वॉशिंगटन से आई एक रिपोर्ट ने भारत सरकार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। बीते ढाई वर्षों से जिस तरह की तस्वीर केन्द्र देश-दुनिया को दिखाती रही है उसको 'इज ऑफ डूइिंग बिजनेस' यानी व्यापार सुगमता सूचकांक की ताजा रिपोर्ट ने बहुत बड़ा झटका दिया है। रिपोर्ट की मानें तो देश ने निर्माण परमिट, ऋण प्राप्त करने और अन्य मानदंडों के संदर्भ में नाममात्र या कोई सुधार नहीं किया है। हालत ये है कि भारत के मामले में नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।