जनादेश 2019 : केंद्र में एक बार फिर मोदी सरकार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी रणनीति की बदौलत भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भारी जीत दर्ज की है। भाजपा ने यह चुनाव राष्ट्रवाद, हिदुत्व और गरीबों के लिए चलाई गई सामाजिक योजनाओं के आधार पर लड़ा। पार्टी का पूरा चुनाव अभियान इन्हीं तीन मुद्दों पर लड़ा गया। इस जीत के साथ ही मोदी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर लगातार दूसरी बार सत्ता में आने वाले तीसरे नेता बन गए हैं। इससे पहले जवाहरलाल नेहरू ने लगातार तीन बार और इंदिरा गांधी ने लगातार दो बार कांग्रेस को पूर्ण बहुमत दिलाकर सरकार बनाई थी। नेहरू ने 1952, 1957 और 1962 का चुनाव जीता था। वहीं, इंदिरा गांधी ने 1967 और 1971 का चुनाव पूर्ण बहुमत के साथ जीता था। नरेंद्र मोदी ने अब इंदिरा की बराबरी कर ली है।
चुनाव परिणाम एक नजर में :-
भाजपा गठबंधन- 352 (+16)
भाजपा-303
शिवसेना- 18
अन्नाद्रमुक- 1
जेडीयू- 16
लोजपा- 6कांग्रेस गठबंधन- 96 (+32)
कांग्रेस- 52
द्रमुक- 23
एनसीपी- 5सपा + बसपा- 15 (+10)
समाजवादी पार्टी- 5
बहुजन समाज पार्टी- 10तृणमूल कांग्रेस- 22 (-12)
बीजू जनता दल- 12 (-8)अन्य- 57 (-51)
गुरुवार को मतगणना शुरू होने के शुरुआती दो घंटों में ही भाजपा ने 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बना ली थी और यह तस्वीर साफ हो गई थी कि एक बार फिर मोदी सरकार बनने जा रही है। दिन ढलने तक भाजपा ने अकेले उत्तर प्रदेश में उतनी सीटें हासिल कर लीं जितनी कांग्रेस पूरे देश में नहीं जीत पाई। न तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का 'महागठबंधन' भाजपा को यूपी में रोक पाया और न ही तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल जैसे क्षेत्रीय दल भाजपा को दूसरी बार जीतने से रोक पाए। मोदी के खिलाफ विपक्ष का राफेल, बेरोजगारी और किसानों की तकलीफ के मुद्दे पूरी तरह से फ्लॉप रहे।
इसके उलट मोदी ने अपने चुनाव अभियान में ऑपरेशन बालाकोट का खूब इस्तेमाल किया और इसका उन्हें फायदा भी हुआ। कांग्रेस के 'चौकीदार चोर है' अभियान को व्यापक जनसमर्थन नहीं मिला और भाजपा ने इसका करारा जवाब 'मैं भी चौकीदार' चलाकर दिया। भाजपा ने 'धर्मनिरपेक्षता' पर भी अपनी विचारधारा के जरिये जवाब दिया। पार्टी ने राष्ट्रदोह कानून से लेकर जम्मू-कश्मीर मसले और धार्मिक मामलों में न्यायिक दखलंदाजी आदि मुद्दों के जरिए चुनौती दी। .
गुरुवार को भाजपा मुख्यालय में अपने विजयी संबोधन में नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह फैसला नए भारत की उम्मीदों और आशाओं का फैसला है। साथ ही यह दिखाता है कि 'धर्मनिरपेक्षता' के राजनीतिक इस्तेमाल के दिन अब लद चुके हैं। मोदी ने 2019 के इस जनादेश को अभूतपूर्व बताया। उन्होंने कहा कि यह दुनिया को स्तब्ध कर देगा। राजनीतिक पंडितों को अब पिछली सदी के नियमों को भूलना होगा। भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपना खाता भी नहीं खोल पाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेहनत को नजरअंदाज करने की कीमत चुकानी पड़ी है। यह फैसला तुष्टिकरण और जाति व वंशवाद की राजनीति के खिलाफ है। उन्होंने मोदी को विश्व का सबसे लोकप्रिय जनतांत्रिक नेता भी करार दिया।
बहरहाल, मतगणना में एनडीए की सीटों की संख्या करीब 350 तक पहुंच गई है। और इसके साथ ही भाजपा ने स्वयं के लिए तय किया 300 सीटों का लक्ष्य भी हासिल कर लिया है। भाजपा ने चुनावों से पहले नारा दिया था- 'अबकी बार 300 के पार।' मोदी ने राजनीतिक पंडितों की उस सोच को धराशायी कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि पार्टी 2014 के अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाएगी। लेकिन पार्टी ने एक बार फिर राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सभी सीटों पर जीत हासिल की। इसकके अलावा मध्य प्रदेश में वह सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई वहीं बिहार में भी उसने जेडीयू और रामविलास पासवान के गठबंधन के साथ मिलकर 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की।
इस बार के चुनाव में एग्जिट पोल्स के अनुमान सटीक रहे। 10 में से 9 एग्जिट पोल्स में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान जाहिर किया गया था। ताजा जानकारी के मुताबिक, मध्यप्रदेश में गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया 1 लाख 10 हजार 701 और भोपाल सीट से दिग्विजय सिंह 1 लाख 92 हजार 586 वोटों से पीछे चल रहे हैं। अमेठी से स्मृति ईरानी 13 हजार 472 वोटों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से आगे चल रही हैं। हालांकि केरल के वायनाड से राहुल गांधी काफी आगे चल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई है। इस बीच, चुनावी नतीजों के असर से सेंसेक्स 40 हजार से ऊपर पहुंच गया। पिछली बार जब 16 मई 2014 को नतीजे आए थे, तब सेंसेक्स ने पहली बार 25 हजार का आंकड़ा छुआ था। इस बार लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन सेंसेक्स 40 हजार के पार हुआ।
लोकसभा चुनाव के लिए 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में हुए मतदान में 90.99 करोड़ मतदाताओं में से करीब 67.11 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। भारतीय संसदीय चुनाव में यह अब तक का सबसे अधिक मतदान है। प्रक्रिया के मुताबिक, सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती की जाएगी। ड्यूटी पर तैनात मतदाताओं (सर्विस वोटर) की संख्या करीब 18 लाख है। इनमें सशस्त्र बल, केन्द्रीय पुलिस बल और राज्य पुलिस बल के जवान शामिल हैं जो अपने संसदीय क्षेत्र से बाहर तैनात हैं। विदेश में भारतीय दूतावासों में पदस्थ राजनयिक और कर्मचारी भी सेवा मतदाता हैं। इन 18 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से 16.49 लाख ने 17 मई को अपने अपने रिटर्निंग अधिकारियों को डाक मतपत्र भेज दिए थे।