नीरव मोदी के खिलाफ इंटरपोल ने जारी किया रेड कॉर्नर नोटिस
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के आरोपी नीरव मोदी के खिलाफ इंटरपोल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है। संभावना है कि अब 13000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले आरोपी नीरव मोदी की जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है। आपको बता दें कि इंटरपोल द्वारा जारी किया गया रेड कॉर्नर नोटिस किसी भी अपराधी को पकड़ने के लिए दुनिया भर में मान्य प्रक्रिया है। इसका मतलब है कि किसी भी इंटरपोल के 192 सदस्य देशों में पुलिस द्वारा नीरव मोदी को गिरफ्तार किया जा सकता है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों ही नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए पीएमएलए कोर्ट ने हरी झंडी दी थी। नीरव मोदी के UK में होने की खबर है। मुंबई की एक विशेष अदालत ने फरार हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुरोध को मंजूर कर लिया है। न्यायाधीश एमएस आजमी ने इस केंद्रीय एजेंसी को प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी है।
ईडी के वकील हितेन वेनेगावकर ने बताया कि यह आदेश विदेश मंत्रालय के पास भेजा जाएगा जो उसे ब्रिटिश सरकार को अग्रसारित करेगा। एजेंसी ने एक दिन पहले ही कोर्ट में प्रत्यर्पण आवेदन दिया था। समझा जाता है कि ईडी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत उसके द्वारा हाल ही में दायर आरोपपत्र के आधारपर ब्रिटेन, बेल्जियम और कुछ अन्य देशों से मोदी के प्रत्यर्पण की मांग की थी।अदालत ने आरोपपत्र का संज्ञान लेते हुए पिछले हफ्ते नीरव मोदी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। अधिकारियों के अनुसार कई देशों से प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है, क्योंकि नीरव मोदी अपना ठिकाना लगातार बदल रहा है। बैंक घोटाला सामने आने के बाद नीरव मोदी, उसके मामा मेहुल चोकसी और अन्य की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। दरअसल पंजाब नेशनल बैंक ने शिकायत की थी कि उन्होंने उसे 13000 करोड़ रुपये चूना लगाया।
इससे पहले राजस्व सतर्कता एजेंसी डीआरआई ने सीमा शुल्क चोरी के एक मामले में भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को ई मेल के जरिये गिरफ्तारी का वारंट भेजा था। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सूरत की एक अदालत ने इस मामले में पेश नहीं होने पर यह वारंट जारी किया है। राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने मार्च में नीरव मोदी और उनकी तीन कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कारवाई शुरू की थी। यह कार्रवाई उनकी विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थित कंपनियों द्वारा शुल्क मुकत आयातित माल को नियमों से हटकर अन्यत्र इस्तेमाल किये जाने को लेकर शुरू की गई।