गरीब की रसोई में फिर लगेगा दाल का तड़का!
सत्यप्रकाश
नई दिल्ली : मौजूदा वर्ष में दलहन का रकबा बढ़ने, दालों का भंडारण बढ़ाने तथा विदेशों में दलहन की खेती कराने के प्रयासों से आने वाले समय में गरीब की रसोई में एक बार फिर ‘दाल का तड़का’ लगने की उम्मीद है। सरकार द्वारा जारी आंकडों के अनुसार सिर्फ ‘दाल- रोटी’ के लिए दिनभर कडी मेहनत करने वाले आम आदमी की थाली में एक बार फिर दाल की कटोरी आने की संभावना दिखाई दे रही है।
मौजूदा वर्ष में अभी तक 144.96 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई की गयी है जबकि इससे पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह आंकडा 112.43 लाख हेक्टेयर रहा था। सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मूंग की खरीद करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि कई वर्षों से मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होता था परंतु खरीद नहीं होती थी। इस वर्ष महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद करने
के प्रस्ताव आने पर कृषि मंत्रालय ने एक अक्तूबर से लागू होने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को एक सितम्बर से लागू कर दिया है और बाजार मूंग में आने के कारण खरीद के आदेश जारी कर दिये हैं।
राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में नैफेड ने खरीद की संपूर्ण तैयारियां कर ली हैं। राज्यों से प्रस्ताव आते ही खरीद के आदेश जारी कर दिए जाएंगे। अन्य सभी राज्यों से भी अनुरोध किया जा रहा है कि यदि उनके यहां मूंग दाल के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे जाते हैं तो किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए वे यथाशीघ्र मूंग की खरीद का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजें जिससे कि उन राज्यों में भी खरीद की जा सके।
घरेलू स्तर पर दाल दलहन की आपूर्ति करने के लिए सरकार विदेशों में भी खेती कराने का प्रयास कर रही है। इसके लिए ब्राजील, मोजाम्बिक, म्यांमार और कई अफ्रीकी देशों के साथ करार किया गया है। भारत घरेलू आपूर्ति के लिए आस्ट्रेलिया, म्यांमार, कनाडा तथा दक्षिणी अफ्रिकी देशों से दाल का आयात करता है।
सरकार क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से रबी दलहन को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है। इसके लिए वर्ष 2013-14 में 16 राज्यों के 468 जिलों में दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम शुरू किया गया था जिसे सभी 29 राज्यों में 638 जिलों में लागू कर दिया है। पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड केरल और गोवा को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है।
देश में दालों की मांग 246 लाख टन है जबकि बीते वर्ष इनका उत्पादन 164.7 लाख टन ही हुआ है । इस अंतर को पाटने के लिये इस बार 58 लाख टन दालों का आयात किया गया फिर भी 82 लाख टन की कमी रह गयी। इस कमी की भरपायी के लिये सरकार ने दालों का 20 लाख टन का बफर स्टाक बनाने का निर्णय लिया है । बफर स्टाक के लिये 10 लाख टन दलहनों की घरेलू बाजार से खरीद की जायेगी जबकि जबकि 10 लाख टन का आयात किया जायेगा।
सरकार ने देश में दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिये इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है और कई नयी योजनाओं को शुरू किया है । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मूंग की एक ऐसी किस्म का विकास किया है जो मात्र 52 दिन में तैयार हो जाती है।