प्रोटोकॉल तोड़ PM मोदी ने की सऊदी प्रिंस की अगवानी, विपक्ष ने 'हगप्लोमसी' पर जताई हैरानी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: पाकिस्तान की यात्रा कर भारत पहुंचे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का स्वागत प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़ दिल खोलकर किया। सलमान दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार को भारत पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरपोर्ट जाकर उनका स्वागत किया, गले लगाकर उनका स्वागत किया। दोनों ने द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर भी किए और संयुक्त प्रेस कॉंफ्रेंस भी की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने पुलवामा हमले पर बात की लेकिन सऊदी प्रिंस ने इस पर चुप्पी साधे रखी। वहीं विपक्ष ने मोदी के इस हगप्लोमसी की पुरजोर मुखालफत की।
बुधवार को पीएम मोदी के साथ मोहम्मद बिन सलमान ने द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान सऊदी अरब और भारत के बीच 5 अहम समझौते हुए। इनमें नेशनल इन्वेस्टर फंड में निवेश, टूरिज्म, हाउसिंग कॉर्पोरेशन, ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में समझौता हुआ। इसके बाद पीएम मोदी और प्रिंस सलमान ने सयुंक्त रूप से प्रेस को संबोधित करते हुए आतंकवाद के मुद्दे पर की चर्चा की।
पीएम मोदी ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले हफ्ते पुलवामा में हुआ बर्बर आतंकवादी हमला पूरे क्षेत्र के लिए खतरा है, ये मानवता विरोधी खतरा दुनिया पर छाए कहर की एक और क्रूर निशानी है। इस खतरे से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए हम इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद को किसी भी प्रकार का समर्थन दे रहे देशों पर सभी संभव दबाव बढ़ाने की आवश्यकता है।
वहीं, प्रिंस मोहम्मद सलमान ने आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा करते हुए चिंता जाहिर की। यहां तक कहा कि आतंकवाद पर हम भारत के साथ खुफिया सूचना साझा करेंगे। सिर्फ भारत के साथ ही नहीं बल्कि हम अपने पड़ोसियों के साथ भी साझा करने में पूरा सहयोग करेंगे। हालांकि सऊदी प्रिंस ने न तो पुलवामा आतंकी हमले पर कोई बात कही और न ही पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधयों पर कोई चिंता जाहिर की।
जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पश्चिम एशिया और खाड़ी में शांति और स्थिरता सुनिचित करने में हमारे दोनों देशों के साझा हित हैं। हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि काउंटर टेररिज्म, समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में और मजबूत द्विपक्षीय सहयोग दोनों देशों के लिए लाभप्रद रहेंगे
पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद और अतिवाद के खिलाफ सहयोग और इसके लिए एक मज़बूत कार्ययोजना की भी जरूरत है, ताकि हिंसा और आतंक की ताकतें हमारे युवाओं को गुमराह न कर सकें। मुझे खुशी है कि सऊदी अरब और भारत इस बारे में साझा विचार रखते हैं। आतंकवाद का इंफ्रास्ट्रक्चर नष्ट करना और इसको समर्थन समाप्त करना और आतंकवादियों और उनके समर्थकों को सजा दिलाना बहुत जरूरी है।
प्रिंस सलमान ने कहा कि भारत से हमारे रिश्ते एक हजार साल पुराने हैं। ये हमारे खून में है। पिछले 50 सालों में भारत के साथ हमारे संबंधों में काफी सुधार हुआ है। हम अपने संबंधों का विस्तार कर रहे हैं। भारत आईटी सेक्टर में काफी मजबूत है। हमने इस सेक्टर में अपने देश में निवेश किया और लाभान्वित हुए हैं।
वहीं, नरेंद्र मोदी ने कहा, 'हम अक्षय ऊर्जा के क्षेत्रों में अपने सहयोग को मज़बूत करने पर सहमत हुए हैं। हम इंटरनेशनल सोलर एलायंस में सऊदी अरब का स्वागत करते हैं। परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के सहयोग में नया आयाम देगा। उन्होंने कहा कि हमारे ऊर्जा संबंधों को स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप में तब्दील करने का समय आ गया है। दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी और स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व में सऊदी अरब की भागीदारी, हमारे ऊर्जा संबंधों को बायर-सेलर रिलेशन से बहुत आगे ले जाती है।
माना जा रहा था कि सऊदी प्रिंस पुलवामा में हुए आतंकी हमले के साथ-साथ पाकिस्तान में फल-फूल रहे आतंकवाद का भी जिक्र करेंगे। लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई बात नहीं की। सऊदी प्रिंस दो दिन पहले पाकिस्तान के दौरे पर थे और वहां की सरकार से 20 बिलियन डॉलर की डील भी की।
कांग्रेस का वार
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के रवैये पर सख्त ऐतराज जताया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विट कर अपनी राय जाहिर की है। उन्होंने पीएम की हगप्लोमैसी पर तंज किया है। इसे 'राष्ट्रीय हित' बनाम 'मोदीजी की हगप्लोमसी' करार दिया है।
'राष्ट्रीय हित'
बनाम
'मोदीजी की हगप्लोमसी'प्रोटोकाल को ताक पर रख के, उनका भव्य स्वागत जिन्होंने आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान को $20 बिलियन का तोहफ़ा दिया और उसके 'आतंकवाद विरोधी' रवैये की प्रशंसा की।
क्या इसी तरीक़े से आप पुलवामा के वीर शहीदों को याद करतें हैं?
1/2 pic.twitter.com/vWisUMiB2x
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) February 20, 2019
कहा है- प्रोटोकाल को ताक पर रख के, उनका भव्य स्वागत जिन्होंने आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान को $20 बिलियन का तोहफ़ा दिया और उसके 'आतंकवाद विरोधी' रवैये की प्रशंसा की। क्या इसी तरीक़े से आप पुलवामा के वीर शहीदों को याद करतें हैं?