं हो सकते हैं। यह ऑडीटर्स और मैनेजमेंट का फेल्योर है।